लेकिन गरीब होने के कारण वह जुर्माना राशि अदा करने में सक्षम नहीं हैं। जुर्माना राशि न अदा कर पाने के कारण वह जेल में सजा काटने को मजबूर हैं। इसे भाग्य की बिडम्बना समझकर वह चुपचाप जेल की सलाखों के पीछे अपना जीवन बिता रहे हैं। जेल प्रशासन का कहना है कि यदि वह जुर्माना राशि जमा कर दें तो वह तत्काल छूट सकते हैं। ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस ने आगे आकर मंगलवार को एक गरीब कैदी का जुर्माना भर कर उसे आजाद करा दिया।
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