इसमें से 12 लाख से अधिक के पास अपनी इमारत नहीं है। करीब 70 फीसद केंद्र तो किराए के परिसरों में संचालित हो रहे हैं।
महिला और बाल विकास मंत्रालय ने इस संबंध में ग्रामीण विकास विभाग को पत्र लिखा है। इसमें आंगनवाड़ी केंद्रों के लिए इमारत की कमी को पूरा करने के लिए निर्माण नियमावली में संशोधन करने को कहा गया है। इसके पहले 11 राज्यों के सर्वाधिक पिछड़े 2,534 ब्लाकों में हर साल 50 हजार आंगनवाड़ी केंद्र बनाने का प्रस्ताव था।
महिला और बाल विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “आंगनवाड़ी केंद्रों के लिए इमारतों की भारी कमी है। इसलिए इमारतों की कमी को पूरा करने के लिए मनरेगा और आइसीडीएस जैसे दूसरे क्षेत्रों को भी निर्माण कार्य में शामिल किए जाने की जरूरत है।” उन्होंने बताया कि कमी को दूर करने के लिए हर साल एक लाख आंगनवाड़ी केंद्र बनाए जाने की जरूरत है। इस योजना को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) और एकीकृत बाल विकास योजना (आइसीडीएस) से आंशिक वित्त पोषित किया जाएगा। योजना को महिला और बाल विकास मंत्रालय, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय मिलकर अमलीजामा पहनाएंगे।
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