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आगरा पुलिस कप्तान साहेब- एक नजर इधर भी।

आगरा। शीतल सिंह माया। पैसा और पॉवर कुछ भी कर सकता है। इसका आज एक जीता जागता उदहारण आज आगरा में देखने को मिला जब हत्या के मामले में 14 साल से अदालत में गैर हाजिर चल रहे पुष्पांजलि ग्रुप के चेयरमैन बीडी अग्रवाल को अदालत में हाजिर होने के बाद जेल भेजने के आदेश हो गए। पुलिस ने उन्हें हवालात में नहीं रखा। पुलिसकर्मी सीधे बाइक से जेल ले गए। यदि आम जनता का कोई अपराधी होता तो शायद पुलिस का व्यवहारआर कुछ और ही होता। शहर में इस घटना चर्चा है कि कैसे कानून और नियम पॉवर के सामने ताख पर धर दिए जाते है।

हुवा कुछ ऐसे कि जमानत खारिज होने के बाद अधिवक्ताओं और परिजनों से घिरे बिल्डर के पास दो सिपाही थे। सामान्य कैदियों को पुलिस कोर्ट के आदेश के बाद हवालात में डालती है। पुलिस की गाड़ी से उन्हें जेल ले जाया जाता है, जबकि बीडी अग्रवाल को अदालत के बाहर से पहले तो उनके साथ मौजूद लोगों ने ही बाइक पर बैठा लिया। बाद में दो सिपाहियों ने अपनी बाइक पर बिल्डर को बैठाया और जेल लेकर पहुंचे। बिल्डर के पीछे लग्जरी गाड़ियों का काफिला जेल तक गया। जेल के गेट में घुसने के बाद भी काफी देर तक वे वहां खड़े रहे।
हत्या के मामले में कानून से बचने को बीडी अग्रवाल ने हर हथकंडा अपनाया। मुकदमा दर्ज होने के बाद हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर स्टे लिया। सीबीसीआइडी ने अपनी जांच में बिल्डर को आरोपी माना। फिर जांच कराई, तो उसमें भी आरोप सिद्ध हुए। सीबीसीआइडी की तीसरी जांच में बीडी अग्रवाल को बाहर कर दिया गया। हाईकोर्ट ने 2009 में आदेश दिया कि बीडी अग्रवाल कोर्ट में हाजिर हों, इसके खिलाफ बिल्डर ने वर्ष 2010 में सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई। जून 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। इस तरह कानून से बचने को बिल्डर ने 14 साल तक बाहर रहकर बचने का हर संभव प्रयास किया, लेकिन आखिरकार जेल जाना ही पड़ा।
इस मामले में बहादुर सिंह, विनोद जादौन, सियाराम सिंघल, कोमल स्वरूप शर्मा, सुरेंद्र और शेरा पहलवान गिरफ्तारी के बाद जेल जा चुके हैं, जबकि प्रताप सिंह को कोर्ट में समर्पण करने के बाद जेल भेजा गया था।
सिकंदरा-बोदला रोड पर चार हजार वर्ग गज के भूखंड पर कब्जे को लेकर हुई करीब 200 राउंड फाय¨रग में खतैना निवासी छोटे खां की मौत हो गई थी। पुलिस की ओर से दर्ज मुकदमे में प्रमोद भार्गव पक्ष के नौ और बीडी अग्रवाल पक्ष के 11 लोग नामजद किए गए थे।
अब प्रश्न यह उठता है कि क्या आगरा प्रशासन दो प्रकार का नियम चला रहा है। आम जनता के हेतु अलग और धनबली हेतु अलग। देखना ये है कि पुलिस कप्तान आगरा इसका क्या संज्ञान लेते है।
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