कानपुर। दिग्विजय सिंह। लोकतंत्र का कथित चौथा स्तम्भ है पत्रकारिता। इसको मैंने कथित इसलिए कहा क्योकि कही संविधान में हमारा ज़िक्र तो नहीं है, हा मौखिक रूप से हमको लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा ज़रूर जाता है। जो भी हो हम इस बहस का हिस्सा नहीं बननें वाले कि हम कौन से स्तम्भ है मगर मैं अपने पुरे होशो हवास में इस बात को ज़रूर कहुगा कि लोकतंत्र का सबसे मज़बूत स्तम्भ हम ही है। जी हा हम पत्रकार। कलमकार। हम समाज को आइना दिखाने वाले हम वो जो रोज़ सुबह चद सिक्को में आपकी बालकनी या दरवाज़े पर आते है, हम वो जो केवल चंद पैसे के खर्च पर रोज़ आपको टीवी में दुनिया की सैर करवाते है, हम वो जो सिर्फ चंद सिक्को के खर्च पर आपके मोबाइल या आपके कंप्यूटर या फिर आपके लैपटॉप पर सच से रूबरू करवाते है। जी हम नारद वंशज, हम पत्रकार।
तो क्या हुवा कि समय के बदलाव में हमारी कुछ इंटे घुन लग गई है। मगर यह आज भी इसकी एक एक ईंटो पर एक मज़बूत महल की तामीर हो सकती है। हम खड़ा रखे है इस मुल्क के लोकतंत्र को। कई सावन के साथ अनेको पतझड़ झेल चुके है। हम तो वो लोकतंत्र के सिपाही है जिसको समाज का अँधेरा बुझाने के लिए जलाया भी गया। मारा भी गया। तोडा भी गया। मगर हम आज भी हम मज़बूती से अपना कर्त्तव्य निभा रहे है। हमको बहुत कोशिश की गई गोलियों के ज़ोर पर, बंदूको के दम पर, तलवारो से मार कर, चाकुओ के चोट पर, लठैतों के बल पर, ज़रूरत पड़ने पर मिटटी के तेल छिड़क कर और रोड के एक्सीडेंट में। मगर हम न हिले न डिगे। हम आज भी मज़बूती से खड़े है। हमारी हालत ऐसे इसलिए भी हुई क्योकि हम एक नहीं थे। कई हिस्सों में बाटे गए थे। कही छोटे बड़े में तो कही अच्छे बुरे में।
ऐसी परिस्थितियों में कानपुर महानगर भी कैसे अछूता रह जाता। कानपुर में भी कई हिस्सों में हम बटकर रह गए थे। फिर अस्तित्व में आया आल इंडिया रिपोर्टर्स एसोसिएशन (आइरा)। इसको अस्तित्व में लाने वाले फरीद कादरी, तारिक़ ज़की और पत्रकारो के सुख दुःख में हमेशा खड़े रहने वाले दो जुझारू पत्रकार तारिक़ आज़मी और पुनीत निगम।
इन दोनों को संगठन के अस्तित्व में आने के बाद काफी परेशानियो का सामना करना पड़ा प्रदेश में पत्रकार आपस में ही लड़ रहे थे। जब आपस में लड़ते रहेगे तो कैसे एक हो सकते है। इन दो जुझारुवो ने काफी मेहनत की और प्रदेश के पत्रकारो को एक किया। अब सबसे बड़ी चुनौती के रूप में आया एक महानगर जिसका नाम है कानपुर। कानपुर महानगर में भी पत्रकार आपस में ही जूझे पड़े थे। एक दूसरे की टांग खीचना और एक दूसरे को नीचा दिखाना। इन परिस्थितयो में कई संगठन भी कुछ नहीं कर पा रहे थे कि क्या किया जाय और कैसे सबको एक सूत्र में बांध कर रखे। इन परिस्थितियों में इन दो जुझारुवो तारिक़ आज़मी और पुनीत निगम ने बड़े ही शांति और सूझ बुझ से काम करते हुवे पहले आपस की गलतफहमियों को दूर करना शुरू किया। आपसी गलत फहमी दूर करने के लिए पुनीत निगम जी ने आमने सामने दोनों को बैठाल कर आपस में बाते करवाना शुरू किया जब आपस में साथ बैठे तो गलतफहमी दूर होना शुरू हो गई। धीरे धीरे कर आपसी नोक झोक दूर हो चुकी थी।
