तारिक़ आज़मी की कलम से
क्या आप चंद्रकला को जानते है। हा वही चन्द्रकला जिनकी सेल्फ़ी फ़राज़ ने ली और जेल चला गया। उसकी सात पीढ़ियों में कोई जेल नहीं गया होगा। तोड़वा दिया रिकार्ड मैडम ने उससे। जो 7 पीढ़ी मिलकर नहीं कर पाई उसको एक क्लिक पर करवा दिया। भेज दिया जेल। जी वही चन्द्रकला जिनको एक सेल्फ़ी लेना इतना बुरा लगा कि उस लड़के को जेल भेज दिया और खुद रोज़ ब रोज़ अपनी एक पिक सोशल मिडिया पर ज़रूर पोस्ट करती है। अब आप सोच रहे होंगे तो ऐसा क्यों किया। अरे भाई जिलाधिकारी है। उनका ज़िला है उनकी मर्ज़ी है वो चाहे 100 सेल्फ़ी ले मगर फ़राज़ को अपनी औकात में रहना चाहिए था न। आखिर चन्द्रकला जी बुलंदशहर की बुलंद जिलाधिकारी है।
तो क्या हुवा अगर लोग दावा करते है कि मैडम ने कुछ दिन पहले उस लड़के फ़राज़ को सेल्फ़ी दी थी। अब एक सेल्फ़ी दे दी तो क्या हुवा ?
और सबसे बड़ा अपराध तो उस पत्रकार सुमन ने कर दिया। पहली बात क्यों फोन किया उसने ? पता नहीं था कि वो सिर्फ एक पत्रकार है और जिसको वो फ़ोन कर रहा है वो बुलंदशहर की बुलंद ज़िलाधिकारी है। हिम्मत कैसे हुई ? क्या पता नहीं था? तो बस एक फ़ोन पर पता चल गया न कि कितनी बुलंद है जिलाधिकारी। बता दिया न। दिया खूब धमकी। बताया न उनके पास ऐसे दबंग है जिनको भेज कर घर में सेल्फ़ी खीच लेगी। उनके पास ऐसे लोग है जो घर में घुस कर किसी महिला की सेल्फ़ी ज़बरदस्ती खीच सकते है। खुल्लम खुल्ला बताया न कि फ़ोन रेकार्डिंग पर वो बोल रही है अब लिख कर दिखाओ फिर बताती हु।
क्या बताया जाय पत्रकार भी बड़ा ज़िद्दी निकला। लिख ही दिया मैडम के खिलाफ। बस मैडम को फिर गुस्सा आ गया। लिखवा दिया मुकदमा पत्रकार के भी खिलाफ। अब बोल बच्चा क्या कर लेगा? ये तो कुछ भी नहीं मैडम ने तत्काल अपनी चाटुकारिता करने वाले सामाजिक संगठनों की एक बैठक बुलवाई और अपने इस बहादुरी भरे कार्य के लिए खुद को प्रमाणपत्र भी जारी करवा दिया। अब बताओ पत्रकारो क्या कर लोगे।?
मैडम ने दिखा भी दिया। पुरे शहर का कूड़ा उठवा कर जागरण कार्यालय के बाहर लगवा दिया। जनता को मैडम शायद अपनी जूतियों के नीचे ही समझती है। भाई उनके अनुसार झगड़ा जागरण से था तो फिर आम जनता का क्या दोष। मगर मैडम है वो कुछ भी कर सकती है। और कर भी दिया बताओ क्या कर लोगे। अख़बार वालो ने पालिका के साहेब को फ़ोन किया तो साहेब ने तत्काल बताया मैं शहर के बाहर हु। बस कर्त्तव्य ख़त्म आम जनता के प्रति उनका। मगर मैडम हम पत्रकार जनता के सुख दुःख का ध्यान रखते है। जिस अख़बार के दफ्तर के बाहर आपने कूड़ा फिंकवाया। वही फेकने वालो को उसी अख़बार के लोगो ने पैसा देकर साफ करवा दिया। वैसे मैडम आप तो बच्चों वाली हरकते कर रही है। कुछ न कर पायी तो कूड़ा ही फिकवा दिया क्या बात है ?
