सीरियल किलर रेलवे ट्रैक के किनारे रहने वालों कई लोगों की जान ले चुका था।पुलिस के सामने रमन ने 1966-68 के बीच 41 लोगों की हत्या की बात कबूली। जिनमें कई महिलाएं और बच्चे शामिल थे।इस बीच 1966 में एक साथ 19 लोगों पर जानलेवा हमला हुआ। इसमें 9 लोगों की मौत हो गई और 10 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे।एक घायल महिला कृतिका ने पुलिस को हमलावर का हुलिया बताया था जिसकी पहचान रमन राघव के रूप में हुई।रमन पहले भी डकैती और बहन से रेप करने के मामले में सजा काट चुका था। पुलिस रिकॉर्ड में भी उसकी फोटो का मिलान हो गया।क्राइम ब्रांच हेड रमाकांत कुलकर्णी ने मेजर ऑपरेशन चलाकर रमन को अरेस्ट किया था। इसके लिए 2000 पुलिसवालों की टीम बनाई गई।1991 में श्रीराम राधवन ने उस पर एक फिल्म बनाई थी। जिसमें सीरियल किलर का रोल रघुवीर यादव ने प्ले किया था।माना जाता है कि खूंखार रमन राघव का जन्म 1929 में पुणे के पास एक गांव में हुआ था। वहीं कुछ लोग उसे तमिल बताते थे।उसने पुलिस को बताया था कि वह पहले एक फैक्ट्री में काम करता था। इस दौरान उस पर चोरी और डकैती में पकड़ा गया था।ट्रायल के दौरान रमन के सीजोफ्रेनिया से पीड़ित होने की बात सामने आई। इसके बाद 1969 में हाईकोर्ट ने फांसी को उम्रकैद में बदल दिया।इलाज के लिए उसे पुणे के एक मेंटल हॉस्पिटल में रखा गया। 4 अगस्त, 1988 को इलाज के दौरान रमन की मौत किडनी फेल होने से हुई।रमन का इलाज करने वाले डॉक्टर पाटकर ने कहा था कि उसे एक अपराधी नहीं बल्कि मरीज की तरह देखा जाना चाहिए था।वह 7 के आकार वाली एक लोहे की रॉड का इस्तेमाल करता था। इसे सिर में मारकर लोगों का काम तमाम कर देता था।रमन महिलाओं को अपना शिकार बनाता था। उसने कई बार मर्डर कर लाशों के साथ सेक्स किया। जज से कहा कि ये मेरी मर्जी थी।पुलिस के मुताबिक रमन ने अपना फर्जी नाम सिंधु दिवाई बताकर सालों तक फैक्ट्री में काम किया। जहां वह चोरी करते पकड़ा गया।क्राइम ब्रांच हेड कुलकर्णी ने अपनी किताब में लिखा था कि रमन के द्वारा किए गए सभी मर्डर मोटिवलेस थे।तब के डिप्टी कमिश्नर और क्राइम ब्रांच के हेड रमाकांत कुलकर्णी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि रमन फुटपाथ पर रहने वाले गरीब, भिखारियों को टारगेट बनाता था।कुलकर्णी ने रिटायरमेंट के बाद 1990 में लिखी दो बुक फुट प्रिंट्स ऑन द सैंड्स ऑफ क्राइम्स’ और क्राइम्स, क्रिमिनल्स एंड कॉप्स’ में रमन के बारे में कई खुलासे किए थे। उन्होंने लिखा था कि मुंबई में हो रही मौतों के पीछे लोग किसी प्रेत आत्मा या शक्ति की अफवाह फैलाने लगे थे। यहां तक कि कुलकर्णी की पत्नी भी यहीं मानने लगी थीं।
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