लखनऊ। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव की धमकी का विरोध करने के बाद आईपीएस अमिताभ ठाकुर को निलंबित किए जाने के मामले में एक नया मोड़ आ गया है। क्योंकि आईपीएस का निलंबन मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर से न होकर मुख्यमंत्री की सचिव अनीता सिंह के हस्ताक्षर से किया गया था।
दरअसल, अमिताभ ठाकुर के निलंबन के काफी समय बीत जाने के बाद हुए इस खुलासे पर मुख्यमंत्री के अतिरिक्त कई और ताकतों के सक्रिय होने की बात सामने आ रही है। पता यह चला है कि आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर के निलंबन की पत्रावली पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हस्ताक्षर किए ही नहीं हैं। बल्कि आईपीएस अफसर को उनकी प्रमुख सचिव अनीता सिंह ने मुख्यमंत्री की ओर से हस्ताक्षर किया था। यह महत्वपूर्ण तथ्य अमिताभ को गृह विभाग, उत्तर प्रदेश शासन की ओर से हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच के आदेश के बाद बुधवार को दिए गए उनके विभागीय कार्रवाई से संबंधित अभिलेख देखे जाने के बाद सामने आया है।
अभिलेख के अनुसार 13 जुलाई 2015 को तत्कालीन डीजीपी जगमोहन यादव ने बिना किसी तत्कालिक कारण का उल्लेख किए प्रमुख सचिव गृह को अमिताभ को निलंबित करने के लिए पत्र लिखा। जो मुख्य सचिव आलोक रंजन के जरिए मुख्यमंत्री कार्यालय पहुंचा। जिसे अनीता सिंह ने उसी दिन मुख्यमंत्री की ओर से अनुमोदित कर दिया।
पत्रावली के अनुसार अगले दिन 14 जुलाई को गृह विभाग ने जांच अधिकारी के रूप में तीन आईपीएस अफसरों को नियुक्त कर दिया। जांच टीम के रंजन दिवेदी, वीके गुप्ता और एस जावेद अहमद का नाम प्रस्तावित किया था। जिस पर अनीता सिंह ने मुख्यमंत्री की ओर से गुप्ता को जांच अधिकारी नामित किया था।
मुख्यमंत्री की जगह उनकी प्रमुख सचिव की ओर से हस्ताक्षर किए जाने को पूरी तरह अवैध बताते हुए अमिताभ ने इसे कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।