फिर आया वो दिन जिस दिन एक टुच्चे नेता ने एक समाचार पत्र के सपादक को फ़ोन पर धमकी दे डाली। उस दिन दिखी इन दो जुझारुवो की मेहनत का नतीजा और नतीजा वो कि कलम के दुश्मनो की रूह कॉप उठी। 64 सालो के इतिहास में पहली बार ऐसा हुवा कि कानपुर के सरज़मींन पर सभी पत्रकार संगठन एक हुवे। वो भी इस तरह एक हुवे कि कलम के दुश्मनो की रूह कॉप उठी। ये सब देंन थी इन दो जुझारुवो की। फिर आया 6 सितम्बर का वो दिन जिस दिन प्रदेश के एक कद्दावर नेता के खिलाफ पत्रकार के आवाहन पर सभी पत्रकार संगठन बैठ गए धरने पर वो भी ऐसे बैठे की उनकी आवाज़ मुल्क के कोने कोने तक गूंजी, हर तरफ कानपुर के पत्रकार एकता की धूम मच गयी।
वो दिन है और आज का दिन है कानपुर के पत्रकारो से टकराने की हिम्मत किसी के अंदर नहीं है। अभी पिछले पखवाड़े ही शहर के एक पत्रकार के साथ एक थानाध्यक्ष ने फ़ोन पर अभद्रता कर दी। सूचना आइरा तक आई। फिर क्या था पुनीत निगम ने जो चूड़ी कसी और सभी पत्रकार एक प्लेटफार्म पर आये। फिर क्या 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि साहेब पहुच गए पुलिस लाइन।
आज कानपुर के आइरा कार्यालय में एक बैठक हुई। जिसमे सभी पत्रकारो ने खुलासा टीवी के सम्पादक और आइरा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री पुनीत निगम जी को उनके पत्रकारो के सम्बन्ध में चिंता और जुझारूपन को सलाम करते हुवे पत्रकारो ने सम्मानित किया। इस सम्मान समारोह में सिर्फ पत्रकार थे। सभी पुनीत निगम के निर्भीकता, जुझारूपन और कर्तव्यनिष्ठा के आगे नतमस्तक थे। सम्मान समारोह की अध्यक्षता कर रहे उमेश जी ने कहाकि मुझको गर्व है कि मुझको बड़े भाई के रूप में पुनीत भाई का सानिध्य मिला है। इश्वर से बस एक विनती है कि अब सभी जन्मों में इस बड़े भाई का ही अनुज बनाये।
कानपुर के सभी पत्रकारो ने पुनीत निगम की भूरी भूरी प्रशंसा की। आइरा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री योगेन्द्र अग्निहोत्री ने कहाकि आइरा पत्रकारो के हित में सदैव तत्पर था, है और रहेगा। इस अवसर पर सञ्चालन श्री इब्ने हसन ज़ैदी ने किया। इस अवसर पर उमेश शर्मा, योगेन्द्र अग्निहोत्री, शीलू शुक्ला, पप्पू यादव, दिग्विजय सिंह, मुहम्मद नदीम, निजामुद्दीन, अभिषेक त्रिपाठी, मुहम्मद शरीफ, इब्ने हसन ज़ैदी, अजय जी, मोहित, आशीष त्रिपाठी इत्यादि पत्रकार उपस्थित थे।
इस अवसर पर होने वाले चुनाव हेतु सभी से वोट अपील की गई।