आगरा। कुलदीप। विविकर्मी हत्याकांड में मैनपुरी के कॉलेज संचालक पर पुलिस ने शिकंजा कस दिया है। पर्याप्त सुबूत मिलने पर पुलिस ने विवेचना में कॉलेज संचालक ओमेंद्र यादव का नाम खोल दिया। उसके कोल्ड स्टोरेज सीज करने के बाद अब बैंक खातों को सीज करने की तैयारी है। गिरफ्तारी को पुलिस ने उसके घर और रिश्तेदारियों में डेरा जमा लिया है।
शाहगंज के ग्यासपुरा निवासी विविकर्मी सतेंद्र पाल सिंह की 12 फरवरी को पालीवाल पार्क में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। सनसनीखेज वारदात के बाद मैनपुरी के कॉलेज संचालक ओमेंद्र यादव पर शक गहरा गया था। कॉलेजों की फीस के फर्जी ड्राफ्ट लगाकर लॉगिन खुलवाने को लेकर उसकी सत्येंद्र से तनातनी चल रही थी। इंस्पेक्टर हरीपर्वत ने हत्या की विवेचना में ओमेंद्र यादव का नाम खोल, एससीएसटी एक्ट की धारा भी बढ़ा दी है। अब मामले की विवेचना एएसपी हरीपर्वत अनुराग वत्स कर रहे हैं। पुलिस ने मैनपुरी जाकर आरोपी का आपराधिक रिकॉर्ड खंगाला तो उसके खिलाफ पुलिस पर हमले और हत्या के भी मुकदमे दर्ज निकले। उसके मैनपुरी में पांच कॉलेज, दो कोल्ड स्टोरेज हैं और कई घर हैं। पुलिस ने सभी स्थानों पर छापे मारकर गिरफ्तारी के प्रयास किए, लेकिन वह हाथ नहीं आया। कॉलेज संचालक के परिजन भी फरार हैं। पुलिस ने ओमेंद्र की ससुराल फर्रुखाबाद में दबिश देकर रिश्तेदारों पर शिकंजा कस दिया है। एसपी सिटी सुशील घुले ने बताया कि आरोपी ओमेंद्र यादव के बैंक खातों को सीज कराया जा रहा है। जल्द ही कुर्की की प्रक्रिया भी शुरू कर दी जाएगी।
प्लेन पेपर पर सत्येंद्र की नोटिंग से खुला मामला
घटना के समय सत्येंद्र के स्कूटर की डिग्गी से पुलिस ने तमाम पेपर बरामद किए थे। इन्हीं में एक प्लेन पेपर पर नीचे के कोने में सत्येंद्र ने नोटिंग कर रखी थी। इसमें ओमेंद्र के दो कॉलेजों के कोड लिखने के बाद लिखा था कि प्रबंधक ने फर्जी ड्राफ्ट दाखिल कर बंद आइडी खुलवा ली है, कार्रवाई करनी है। पुलिस ने यह पेपर विवि अधिकारियों को दिखाया तो हत्याकांड का सुराग मिल गया, फिर कड़ियां जुड़ती गईं।
रात को ही गायब हो गया परिवार
ओमेंद्र का आगरा में भी एक घर है। पुलिस को रात में हत्याकांड में उसके शामिल होने का सुराग मिला तो उसके घर पर दबिश दी। उसके घर पत्नी के साथ छह माह और दो साल के बेटे थे। पुलिस ने ओमेंद्र के बारे में पूछा तो पत्नी ने घर में होने से इन्कार कर दिया। पुलिस घर से थोड़ी दूर पहुंचने के बाद दोबारा उसके घर गई तो पत्नी भी घर से गायब हो गई। इसके बाद किसी भी घर में परिवार का कोई सदस्य पुलिस को नहीं मिला। इससे पुलिस का शक और पुख्ता हो गया।
विवि में ओमेंद्र के भेदिए
पांच साल पहले विश्वविद्यालय में दलाली करने वाले ने कम समय में ही अकूत संपत्ति अर्जित कर ली। उसके विवि में भेदिए हैं। इसीलिए पुलिस के मूवमेंट की पल-पल की खबर उस तक पहुंच रही है।
तीन दिन में गिरफ्तारी न हुई तो आइजी का घेराव: कठेरिया
विवि कर्मी हत्याकांड में केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री डॉ. रामशंकर कठेरिया ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि आरोपी का नाम खुलने के बाद भी पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर रही है। यदि तीन दिन में गिरफ्तारी नहीं हुई तो भाजपा और विवि कर्मचारियों के साथ मिल कर आइजी का घेराव करेंगे।
फर्जी ड्राफ्ट मामला दबाने की कोशिश
ओमेंद्र के पैरवीकार कोशिशों में जुटे हैं कि उसके फर्जी ड्राफ्टों का मामला दबा दिया जाए। यदि ऐसा न हुआ तो उस पर विवि के साथ फर्जीवाड़े का एक मुकदमा और दर्ज हो जाएगा। सूत्रों के अनुसार फरार ओमेंद्र के रिश्तेदार पुलिस पर सत्ता का दबाव बनाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। एक फोन भी आ चुका है परंतु मामला बहुत गंभीर है। यही नहीं सतेंद्र की मौत में न्याय न होने पर एससी-एसटी कर्मचारी मामले में नाराज हो सकते हैं।