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बलिया जनपद नहीं देश है। मधुसूदन सिंह की कलम से कड़वा सच

लेखक-मधुसूदन सिंह
★बलिया जहाँ राजनैतिक संरक्षण भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार

★भ्रष्टाचारियो के लिए बलिया जनपद नहीं देश है
★बलिया जहाँ प्रदेश सरकार के कायदे कानून शो पीस

(मधुसूदन सिंह बलिया के वरिष्ठ पत्रकार है।)
बलिया जनपद नहीं देश है इस लिये कहना पड़ रहा है कि यहाँ बलिया के विकास की वजाय विनाश करने वाले अधिकारियो और कर्मचारियों का तो स्थानांतरण शिकायतों का भंडार साक्ष्यो के साथ होने के बावजूद राजनेताओ के वरद हस्त होने के चलते नहीं होता है परन्तु जनता की समस्यायो को नेताओ के ऊपर प्राथमिकता देकर हल करने का प्रयास करने वाले डीएम मुत्थू कुमार और एसपी अनीस अहमद अंसारी को कम समय में ही तबादलो का दंश झेलना पड़ा । बलिया के बेसिक शिक्षा अधिकारी ने यहाँ की नब्ज पकड़ते हुए जहाँ नेताओ के परिजनों रिश्तेदारो को शिक्षक की नौकरी देकर अपने चचेरे भाइयो रिश्तेदारो को नौकरी देने में कोई देर नहीं की ।
 बलिया से स्थान्तरित हो कर गैर जनपद गये एक अधिकारी से हालचाल पूंछने के बाद जब मैंने कहाँ वहां कैसा लग रहा है तो उस अधिकारी ने तपाक से जबाब दिया भाई साहब जैसा एक देश से जनपद में जाने पर महसूस होता है वैसा । मैंने कहा समझा कर कहिये तो उनका जबाब था बलिया जिला नहीं देश है । यहाँ पर प्रदेश के कानून का कोई मतलब नहीं है । यहाँ सत्तापक्ष के किसी कद्दावर नेता का दामन थाम लीजिये फिर आप जीतने भी नियम विरुद्ध कार्य करना चाहते है कर डालिये आपका बाल भी बांका नहीं होगा । और अपनी मर्जी से शासनादेशों का उल्लंघन करके जीतने वर्ष रहना चाहते है रुक जाये । विभागीय मंत्री नाराज होते है तो होने दीजिये बलिया के आपके आका मुख्यमंत्री से आपके पक्ष में आदेश जारी करवा देंगे ।स्वास्थ्य विभाग का एक बाबू जो सुपर सीएमओ कहलाता है का स्थानांतरण और स्थगन उसके चढ़ावे के कारण हमेशा चर्चा में होता है । लोगो का तो यहाँ तक कहना है कि इसका चाहे कोई स्वास्थ्य मंत्री हो या मुख्यमंत्री इसका स्थानांतरण बलिया से नहीं कर सकते है ।उसी तरह बलिया के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश सिंह चाहे जीतना नियम विरुद्ध कार्य करें इनकी राजनैतिक पहुँच इतनी है कि मुख्यमंत्री को भी सोचना पड़ेगा ऐसा लोगो का कहना है । अपने रिश्तेदारो को बिना टीईटी के शिक्षक बनाना , नौकरी देना , आरक्षण के नियमो को ताक पर रखकर नियुक्तियां करना इनके स्वछंदता को जहाँ दर्शाता है वही बेसिक शिक्षा नियमावली के  विरुद्ध कृत्य करने को दर्शाता है । यही नहीं उत्तर प्रदेश शासन की स्थानांतरण नीति जो यह कहती है कि स्थानांतरण सत्र के समाप्ति के बाद किसी का भी स्थानांतरण बिना मुख्यमंत्री के अनुमोदन के नहीं हो सकता है परंतु राकेश सिंह के लिए यह शासनादेश , न ही मुख्यमंत्री से अनुमोदन की इन्हें आवश्यकता है । ये पूरे साल जब चाहे जिसका चाहे स्थानांतरण कर सकते है बस इनकी पूजा अच्छी होनी चाहिए । यही नहीं प्रदेश में सभी विभागों में प्रोन्नति के लिए साल में एक तिथि निर्धारित कर वरिष्ठता सूची जारी कर रोस्टर के आधार पर पोस्टिंग होती है परंतु राकेश सिंह के लिए यह कानून भी बच्चों का खिलौना जैसा है । श्री सिंह पूरे वर्ष भर न सिर्फ प्रोन्नति का आदेश देते है बिना रोस्टर पोस्टिंग देते है ।शासनादेश है कि नये अध्यापको का बिना सर्टिफिकेट के सत्यापन और टीईटी सर्टिफिकेट की जाँच6 वेतन भुगतान न किया जाय परंतु राकेश सिंह ने बिना जाँच कराये ही वेतन जारी करने का आदेश जारी कर दिया ।