मगर मैडम शायद आप भूल गई है। हम पत्रकार है। हम यही रहते है अधिकारी तो आते जाते रहते है। किरायदार है मैडम आप भी इस शहर में। असली मकान मालिक तो हम है। आप बस ऐसे ही किरायदार है कि जिसको मकान किराया पर मिला और वो उसपर मालिकाना हक़ समझने लगा अपना। फिर चला न्याय का चक्कर बोरिया बिस्तर लेकर किरायदार बाहर मकान से। मैडम ये संसार फेसबुक की मायावी दुनिया नहीं है। यहाँ सच चलता है मैडम। सच हम है। कटु सत्य है। हम लोकतंत्र के वो चौथे स्तम्भ है जो बहुत छोटी सी हयात लेकर पैदा होता हु। चद लम्हों में ही या तो रद्दी में तब्दील हो जाते है या फिर गद्दी हिला देते है। हमारी हैसियत को कम आंकने की गलती न कीजिये मैडम।
वैसे हैसियत से याद आया कि 2012 तक सुना है आपके पास संपत्ति सिर्फ 10 लाख की थी अब चर्चा है कि करोडो की संपत्ति है आपकी। हा याद आया मैडम चर्चा ये भी है कि आपने अपनी संपत्ति का अभी तक विवरण नहीं जमा की है। ओह शायद लिखने में वक्त लग रहा है।
वैसे मैडम मुकदमा तो आपके ऊपर भी होना चाहिए क्योंकी आप पत्रकार को धमकी दे रही थी। मगर मैडम आपकी शिकायत कौन सुनेगा। अब देखिये आप खुद स्वीकार करती है उस पत्रकार से फ़ोन पर कि आपके पास ऐसे है बहुत से जो उसके घर में घुस कर सेल्फी ले लेंगे। यानि मैडम अगर आम बोल-चाल की भाषा में आपके पास गुंडे है। ऐसे लोगो को गुंडे ही तो कहते है मैडम।
अब क्या कहे मैडम ये आल इंडिया रिपोर्टर्स एसोसिएशन (आइरा) ने आपके इस कृत्य को आइरा के चेयरमैन तारिक़ ज़की ने इस घटना पर कड़े शब्द में निंदा की है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि तत्काल ऐसी जिलाधिकारी के ऊपर सख्त से सख्त कार्यवाही करे।
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क्या उस डीएम का गुनाह इतना ही है कि वो एक महिला है? अगर कोई लड़की अपनी फोटो को हर रोज fb पर पोस्ट करती होगी तो उसके साथ कोई भी व्यक्ति अपनी सेल्फ़ी खींचने का अधिकार प्राप्त कर लेगा? ये जेहादी प्रवर्तियां बंद कर दो। क्या अब डीएम साहिबा को भी लव जेहाद में फंसाना चाहते हो?
हेमंत जी,
प्रसन्नता यह जानकार हुई की मेरा लेख आखिर पहुच गया बुलंदशहर तक धन्यवाद आपके शब्दों का।??
बी. चंद्रकला, एक नाम जो किसी पहचान का मोहताज नहीं हैं. बी. चंद्रकला एक नाम जिसे उत्तर प्रदेश के बईमान लोग डरते हैं. बी. चंद्रकला जिन जिलों में उनकी पोस्टिंग हुई, वहां भी अपने कामों के लेकर वह हमेशा चर्चा में रहीं। हमीरपुर डीएम रहने के दौरान स्कूली छात्राएं उन्हें 'डीएम दीदी' कहकर पुकारती थीं। वहीं, मथुरा में कड़क मिजाज के कारण उनकी पहचान 'लेडी सिंघम' के रूप में होने लगी थी.
बुलंदशहर में भी उन्होंने विकास कार्यों में भ्रष्टाचारियों के खिलाफ मोर्चा खोलकर अपनी खास पहचान बना ली है। अपनी विकासपरक सोच की वजह से वह महिलाओं के बीच लोकप्रिय हुई हैं। उनकी लोकप्रियता की सबसे बड़ी वजह जनता और खुद के बीच के फासले को कम करना रहा है। वह जनता की समस्याएं बंद कमरे की बजाए ऑफिस के बरामदे में सुनना पसंद करती हैं।
अचानक ऐसा क्या हुआ की कल तक जो सबकी चहेती बुलंदशहर की शान डीएम बी. चंद्रकला, वो अब सभी को खटकने लगी हैं. कल तक जो मीडिया उनकी तारीफों के पुल बांधती थी वो उन्हें नायिका से खलनायिका दिखने लगी. ईमानदार छवि वाली इस महिला आईएएस मे मीडिया दबंगई देखने लगी. कल तक जो कार्यशैली पसंद थी अब वो खटकने लगी. क्यों ?
