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क्रूड आयल के दाम पांच वर्ष के रिकॉर्ड तलिये पर….. दाल में काला या फिर काली दाल

।।।शीतल सिंह “माया” के दो टूक बाते।।।

दाल में कुछ काला है या दाल ही पूरी काली है | आप फिछले कुछ महीनो से देख रहे है की लगातार क्रूड आयल के दाम अंतर्राष्ट्रीय बाजार में लगातार गिरते जा रहे है | हमें तो यह संदेह हो रहा है की यह तूफान के पहले की शांति तो नहीं या पहले हमें बेफ़्कूफ बनाकर हमारी कड़ी मेहनत का पैसा लूट लिया गया अब गिरते दाम का “गुड फील” कराके पहले लुटे पैसो के मामले तो शांत बक्से में डालने का है |

आप फिर कहेंगे की हम दुबारा नकारात्मक बाते कर रहे है प्रत्येक कार्य में शंका करते है | यदि कुछ गड़बड़ हुआ तो भी क्या इसमे पब्लिक न की जनता का फायदा हो रहा है | हम आपको प्रत्येक मुद्दे पर बहस पर अधिकांश राजनेताओ या हमारी पार्टी की सरकार कहने वाले राजनेताओ की तरह भूतकाल के उदहारण देकर बहस को भटकाने या हो हल्ला करके किसी को बोलने न दे कर
, या प्रश्न पूछे आपने खाना कितनी बार खाया जवाब में सिर्फ दो बार फ्रेश होने गए कहकर समय बर्बाद नहीं करेंगे अपितु धीरे धीरे भूतकाल में ले जायेंगे या यु समझ ले प्रश्न पूछने के स्वर्णिम युग जहा जवाब देने के समय भी उल्टा प्रशन पूछा जाता है उसमे उत्तर से प्रशन बनाकर बताएँगे |

पहले क्रूड आयल के दाम मामूली से गिरते थे तो क्रूड आयल उत्पादक देशो का ओपेक समूह व कई अन्य समूह तुरंत प्रतिदिन उत्पादन दर कम कर देते थे | ये खबरे अब ऐतिहासिक गिरावट के बाद क्यों नही आ रही है | नए युग जहा “पैसा खुदा नहीं पर खुदा की कसम खुदा से कम नहीं” में इन देशो की कमाई घट जाये ये चुप रह जाये ऐसा असंभव लगता है | इसके पीछे कोई शार्ट कट या पतली गली का रास्ता निकाल कर इन्हे अलग से पैसे तो मोहया नहीं कराया जा रहा है |

पहले भी “तेल के बदले अनाज” शुरू में बहुत अच्छी स्कीम थी पर बाद में बता चला की गेम क्या खेला गया था | जब चिड़िया चुग गई खेत फिर पछवात होत क्या ? पहले दाम घटने पर खाड़ी देशो के कंगाल हो जाने का रोना रोते थे की उनका एकमात्र जीविका का रास्ता बंद हो जायेगा अब उन्हें मंदी के रसातल में क्यों धकेला जा रहा है व बड़े बड़े शक्तिशाली देश क्यों चुप है वाकई लगने लगा की चिंगम चॉकलेट से ज्यादा बिकने लगी है |

हम को खाने के बाद न तो अन्नारदाना की गोली खाते और न कायमचूर्ण लेते है सुबह सुबह तो चयनप्राश भी नहीं ले पाते क्यों की दूध ही नसीब नहीं होता है | इसलिए ये बाते हम पांच नहीं पा रहे है …………

पहले सर्दी के मौसम में ठण्ड बढ़ जाने पर पश्चिमी देशो के अंदर कच्चे तेल की मांग बढ़ जाती थी व बाजार में इनके भाव भी डॉलर में पर बैरेल पर | आधिकारिक खबरों के अनुसार सर्दी रिकॉर्ड तोड़ रही है पर इनकी डिमांड नहीं बढ़ रही है हमें तो यह समझ नहीं आ रहा की जनसंख्या दर उप्पर की और बढ़ रही है पर डिमांड नहीं वाकई चमत्कार है क्या ?

कई नए युग के आधुनिक बाबा व संतो के छुकर देने वाला आशीर्वाद !

