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एक गाव जहा है सेक्स को है सामाजिक मान्यता।

शीतल सिंह की कलम से।
सेक्स को लेकर अब भी भारतीय समाज मर्यादाओं के एक दायरे में बंधा हुआ है. अब भी यहां सेक्स को लेकर सार्वजनिक तौर पर बात करना अच्छा नहीं माना जाता है. आम भारतीय परिवारों में सेक्स पर कभी चर्चा नहीं होती है. वहीं, देश का एक हिस्सा ऐसा भी हैं जहां बेटी अपने मां-बाप के सामने किसी के साथ भी और कभी भी सेक्स कर सकती है।

मध्यप्रदेश के मालवा के नीमच, मन्दसौर और रतलाम जिले में कई गांव ऐसे है, जहां बेटी अपने मां-बाप के सामने सेक्स करती हैं. इन गांवों में सेक्स को सामाजिक मान्यता मिली हुई हैं. मां-बाप को बेटी के किसी के साथ भी सेक्स करने पर कोई ऐतराज नहीं होता है. बल्कि, बेटी के जिस्म के प्रति जितनी दीवानगी बढ़ती उतना ही उनकी खुशियों का दायरा भी बढ़ता जाता है. आगे पढ़ें, पहली बेटी को करनी ही पड़ती है जिस्मफरोशी
ये बात भले ही आम लोगों के लिए चौकाने वाली हो, लेकिन मालवा अंचल में 200 वर्षों से बेटी के सेक्स करने की परंपरा चली आ रही है. दरअसल, इन गांवों में रहने वाले बांछड़ा समुदाय के लिए बेटी के जिस्म का सौदा आजीविका का एकमात्र जरिया है. डेरों में रहने वाले बांछड़ा समुदाय में प्रथा के अनुसार घर में जन्म लेने वाली पहली बेटी को जिस्मफरोशी करनी ही पड़ती है. मालवा में करीब 70 गांवों में जिस्मफरोशी की करीब 250 मंडियां हैं, जहां खुलेआम परिवार के सदस्य ही बेटी के जिस्म का सौदा करते है.
इस समुदाय में बेटी के जिस्म के लिए मां-बाप ग्राहक का इंतज़ार करते है. कोई उनकी बेटी के साथ हम बिस्तर होने के लिए राजी हो जाता है तो उन्हें ख़ुशी होती है की “कज़्ज़ो” आयो यानी ग्राहक आया. सौदा होने के बाद बेटियां अपने परिजनों सामने खुलेआम सेक्स करती है. आश्चर्य की बात यह है कि परिवार में सामूहिक रूप से ग्राहक का इंतज़ार होता है, जिसको सेक्स के लिए आदमी पहले मिलता है उसकी कीमत परिवार में सबसे ज्यादा होती है. आगे पढ़ें, शादी की कीमत 15 लाख रुपए
भारतीय समाज में आज भी बेटी को बोझ समझा जाता हो, लेकिन बांछड़ा समुदाय में बेटी पैदा होने पर जश्न मनाया जाता है. बेटी के जन्म की खूब धूम होती है, क्योंकि ये बेटी बड़ी होकर कमाई का जरिया बनती है. इस समुदाय में यदि कोई लड़का शादी करना चाहे तो उसे दहेज में 15 लाख रुपए देना अनिवार्य है. इस वजह से बांछड़ा समुदाय के अधिकांश लड़के कुंवारे ही रह जाते है.
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