वाराणसी। रशीद अली। पुर्व उपाध्यक्ष छावनी परिषद व कांग्रेस नेता शैलेन्द्र सिंह ने सूचना जन अधिकार अधिनियम २००५ के तहत वाराणसी के मंडलायुक्त वाराणसी एवं महापौर की अध्यक्षता वाले नगर निगम से बहु प्रचारित काशी के क्योटो की तर्ज पर विकास हेतु जापान के साथ हुए करार, उसके क्रियान्वयन की अद्यतन प्रगति, बाधाओं एवं संभावनाओं के संदर्भ में तथ्यगत जानकारी और सम्बन्धित दस्तावेजों की प्रति सुलभ कराने की मांग की है।
शैलेन्द्र सिंह ने कहा है कि एक वर्ष से अधिक समय तक काशी और क्योटो के बीच नगर विकास के समझौते, विकास की योजनागत रूपरेखा आदि को लेकर भाषणों, मीडिया ब्रीफिंग, बैठकों, भारत जापान की परस्पर यात्राओं आदि के माध्यम से न केवल भारी ढिंढोरा पीटा गया, बल्कि काफी सरकारी पैसा भी खर्च किया गया,लेकिन बनारस की जनता के सामने परिणाम न केवल ढाक के तीन पात जैसे हैं, बल्कि क्योटो यात्रा भी करने वाले काशी के सांसद,मेयर,जिलाधिकारी सहित पूरा जिम्मेदार एवं जवाबदेह तंत्र प्रायः एक वर्ष से इस विषय पर मुकम्मल तौर पर मौन है। अतः जनहित में काशी के लोगों को जानने का हक है कि इस संदर्भ में कुछ तथ्य एवं उम्मीद भी है,या सब बातें काशी को भरमाने की हवा हवाई बातें थीं।
शैलेन्द्र सिंह द्वारा निम्न सूचनायें मांगी गई हैं।
(१)काशी के विकास हेतु जापान के क्योटो नगर के अधिकारियों के साथ कोई समझौता हुआ था क्या? यदि हुआ था तो उसकी प्रति उपलब्ध करायें।
(२)यदि काशी के क्योटो की तर्ज पर विकास हेतु कोई सहमतिपूर्ण समझौता हुआ था तो क्रियान्वयन की क्या प्रगति है ?
(३)क्योटो से सम्बद्ध किसी आधिकारिक दल ने उक्त समझौते के क्रियान्वयन के संदर्भ में वाराणसी की यात्रा की थी क्या और उसके साथ कार्ययोजना का कोई एम.ओ.यू. हस्ताक्षरित हुआ क्या?यदि हुआ तो उसकी प्रति प्रदान करें और यदि नहीं हुआ तो बतायें कि न होने में क्या और किसकी ओर से बाधा थी?
(४)कृपया यह भी बतायें कि माननीय प्रधानमंत्री के स्तर से क्योटो की तर्ज पर हुए अंतर्राष्ट्रीय समझौते के क्रियान्वयन की दिशा में अद्यतन प्रगति क्या है और इस दिशा में आगे सार्थक सहयोग की कोई संभावना शेष है क्या ?