प्रयेक महीने शेयर मार्किट में ऑटो मोबाइल इंडेक्स उप्पर बढ़ रहा है | प्रत्येक माह लाखो की संख्या में नई बाइक व गाड़िया रोड पर उत्तर रही है | सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार वर्षो पुरानी गाड़िया जो कानून अवैध है वो भी रोड पर दौड़ रही है पर कच्चे तेल की डिमांड घट रही है वाकई यह रहस्य जानने का विषय है की गाड़िया चल कौन से ईंधन से रही है |

पहले पेट्रोल डीज़ल पर पैसो में भाव बढ़ जाने पर बसो, ट्रेनों व ट्रांसपोर्ट का किराया बढ़ जाता था, आये दिन रिक्शे, सवारी गाड़ियों की बेमियादी हड़ताल हो जाती थी अब ऐसा कुछ नहीं ! पेट्रोल – डीजल के भाव अब सेकड़ो पैसो में घट रहे है पर इनके किराये पर असर की कोई खबर नहीं वाकई जमीन के उप्पर आसमान की दिशा में खड़ा खोदकर उससे तेल निकालने वाली बात है |

अब सरकार बदल गई कंप्यूटर भी प्रतिदिन बनने वाले रोड में चार गुना इजाफा बताने लगे है पर गाड़ियों का मैन्टीनेन्स बढ़ता जा रहा है वाकई इस पर 5 -10 हजार करोड़ खर्च करके लम्बी रिसर्च करके मालूम करने का बड़ा मुद्दा है |

पहले आम सहमति से संसद में मंत्री, सांसदों व विधानसभाओ में राज्य के मंत्रियो व विधायको का महगाई भता बढ़ जाता था अब प्रत्येक माह महगाई दर, थोक मूल्य भाव का इंडेक्स आदि घट रहा है पर इनका महगाई भता मूछें ताने खड़ा है हमे पता नहीं पिछली तारीख से आगे पैसे सैलरी से काटने की सरकारी योजना है क्या और जो रिटायर्ड हो गए व परलोक चले गए वह बड़ा उडनदस्ते की गाड़िया भेज कर पैसे पेनल्टी के साथ वसूलने की दूरगामी महत्वकांशी योजना है |

पहले अखबारों में पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ जाने की खबर के साथ बगल में चिपकी हुई खबर किसी न किसी क्षेत्र के सरकारी कर्मचारियों के महगाई भत्ते बढ़ने की होती थी पर आजकल ऐसा कुछ नज़र आता नहीं |

प्राइम टाइम, टी – टाइम, इवनिंग टाइम, लंच टाइम, डिनर टाइम, मॉर्निंग टाइम के प्रवचनों में आने वाली बहस / चर्चा / विश्लेषण के महान विशेषज्ञों से हमने पुछवाया तो उन्होंने कैमरा बंद करके बताया की अब सरकारी विज्ञापन वो भी कलर फोटो वाले ज्यादा आ रहे है क्यों की अच्छे दिन आ गये इसलिए खबरों की जगह ही नहीं बचती व पेट्रोल डीजल के भाव काम हो गए इसलिए सुबह सुबह अखबारों, पत्रिकाओं को पुराने दाम पर बेचने पर जो पैसे बच रहे है उससे नो गारंटी नो वारंटी व चल गए तो चाँद तक नहीं चले तो शाम तक वाले चाइना के गिफ्ट फ्री में बटकर लोगो को भी गुड फील करा रहे है |

21वी सदी कहने को विज्ञान का युग है अब जय विज्ञान का नारा बच्चे बच्चे को पोलियो ड्रॉप्स की तरह पिला डाला इसलिए भविष्य बताने वाले बाबाओ, ज्योतिषियों, काल दर्शियों की कमी हो गई नहीं तो अब तक राशियों की खेल, इनके दूसरे, तीसरे, सातवे भाव की टेडी चालो, मित्र व दुश्मन राशियों के मिलन की खबरे घनघोर कोहरे की भाती सुबह सुबह छाई मिलती की कैसे पेट्रोल डीजल के दाम घटे व देश की कुंडली में कोनसा योग बना है |

अभी अभी खबर आई है की पहले पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ने पर सरकारी ठेकेदारो को इंसेटिव के रूप में पैसा बढाके मिलता था अब बदले हालत में पैसा काटकर मिलेगा देने के आदेश पर किसी सिरफीरे मंत्री ने स्टे लगवा दिया ……………. हम निकलते है व इस खबर की पुस्टि करके लाते है……….

(नोट- उपरोक्त लेख लेखक का अपना विचार है।)

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