कारण शायद ये हैं की एक युवक फरहान ने उनके साथ जबरन सेल्फी लेने की कोशिश की वो भी तब जब वो गांव कमालपुर के बारे में मीटिंग कर रही थीं वो भी ग्रामप्रधान और अफसर के साथ। जब उसे मना किया गया और कलेक्ट्रेट से बाहर निकाल दिया गया तो उसने हंगामा शुरू कर दिया। उसे शांतिभंग की धाराओं में जेल भेज दिया गया। वहां वह तीन दिन रहा। शुक्रवार को आरोपी के परिजनों के निवेदन पर डीएम ने उसे माफ कर दिया। फिलहाल वह बेल पर रिहा हो गया है.
कुछ लोगों को ये बात इतनी बुरी लगी की खास तौर पर वर्ग विशेष को. देखिये वो अपना गुस्सा डीएम पर कैसे निकलने हैं. "मगर मैडम शायद आप भूल गई है। हम पत्रकार है। हम यही रहते है अधिकारी तो आते जाते रहते है। किरायदार है मैडम आप भी इस शहर में। असली मकान मालिक तो हम है। आप बस ऐसे ही किरायदार है कि जिसको मकान किराया पर मिला और वो उसपर मालिकाना हक़ समझने लगा अपना। मैडम ये संसार फेसबुक की मायावी दुनिया नहीं है। यहाँ सच चलता है मैडम। सच हम है। कटु सत्य है। हम लोकतंत्र के वो चौथे स्तम्भ है जो बहुत छोटी सी हयात लेकर पैदा होता हु। चद लम्हों में ही या तो रद्दी में तब्दील हो जाते है या फिर गद्दी हिला देते है। हमारी हैसियत को कम आंकने की गलती न कीजिये मैडम।"
घोडा कितना भी अच्छा हो उस पर लगाम होना चाहिए। लगाम ना होने पर घोडा नियंत्रण में नही रहता ठीक वैसे मीडिया भी. कुछ चन्द भ्रस्ट पत्रकारों ने पूरी मीडिया को बदनाम कर रखा है और मीडिया को नेताओ की रखैल बना दिया हैं.
और नेता तो वैसे भी बदनाम हैं. राजनीती का तकाजा हैं की सत्ता मिलने के तीन साल तक मलाई खाओ. फिर दो चार अधिकारीयों को दंड दो, कार्यकर्त पर क्रोध निकालो, दो चार अच्छी स्कीम निकल कर जनता को मुर्ख बनाने की कोशिश की जाएगी। २०१७ में उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव हैं. साल भर से भी कम समय बचा हैं कमाने के लिए और अगले चुनाव में खर्च होने वाले धन के लिए. ये जानते हैं की जब तक बी. चंद्रकला जैसे डीएम जिले में रहेंगी तब तक इनका कुछ होने वाला नही हैं. चाहे वो नेता किसी भी पार्टी का हो। राजनैतिक हमाम में सभी नंगे हैं और अपना स्वार्थ को पूरा करने के लिए मीडिया जैसे सख्त हथियार का दुरूपयोग ईमानदार अधिकारीयों का मनोबल तोड़ने के लिए करते हैं.और सभी दलों की तरह बीजेपी के कुछ जिला स्तरीय पदाधिकारी भी उनका विरोध कर रहे है /और मैं उन सभी नेताओ का खुले शब्दों में विरोध करता हूँ /
इस मुद्दे पर मेने बीजेपी के वरिष्ठ नेता मा० आशीष वत्स जी व् अन्य नेताओ से फोन पर विस्तार से चर्चा की और इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुजारिश की , और कहा की अगर बीजेपी इस मुद्दे पर शांत रही तो मैं बीजेपी का भी विरोध करुँगा / इस मामले में उन्होंने हमारा साथ देने का वडा किया है / शिकारपुर विधानसभा के सभी साथियो से मेरा निवेदन है की मेरा साथ दें और डीएम साहिबा को डटे रहने का होसला प्रदान करें / बाकि तो हम २०१७ के चुनाव में देख ही लेंगे /
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आपका सेवक
गौरव भारद्धाज हलपुरिया
8745929111