डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में छात्रों की तमाम समस्याओं के समाधान की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे एक छात्र का धैर्य मंगलवार को जवाब दे गया। अनशन पर बैठा छात्र विश्वविद्यालय परिसर स्थित पानी की टंकी पर चढ़ गया और मांगे पूरी न होने तक नीचे नहीं उतरने की जिद पर अड़ गया। सूचना पर पहुंची पुलिस के भी हाथ पांव फूल गए। कई बार आग्रह करने के बाद भी वह नीचे नहीं उतरा तो अन्य अनशनकारी छात्र पानी की टंकी पर चढे़ और छात्र को नीचे उतारा। हालत बिगड़ने पर उसे एसएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है।
एमबीबीएस चार्ट चोरी, बीएड फर्जीवाड़ा, सिंगल विंडो सिस्टम, मार्कशीट-डिग्री जैसी मांगों को लेकर दो मार्च से समाजवादी छात्र सभा विश्वविद्यालय परिसर में अनिश्चितकालीन धरना दे रहे हैं। विश्वविद्यालय की ओर से कोई सुनवाई न होते देख आठ मार्च से आलोक यादव, अनूप जैसवाल, अमित प्रताप और मानवेंद्र सिंह भूVव्खV हड़ताल पर बैठ गए। सातवें दिन सिटी मजिस्ट्रेट रेखा एस चौहान भी छात्रों से मिलीं। उन्होंने कुलपति के समक्ष भी समस्याएं रखीं, पर समाधान नहीं निकला। ऐसे में आठवें दिन आगरा कालेज बीएएलएलबी के छात्र मानवेंद्र प्रताप टंकी पर चढ़ गया। विवि प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
छात्र मांग पूरी न होने तक नीचे न उतरने की जिद पर अड़ा रहा। हादसे की संभावना पर पुलिस ने समाजवादी छात्र सभा जिलाध्यक्ष आलोक यादव से छात्र को नीचे लाने के लिए कहा। इस पर आलोक अपने एक साथी के साथ टंकी पर चढ़े। उन्होंने प्रदर्शनकारी से फोन पर उसके परिवारीजनों बात कराई। तब कहीं जाकर वह नीचे उतरने को राजी हुआ। इससे पहले भी कई बार छात्र मांग पूरी न होने पर टंकी पर चढ़ प्रदर्शन कर चुके हैं। जिलाध्यक्ष आलोक यादव का कहना है कि हमें आश्वासन नहीं कार्रवाई चाहिए। अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, इनकी जांच के लिए राज्यपाल और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उच्चस्तरीय जांच कमेटी गठित करने की मांग की है। उधर, छात्र समस्याओं को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन गंभीर नहीं है। 15 दिन से चल रहे धरने पर विश्वविद्यालय से कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं आया। स्थिति ये कि टंकी पर छात्र के चढ़ जाने के बाद भी विवि प्रशासन के किसी अधिकारी ने आने की जरूरत नहीं समझी।
हो सकता था बड़ा हादसा
विश्वविद्यालय परिसर में स्थित टंकी गिरासू है। इसे कंडम भी घोषित किया जा चुका है। इसके आसपास आवाजाहीVभी बंद है। इसके चारो ओर बाड़ भी बांध रखी है। आए दिन टंकी से कंक्रीट और प्लास्टर गिरता रहता है। कई बार छात्र चुटैल भी हो चुके हैं।
विश्वविद्यालय का ये है हाल
– 2010-15 से 80 हजार मार्कशीट सही होने को पड़ी।
– 2000-2015 तक 45 हजार डिग्रियां बनने को बाकी।
– 2014-15 की साढ़े तीन लाख मार्कशीट कालेज नहीं पहुंची।
– 2013 और 2014 एमबीबीएस के गोपनीय चार्ट चोरी।
– 2006 से 2013 में बीएड में हजारों मार्कशीट फर्जी।
– बीटेक-एमबीए, एमसीए की 70 फर्जी मार्कशीट पकड़ी।