भाजपा के वरिष्ट नेता व् नवादा सांसद गिरिराज सिंह ने देश के जनसंख्या निति पर बयान दे कर सेकुलर पार्टीओं के दिलों में गुदगुदी उतपन्न कर दिये हैं। जिससे एक बार फिर से सेकुलरों को एक वर्ग विषेस के पछ में बोलने का अवसर मिल गया है। और वे हुक्का पानी लेकर गिरिराज सिंह और भाजपा पर चढ़ बैठे हैं।
बिहार के बगहा में हिन्दू जागरण मंच की एक सभा में गिरिराज सिंह ने कहा की देश में जनस्नख्या नियंत्रण की निति बननी चाहिए। उन्होने कहा की बिहार में ही हिन्दू लगभग सात जिलों में अल्पसंख्यक हो गए। पहले हमारी जनस्नख्या बृद्धि नब्बे प्रतिसत थी जो घट कर चौहत्तर प्रतिसत रह गई है। उन्होंने आगे कहा की हमारे देश के साधन सिमित हैं। और जनसंख्य विकराल रूप पकरता जा रहा है। जब की बंगलादेश इंडोनेशिया मलेशिया और कई मुस्लिमं राष्ट्र जनसंख्य नियंत्रण निति अपना चुके हैं। तब भारत में ही इसका विरोध क्यो ? गिरिराज सिंह ने आगे कहा की चाइना सेवेन्टी नाइन में ही सख्ती से इस निति पर अमल कर दुनिया में सक्तिशाली देश बन गया। तो हम क्यों नही ?
अब कोई बताये की गिरिराज सिंह ने गलत क्या कहा ? क्या भारत में जनसंख्य नियंत्रण निति नही बननी चाहिए। क्या इस विषय पर बोलना भी गुनाह है। इसी जनसंख्य विस्फोट से देश में जमीन ,खाने पिने की सामान, बेसुमार महंगाई, नौकरी से लेकर सभी तरह की जिंसों की कमी होती जा रही है। यदी देश में चाइना की तर्ज पर जनस्नख्या नियनत्रण निति अपनाई जाती है। तो आने वाले पन्द्रह से बिस सालों में ही देश की दशा स्वतः बदल जाना तय है। शनद रहे की चाइना में एक बच्चे को ही जन्म देने का वहां के समाज को अधिकार है। और चाइनीज समाज इसे अपने देश के विकाश केलिये इस जनसंख्य नियंत्रण को सख्ती से पालन करते हैं। और भारत में जनस्नख्या नियंत्रण पर बात करना भी अपराध माना जाता है। और इस बयान पर जिसका अंदेशा था वो हो गया।
गिरिराज सिंह के इस बयान पर बवाल मच गया। विरोधी दलों की पतिक्रिया इस पर तुरन्त आने लगे। सभी सेकुलर दल एक साथ मिल कर गिरिराज सिंह और भाजपा पर टूट परे। यही तो चाहती है सेकुलर पार्टियां। ताकि उनको अवसर मिल जाये एक वर्ग विसेष के पछ में खरे होने का।
देश की जनसंख्य एक सौ तिस करोड़ के पार होने वाला है। सेकुलर पार्टियों को भी इस पर विचार अवस्य करने चाहिए। की आखिर यह जनसंख्य विस्फोट वोट बैंक की राजनीती में कहाँ जाकर थमेगा।
गिरिराज सिंह ने बहुत ही दिलेरी से देश की विकराल समस्या को जनता के सामने रखा है। चाहे देश में जिस किसी भी पार्टी की सरकार क्यों न हो आज नही तो कल उसे जनस्नख्या नियंत्रण निति पर अमल करना ही परेगा। तो आज ही क्यों नही इस निति को भारत सरकार देश की जनता के सामने प्रस्तुत करें। याद कीजिये इमरजेंसी का समय। उस समय देश में कोंग्रस का सासन था। और श्रीमती इंद्रा गांधी देश की प्रधानमन्त्री थी। सञ्जय गांधी की हिटलर शाही चरम पर थी। लोगो को पकड़ पकड़ कर जबरन नसब्दि किये जा रहे थे। चारो तरफ त्राहिमाम मचा हुआ था। जबरन उनका नसबन्दी न कर दिया जाये इसलिये लोग छुपते फिर रहे थे। तब लोगो ने इमरजेंसी का विरोध अवस्य किया था। पर नसबन्दी का विरोध किसी ने भी नही किया था। तो आज जनस्नख्या नियंत्रण निति के सिर्फ बयान पर ही इतना विरोध क्यों।