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तारिक़ आज़मी की कलम से कड़वा सच- बरेली के कप्तान साहेब विभागीय बात सोशल मीडिया पर कैसे आई

बरेली। तारिक़ आज़मी। मैं तो कलम का गुलाम हु, कलम जो कहेगी वही करूँगा। अब बाते सच लिखना है तो कुछ को कड़वी लगेगी। अब कड़वी लगती है तो क्या किया जाए हम मजबूर तो कर नहीं रहे पढ़ने के लिए। आपकी मर्जी साहेब आप मत पढ़ो पढ़ना है तो कड़वी बात भी पढ़ना पड़ सकता है। अब पढ़ ही रहे है तो कड़वी सच्चाई की शुरुवात करते है। कड़वी सच्चाई यह है कि अपने मुल्क के हालात ऐसे हो गए है कि हर मुद्दे को भी धार्मिक चश्मा लगाकर देखते है। आइये इस चश्मे को उतार कर बरेली के एक घटना को जो कल से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है कुछ कड़वा कड़वा सच देखा जाए।
आपको पहले घटना के सम्बन्ध में बताते है कि बरेली के एक कांस्टेबल ने 15 फरवरी को एक बंजर बस्ती में दबिश देकर प्रतिबंधित जानवर काटते हुवे पकड़ा। ऐसा कान्सटेबल साहेब का कहना है।
इसका अभी तक कोई पुख्ता सूत्र हमारे पास नहीं है कि कांस्टेबल साहेब ने पकड़ा या नहीं। ऐसा कहना है कांस्टेबल का। जब इस दबिश की सूचना चौकी इंचार्ज को मिली तो चौकी इंचार्ज ने उनको अपने लहजे में बात शुरू की। इस वाइस रेकार्डिंग को मैंने भी सुना। कहने को कई लोगो ने कहा की दरोगा ने दबंगई की। बात सही भी है दरोगा ने अपशब्दों का प्रयोग किया मगर एक साफ़ सुथरी बात ये भी है कि साहेब झटका परेड वाली बाते शुरू पहले किया कान्सटेबल साहेब ने। बहुत ही झटके के साथ उनकी बातो की शुरुवात हुई।
हम जानते है या शायद नहीं जानते है कि किसी कांस्टेबल का कितना अधिकार होता है। पुलिस मैनुवल की बात करे अथवा आईपीसी अथवा सीआरपीसी की कही भी किसी घटना पर अकेले खुद के विवेक पर किसी कांस्टेबल को दबिश देने का अधिकार नहीं है। फिर आदरणीय सिपाही जी ने किस आधार पर किस नियम के तहत ऐसा किया कि बंजारे बस्ती में बिना अपने उच्चाधिकारी के संज्ञान के दबिश दी। अगर वहा प्रतिबंधित जानवर काटा जा रहा था तो अपने सिनियर को इसकी सूचना क्यों नहीं दी यह भी समझ के बाहर है, इसके अतिरिक्त सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न है कि आखिर दो लोगो के बीच हुई विभागीय बात कैसे सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। किसने इसका पहला सूत्र सोशल मीडिया पर डाला इसकी जांच होना शायद आवश्यक होगा।
अब आइये उस वॉइस क्लिप की बाते आपको बताते है। आपको बता दे की मामला बरेली के शाही पुलिस स्टेशन की दुनका चौकी का है। बीते 15 फरवरी को दुनका चौकी क्षेत्र के एक गांव में सिपाही भारत सिंह ने प्रतिबंधित पशु वध पकड़ा यह दावा सिपाही का है। इस पर चौकी इंचार्ज अनवर खलील ने भारत के मोबाइल पर फोन करके बात क़ी। दरोगा का कहना है कि चौकी पर जनता ने घेराव कर दिया था उनको संतुष्ट करने के लिए ऐसा करना पड़ा।
