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बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में रंगभरी एकादशी पर विशेष।

वाराणसी। नीलोफर बानो। पूरी सृष्टि से अलग है काशी। बाबा विश्वनाथ के त्रिशूल पर बसा काशी। यहाँ की हर बात दुनिया से अलग है। यह बाबा विश्वनाथ की कृपा ही है कि काशी हर समस्या के बाद भी मदमस्त रफ़्तार से चलता रहता है। यहाँ की कचौड़ी और जलेबी के साथ सुबह की शुरुवात। वो पान की गिलौरी। वो मस्ती भरी शाम। ये सब पूरी सृष्टि में कही नहीं मिलता है। वारेंग हेस्टिंग्स से लेकर काशी में हुवा आतंकी हमला। जहा घोड़े पर हौद हाथी पर ज़ीन रख कर वारेन हेस्टिंग्स को भगाया काशी ने वही आतंकी हमले के बाद अगली शाम गंगा आरती कर आतंकवाद के मुह पर ज़ोरदार तमाचा मारा काशी ने।

दुनिया में अपनी अलग छटा के लिए मशहूर काशी में होली भी कुछ अलग अंदाज़ में खेली जाती है। यहाँ गलियो की होली होती है। शब्द भी बुरा न मानो होली है। यहाँ काशी में फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंगभरी एकादशी कहा जाता है| इस दिन बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार किया जाता है| इस बार रंगभरी एकादशी 19 मार्च दिन शनिवार को पड़ रही है| कहते हैं बाबा विश्वनाथ की आज्ञा बिना पत्ता तक नहीं हिलता। इसलिए रंगभरी एकादशी को बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार कर होली का पर्वकाल प्रारंभ हो जाता है |
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, बाबा विश्वनाथ फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी यानी महाशिवरात्रि के दिन मां पार्वती से विवाह रचाने के बाद फाल्गुन शुक्ल एकादशी पर गौना लेकर काशी आये थे| अवसर पर शिव परिवार की चल प्रतिमायें काशी विश्वनाथ मंदिर में लायी जाती हैं और बाबा श्री काशी विश्वनाथ मंगल वाध्ययंत्रो की ध्वनि के साथ अपने काशी क्षेत्र के भ्रमण पर अपनी जनता, भक्त, श्रद्धालुओं का यथोचित लेने व आशीर्वाद देने सपरिवार निकलते है|
बताते हैं कि महंत आवास से रजत पालकी में राजशाही पगड़ी बांधे बाबा विश्वनाथ की बारात सजेगी। इसके साथ ही हिमालय की पुत्री गौरा को भी सजाया जायेगा| गोद में बालरूप गणेश मनोकामना पूर्ति का वरदान देंगे। अबीर गुलाल के रेड कारपेट पर पुजारियों के कंधे पर सवार देवाधिदेव अपने दरबार पहुंचेंगे। गर्भगृह में भक्तगण बाबा के भाल पहला गुलाल सजाएंगे। बाबा को अबीर- गुलाल से सराबोर करते हुए काशी होली के रंगों में डूबने उतराने लगेगी। रंगभरी एकादशी पर जब बाबा गौरा का गौना लेने जाएंगे, काशी अबीर गुलाल की रेड कारपेट बिछाएगी। देवाधिदेव के चरण रज को सिर माथे लगाएगी और होली के रंगों में डूब जाएगी। इसमें एक दूसरे के पूरक राग-रंग फिर से एकाकार होंगे।
रंगभरी एकादशी पर बाबा काशी विश्वनाथ की शाम को होने वाली दो प्रमुख आरती के समय में परिवर्तन किया गया है। बाबा के गौने की डोली शाम पांच बजे के बाद निकलेगी। ऐसे में शाम सात बजे होने वाली सप्तर्षि आरती 19 मार्च को तीन बजे होगी। शाम को मंदिर परिसर में संगीत संध्या ‘शिवार्चनम’ में नामी कलाकार गायन, वादन और नृत्य की प्रस्तुतियां देंगे। प्रभारी मुख्य कार्यपालक अधिकारी एमपी सिंह की ओर से जारी कार्यक्रम के अनुसार रंगभरी एकादशी (आमलकी एकादशी) फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी शनिवार को मनाई जाएगी। उस दिन शिव और माता पार्वती की चल प्रतिमाओं का भव्य शृंगार किया जाएगा। प्रतिदिन शाम सात बजे होने वाली सप्तर्षि आरती उस दिन अपराह्न तीन बजे होगी। इसी तरह रात 9:30 बजे होने वाली श्रृंगार / भोग आरती शाम पांच बजे ही हो जाएगी। आम भक्तों के लिए बाबा का दरबार रात 11 बजे तक खुला रहेगा
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