शास्त्रों में कहा गया है जहां नारियों की पूजा होती है वहां सुख-शांति, समृद्धि का वास होता है। वहीं हिन्दी के मूर्धन्य रचनाकार मैथिलीशरण गुप्त ने कहा है –
‘अबला जीवन तेरी तो बस यही कहानी, आंचल में है दूध नयनों में पानी।’
शास्त्रों में तो नारी को ऊंचा स्थान मिला है, लेकिन व्यवहार में पुरुषों की ही सत्ता समाज में कायम रही है और नारी को तिरस्कृत नजरों से देखा गया है। आज नारियों पर जितने घिनौने अत्याचार हो रहे हैं वह किसी से छिपा नहीं है, रावण काल में भी इतना अत्याचार व दुष्कर्म नहीं हुआ होगा।
समाचार पत्रों व चैनलों में नारी उत्पीड़न और अत्याचार के वीभत्स समाचार भरे पड़े रहते है।नारी शक्ति का सकारात्मक पहलू यह है कि जहां नारियों ने विकास के झंडे गाड़े हैं, विभिन्न क्षेत्रों में सबला के रुप में प्रतिस्थापित हुई है, वहीं दूसरा पहलू अत्यंत डरावना भी है। नारियों पर अत्याचार, हत्या, मारपीट, बलात्कार, शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना, वेश्यावृत्ति दिनोंदिन बढ़ते ही जा रहे हैं।
इसका कारण यह भी हो सकता है कि अब नारी सशक्त होकर सामने आई है, चुप नहीं बैठी है जो पुरुष प्रधान समाज को बड़ी चुनौती लग रही है। उसे अपने अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराते नजर आते हैं।आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हमें गम्भीरता से विचार करना है कि इस नाजुक मोड़ पर जब नारी विकास की ओर निरंतर कदम बढ़ा रही है, हम सबको उसकी सहायता करनी है।
हमारा संविधान और कानून सभी इसके लिए प्रतिबद्ध है। आवश्यकता है सामाजिक स्तर पर विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की सोच बदलने के बड़े प्रयास करने की।
आइये इस विशेष दिवस पर प्रण लें नारी के सम्मान का, उनके विकास में सहयोग का। क्योंकि नारी से ही संसार समृद्ध, सुंदर और चलायमान है.
“नारी से जग है,नारी से सब है।… कभी न भूले हमारा अस्तित्व नारी से है… मां,बहन,पत्नी और भी अनेक रूपों में नारी महान है.नारी का सम्मान करें।”