आपको संज्ञान दिलाते हुवे बताते चले कि कुछ महीने पहले फरीदपुर थाने में तैनात दरोगा मनोज मिश्रा की पशु तस्करों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस हत्याकांड की गूंज प्रदेश सरकार तक पहुंची थी। वारदात में पुलिस पर पशु तस्करों से सांठगांठ और मनोज मिश्रा की हत्या कराने के भी आरोप लगा था। आइये आपको वायरल हुआ बातचीत का ऑडियो की बातचीत बताते है।
बात कुछ इस प्रकार शुरू हुई-
दरोगा– यार भारत सिंह ये क्या चौकी पर बदतमीजी कर रहे हो। ये लोग … मीट काटेंगे तो इनकी…. कर देंगे, ये क्या बदतमीजी है।
सिपाही– घर से पकड़ा है बंजारे काट रहे हैं सर।
दरोगा– अरे भाई, यार देखो तुम न तो पकड़ सकते हो और गलतफहमी अपने दिमाग से निकाल दो।
सिपाही-……..(लूज़ टाक)
दरोगा– अरे बात अपनी औकात में रहकर कीजिए। ये मत भूलिए, यदि लूज टॉक करोगे तो पुलिस स्टाफ कुछ नहीं करेगा। जूते पड़ते-पड़ते शक्ल नहीं पहचानी जाएगी। ये क्या तुम्हारे बाप के है… एक मिनट में… करके तुम्हारे हाथ में देंगे। 50 लोग चौकी पर खड़े हैं, कहो तो भेज दूं अभी, अपनी औकात में रहो, अपनी औकात मत भूलो सिपटिया की, मुझे आग नहीं लगवानी दुनका में, तुम्हारी औकात नहीं, इनकी….काट लो।
सिपाही– बीच-बीच में जी-जी कहते हुए बात कहने की कोशिश करता रहा फिर, इसमें सब रिकार्डिंग हो रही है, मैं कप्तान साहब को सुनाऊंगा वगैरह के साथ सिपाही का अपना तल्ख़ लहजा भी था।
दरोगा– रिकॉर्डिंग में भर गया, तुम कप्तान को सुना देना, तुम इनकी ….नहीं काट सकते यहां, सुना दो कप्तान को, जहां तुम्हारा जिगर है जाओ, मै तुम्हारा दिमाग दुरुस्त कर दूं, एक मिनट में।
सिपाही– जी सर
दरोगा– कहो तो इनको भेज दूं तुम्हारे पास, अपनी औकात मे रहकर नौकरी कीजिए बस।
सिपाही– एेसा है सर औकात की बात करो।
दरोगा– ऐसा वैसा न कर, कर ले रिकॉर्डिंग और सुना दे जाकर कप्तान को। शक्ल नहीं पहचानी जाएगी, एक मिनट में अभी, बहुत दादागिरी हो गई। बहुत सहन कर लिया। इससे ज्यादा मैं तुम्हे सहन नही करुंगा, और सबसे पहले मैं ही आकर मारुंगा, कर ले ये रिकार्ड।
सिपाही– क्या कह रहे हो? अरे सर किसे मारोगे।
दरोगा- तुझे मारुंगा और किसे।
सिपाही– अरे, अगर तुम्हारी ….में दम हो तो आ जाओ मार लो।
दारोगा– गाली लगातार गाली……..

(नोट- कुल तीन मिनट 50 सेकेंड बातचीत है। जहां डॉट लगा है, वहां गाली का प्रयोग हुआ है।) 

सूचना के अनुसार इस प्रकरण की जानकारी डीआईजी को होने पर उन्होंने इस सम्बन्ध में जांच करवाने का आदेश कर दिया है। वहीं, दारोगा अनवर खलील का कहना है कि वे सिपाही के बारे में कुछ नहीं कहेंगे। यह विभागीय मामला है। अधिकारी पूछेंगे तो सब बता दूंगा। सिपाही को उन्होंने डांटा और गालियां भी दी। पब्लिक को संतुष्ट करने के लिए ऐसा करना पड़ा।
अब प्रकरण में निष्कर्ष अथवा कार्यवाही तो जांच होने के बाद ही होगी मगर बात यही है कि आखिर ये वॉइस रिकार्डिंग वायरल कैसे हुई। क्या सिपाही को अपने विभाग और अपने कप्तान पर विश्वास नहीं था ? क्या यह वॉइस रिकार्डिंग को वायरल करना सोशल मीडिया पर सही है ? सवाल कई अनसुलझे है।
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