आगरा। शीतल सिंह “माया”। देश में शिक्षा को लेकर तमाम दावे और योजनाओं पर चर्चा की जाती हो लेकिन सच्चाई यह है कि आज भी शिक्षा जगत में सभी नियम और कानून ताक पर रखकर अपनी मनमानी करने के मामले सामने आते रहते है। जो ताजा मामला जो सामने आया है उसने आज एक बार फिर से शिक्षा जगत की मनमानी या कहें तानाशाही को सबके सामने नंगा कर दिया है। ताजा मामला आगरा का है जहाँ एक मिशनरी कान्वेंट स्कूल में पड़ने वाले बच्चे को स्कूल की तरफ से 1 करोड़ रूपए की मानहानि का नोटिस दिया गया है और अगर 15 दिनों में यह रकम नहीं जमा की गयी तो उसके बाद 1 प्रतिशत प्रति माह की ब्याज उनको देनी होगी ।
दरअसल आगरा के थाना हरिपर्वत इलाके में स्थित सेंट फ्रांसिस कान्वेंट स्कूल में पेशे से मजदूरी करने वाले सगीर का बेटा पढाई कर रहा था लेकिन पिछले दिनों में इस स्कूल ने अचानक से 8वीं क्लास में बच्चे को सभी सब्जेक्ट में फेल बताते हुए जबरन टीसी पकड़ा दी । इस पर जब सगीर ने स्कूल प्रबंधन से अपने बेटे के फेल होने के कारण जानने के लिए पूछा तो स्कूल ने किसी भी विषय पर बात या सफाई देने से मना कर दिया । गौर करने की बात यह है कि राईट टू एजुकेशन 2009 एक्ट के तहत किसी भी बच्चे को स्कूल 8वीं क्लास तक फेल नहीं किया जा सकता। जब इसकी जानकारी सगीर ने जिले के प्रशासनिक अधिकारियो को दी तो उन्होंने इस मामले में जांच बैठा दी । लेकिन इसी बात से नाराज हो तानाशाही स्कूल प्रबंधन ने सगीर के बेटे शेहजान को 1 करोड़ रूपए की मानहानि का दावा भेज दिया। ऐसे में सगीर समझ नहीं पा रहा की क्या उसने अपने अधिकार किसी से मांग कर गुनाह तो नहीं कर दिया ।
इस मामले में जब स्कूल प्रबंधन से बात करने के लिए हमारी टीम स्कूल पहुंची तो यहाँ इन्होंने कोई भी बात करने से मना कर गेट बंद करा दिया जहाँ स्कूल प्रबंधन के चौकीदार ने किसी के भी स्कूल में न होने की बात कह वापस जाने के लिए कह दिया । स्कूल पबंधन का मीडिया से बचना कहीं न कहीं दाल में कुछ काला जरूर साबित किया है ।
इस मामले में आगरा में जिला प्रशासन ने जांच की बात कह अपना पल्ला झाड़ लिया है, जिसके बाद अब शिक्षा अधिकारी भी जांच का राग अलाप रहे है , उनका मानना है कि स्कूल ने जो किया वो गलत है लेकिन कार्यवाही क्या होगी इस पर कोई जवाब नहीं।
इस मामले में आगरा के स्कूल अभिवावक संघ के लोगों ने विरोध करना शुरू किया है जिसके बाद अब मामले की आवाज पीएम तक ले जाने का मन यहाँ लोग बना रहे हैं। लोगों का साफ़ मानना है कि फीस वृद्धि हो, एडमिशन हो, हर जगह स्कूल की मनमानी तानाशाही की तरह चलती है जो अब खत्म करना जरुरी है तभी इस देश में बेहतर शिक्षा के अवसर पैदा होंगे ।
यह मामला केवल सगीर तक ही नहीं बल्कि तमाम उन माता-पिता का भी है जो अपना पेट काट-काट कर अपने बच्चों को बेहतर भविष्य के लिए महंगे स्कूलों में पढ़ने के लिए भेजते हैं लेकिन अगर स्कूलों की तानाशाही जब उन सपनों को तोड़ने लगे तो आखिर कौन उन स्कूलो की तानाशाही पर लगाम कसेगा