मल्हनी विस क्षेत्र से युवा नेता विवेक यादव को प्रत्याशी घोषित करते ही जिले का राजनीतिक सियासी पारा चढ़ गया, क्योंकि इसके पहले इस सीट पर कैबिनेट मंत्री पारसनाथ यादव व पूर्व सांसद धनंजय सिंह के बीच चुनावी माहौल काफी चर्चित रहा है। चर्चाओं की मानें तो जनता को नया चेहरा मिला जिसमें लोगों को यहां से निर्दल विधायक रहे स्व. राज बहादुर यादव का अक्श दिख रहा है। आगामी विधानसभा चुनाव के लिये सियासी बिसाते बिछानी शुरू हो गयी हैं। सभी दल अपनी चाल चलने के दाव तलाश रहे हैं। बसपा ने विवेक को प्रत्याशी घोषित करके कयी अटकलों पर विराम लगा दिया, वहीं इस सीट पर जोर-आजमाइश करने का प्रयास कर रहे पूर्व सांसद धनंजय सिंह का बसपा पार्टी में वापसी की अटकलें भी कमजोर पड़ गयी। दूसरी ओर काफी राजनैतिक रसूखदार परिवार से यादव बिरादरी का प्रत्याशी उतारकर बसपा ने सपा के खेमे की बेचैनी भी बढ़ा दिया है, क्योंकि पूर्व विधायक स्व. राज बहादुर यादव तत्कालीन रारी सीट (वर्तमान में मल्हनी) सीट से निर्दल विधायक रहे हैं जिनकी आज भी लोग गुणगान करते हैं। इतना ही नहीं, चाचा पूर्व सांसद स्व. अर्जुन सिंह यादव निर्दल विधायक व लोकसभा का चुनाव जीते थे। इसके अलावा दादी कलावती यादव जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं जबकि परिवार के लोग कई बार ब्लाक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य जैसे पदों पर आसीन रह चुके हैं। इससे यह तो साफ हो गया है कि बसपा ने विवेक पर दांव लगाकर एक तीर से कई निशाना लगा दिया हैं। विवेक यादव बेहद व्यवहार कुशल, मृदुभाषी एवं जनता के बीच रहने वाले युवा नेता हैं जिसके चलते विभिन्न दलों के दिग्गज नेताओं के पसीने छूटने लगे हैं।
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