वाराणसी। नीलोफर बानो। महिलाओ की रक्षा की मांग आम जनता लगातार करती रहती है। मगर जब उनकी आँख के सामने किसी महिला पर कोई पुरुष उत्पीड़न कर रहा हो तो हमारा पुरुष समाज सिर्फ मूकदर्शक बना रहता है। अगर कोई किसी मर्द को भी बीच सड़क पर पिटाई करना चाहे तो कचहरी के पास असंभव सी बात हो जाती है। मगर आज ये संभव हुवा वो भी एक महिला के साथ। महिला को कुछ पुरुष पीटते रहे और जनता मूकदर्शक बनकर देखती रही।
घटना आज दोपहर वाराणसी कचहरी के ठीक सामने स्टेट बैंक के बाहर ऑटो स्टैंड की है। सैकड़ो मर्द खड़े देखते रहे और एक महिला मार खाती रही। दस कदम पर पुलिस चौकी मगर कोई उसकी सहायता को नहीं आया।
हुवा कुछ यु कि करौंदी निवासिनी सीमा यादव का विगत 6 वर्षो से अपने पति खोजवा निवासी विनोद यादव से मुकदमा चल रहा है। आज उसी मुक़दमे में तारीख थी। पीड़िता मुक़दमे में तारीख लेकर अपने घर जाने के लिए कचहरी परिसर से बाहर आकर ऑटो पर बैठ गई। पीड़िता का आरोप है कि उसी समय अपने अधिवक्ता के जूनियर वकीलो के साथ उसका पति और जेठ आये और लात घुसो एवं जूते चप्पल से उसकी पिटाई करना शुरू कर दिया। चर्चाओ और आरोपो को आधार माने तो महिला को जब बचाने के लिए कुछ युवक आगे बढे तो कुछ अधिवक्ताओ के कपडे पहने लोगो ने उनको बीच में रोक दिया। पिटाई से महिला बेसुध हो गई। पीड़िता का आरोप है की 100 पर फ़ोन करने के बाद भी पुलिस सहायता नहीं मिली तब पीड़िता कचहरी पुलिस चौकी खुद पहुची। मगर चौकी इंचार्ज ने उसकी सहायता नहीं की।
इस प्रकरण में पीड़िता ने आरोप लगाया है कि मार पीट में उसकी गले की चैन भी आरोपी लेकर चले गए मगर प्रार्थना पत्र में कैंट थाने के पुलिस ने चैन गायब होने का ज़िक्र नहीं किया और इसको न लिखवाने की सलाह पीड़िता को दी। समाचार लिखे जाने तक पीड़िता का चिकित्सीय परिक्षण हो चूका है। पुलिस मुकदमा दर्ज कर रही है।
इस घटना के सम्बन्ध में जब चौकी इंचार्ज कचहरी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि महिला ने पहले हाथ उठाया था। अब प्रश्न यह पैदा हो रहा है कि सम्बंधित चौकी इंचार्ज इस घटना में यह जानकारी बिना विवेचना के कैसे दे रहे है कही आरोपी पक्ष के अधिवक्ताओ द्वारा उनको सुनाया गया घटनाक्रम को वह आधार मानकर यह बयान दे रहे है अगर ऐसा है तो फिर क्या विवेचना निष्पक्ष होगी यह एक बड़ा प्रश्न है। पीड़िता की माने तो उसको पिटवाने में आरोपी के अधिवक्ताओ का योगदान है।