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वाराणसी विधान परिषद चुनाव- रोचक है चुनावी जंग

वाराणसी। तारिक़ आज़मी। विधान परिषद चुनाव की रूप रेखा तैयार हो चुकी है। सभी पर्चे वैधता का पैमाना नाप कर खरे उतर गए। अंत में आज अन्नपूर्णा सिंह ने अपना परचा वापस ले लिए जाने के बाद अब चुनावी मैदान में केवल 5 प्रत्याशी बचे है। इन प्रत्याशियों में डॉन बृजेश सिंह, सपा प्रत्याशी मीणा सिंह के बीच मुख्य मुकाबला होने की संभावना है। इस चुनावी दावपेच की बात आगे बढ़ाने के पहले आपको बताते चले कि इस चुनावी दंगल में एक अन्य मीणा सिंह ने निर्दल प्रत्याशी के तौर पर पर्चा दाखिल किया है और चुनावी समर में कूद पड़ी है। अगर चर्चाओ को आधार माना जाए तो दो एक जैसे नामो का भ्रम तैयार करने के लिए ऐसा करवाया गया है।
इसके कारण आज सपा प्रत्याशी मीणा सिंह ने अपने नाम में संशोधन दाखिल किया और अपने नाम के साथ अपने भाई का भी नाम जोड़ कर मीना सिंह मनोज करवाया है। आपको बताते चले कि विधायक मनोज सिंह के पास डॉन को हराने का पूर्व अनुभव भी है।

अब चुनावी राजनीति की बात किया जाए तो इस चुनावी समर में लोकदल के झंडे के नीचे जयराम है जो पेशे से पत्रकार है। यदि मतों का आधार जोड़ा जाए तो लगभग 150 मत लोकदल के अपने कार्यकर्ताओ का है। यदि पार्टी के नाम पर मत पड़ता है तो प्रथम वरीयता के आधार पर लोकदल का यह 150 मतों का वोट बैंक सामने दिखाई दे रहा है।
अब यदि डॉन के मतों पर चर्चा की जाय तो डॉन के खाते में भाजपा का वोट आने की संभावना है। यदि भाजपा का वोट पार्टी के निर्देश के अनुसार पड़ता है तो वह सभी डॉन के खाते में जा सकता है और दूसरा कुछ निर्दल और अन्य दलो का मत अगर डॉन के खाते में जाय तो कोई अचम्भे की बात नहीं होगी। यदि मत प्रतिशत की बात की जाए तो पार्टी के आधार पर यह मत प्रतिशत डॉन को जिताने के लिए काफी नहीं होगा।
अब दूसरी ओर सपा पर नज़र दौड़ाई जाय तो अभी हुवे चुनाव के नतीजो से आई सपा के माथे पर तनाव की लकीरे शायद यहाँ आकर मिट जाय। सपा ने डॉन के मुकाबिल अपने पूर्व घोषित प्रत्याशी को अंतिम समय में बदल कर पूर्व में डॉन को मात देने का अनुभव रखने वाले सपा विधायक मनोज सिंह के बहन मीना सिंह को टिकट दिया। मीना सिंह के साथ भाई मनोज सिंह का साथ है और मनोज सिंह के पास डॉन को हराने का अनुभव भी है। अब अगर मतों में पार्टी के आधार की बात करे तो इस पॉइंट पर सपा बीस नज़र आ रही है। इसके पास यदि पार्टी के अपने मतों को देखा जाय तो सपा के पास भाजपा से ज़्यादा मत है। यदि सपा के सभी मत प्रथम वरीयता के मीना सिंह के खाते में जाते है तो सपा की यह जीत सुनिश्चित हो जायेगी।
अब निष्कर्ष तो भविष्य के गर्भ में है पर हमारी रिसर्च और लोगों की राय में सपा का पल्ला भारी नज़र आता है, और समीकरण अगर नहीं बदले तो शायद मनोज सिंह डब्बू पर खेला गया सपा का दाव कामयाब हो सकता है।
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