हद तो तब हो गयी जब राकेश सिंह ने कस्तूरबा गांधी विद्यालय के संविदा कर्मियो का भी स्थानांतरण कर दिया । यही नहीं प्राथमिक शिक्षको के स्थानांतरण एक ही डिस्पैच नंबर से तीन तीन आर्डर जारी किया गया है । ऐसे लोगो से 80 हज़ार से एक लाख रुपये की वसूली जनपद में चर्चा मे है। बलिया में चर्चा है कि बेसिक शिक्षा को स्थानांतरण उद्योग बना चुके राकेश सिंह बलिया में यादव सिंह सरीखे है इनका भी तार माननीयो से जुड़े होने की बात चर्चित है । भ्रष्टाचार की हद राकेश सिंह कब पार कर गए यह खुद इनको भी नहीं पता होगी । वर्ष 2004 में फर्जी प्रमाण पत्रो के आधार पर नौकरी पाये जिन 204 अध्यापको की नौकरी को ख़त्म करके तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी भास्कर मिश्र द्वारा वेतन आहरण पर रोक लगाते हुए एफआईआर करने का आदेश दिया था । श्री राकेश सिंह ने मुकद्दमे से बचा कर इन लोगो का वेतन आहरण का आदेश भी जारी कर भुगतान करने का काम किये है । चर्चाओ के अनुसार प्रत्येक से 5 से आठ लाख की वसूली की गयी है । इनके भ्रष्टाचार के कारनामो की जानकारी होने पर विधान सभा अध्यक्ष माननीय माता प्रसाद ने बेसिक शिक्षा के सचिव को पत्र लिखकर जाँच कर नियमानुसार कार्यवाही करने का आदेश दिया गया जो आजतक कही दबा कर रखा गया है ।इनके कारनामो को सबूतो के साथ वंश गोपाल सिंह कमलेश सिंह चंद्र विजय सिंह ने माननीय मुख्यमंत्री प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा को भेजा है परन्तु 24 अगस्त 2015 से यह पत्र कही दवा हुआ है ।
अभी बिगत 7 मई को बेसिक शिक्षा सचिव द्वारा 6 बिन्दुओ पर प्रदेश भर के बेसिक शिक्षा अधिकारियो से जो सूचनाये मांगी गयी है अगर मात्र इसी को आधार बना कर कार्यवाही की जाय तो राकेश सिंह का बचना मुश्किल है परंतु अपने आकाओ के परिजनों और रिश्तेदारो को रेवड़ी की तरह नौकरी देने वाले राकेश सिंह पर प्रदेश सरकार कोई कार्यवाई करेगी लोगो में शंका है क्योकि बलिया जिला नहीं देश है । बलिया में विकास की वजाय विनाश करने वाले अधिकारी एक जनपद में अधिकतम रहने के शासनादेश के कई गुना वर्ष से जमे हो ,एन एच आर एम में फर्जी नियुक्तियों और घोटालो के लिए चर्चा में रहने वाला बाबू हो चाहे जिला पंचायत अध्यक्ष सुधीर पासवान के हस्ताक्षर से जिला पंचायत द्वारा बेसिक शिक्षा अधिकारी बलिया को भ्रष्टाचारी कह निंदा प्रस्ताव पारित कर हटाये जाने के लिए बेसिक शिक्षा के प्रमुख सचिव को भेजा गया पत्र हो या चाहे विधान सभा अध्यक्ष माननीय माता प्रसाद जी द्वारा भेजा गया पत्र हो , के ऊपर अबतक करवाई न होना यह साबित करने के लिए काफी है कि बीएसए राकेश सिंह का प्रदेश सरकार के ऊपर कितना दबाव है । अगर ऐसा न होता तो राकेश सिंह के ऊपर जितने गंभीर आरोप सबूतो के साथ6 लगे है उसके बाद इनको तत्काल निलंबित कर जाँच6 बैठा दी गयी होती । सूत्रो की माने तो राकेश सिंह द्वारा एडेड विद्यालयो में 60 से ज्यादे नियुक्तियां की गयी है लेकिन रिकार्ड 40 का ही कार्यालय में उपलब्ध है । अगर गंभीरता से इसकी जाँच वेतन आहरण के दस्तावेजो के आधार पर की जाय तो सारी हकीकत सामने आ जायेगी ।परंतु पिछले पंचायत चुनाव में अपने गृह जनपद आजमगढ़ से जिलापंचायत सदस्य का  चुनाव अपनी पत्नी को लड़ाने वाले राकेश सिंह बलिया में आरओ के प्रभार होते हुए भी बिना छुट्टी के कई दिन गायब रहे और इनके गायब रहने का प्रमाण आज़मगढ़ में इनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज होने और बलिया के तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा राकेश सिंह के विरुद्ध डीओ लेटर भेजकर करवाई करने की संस्तुति भी जब धूल फांक रही है तो बलिया के विद्यालयो के प्रबंधको और सदस्यों की शिकायते प्रदेश सरकार के बेसिक शिक्षा मंत्री और मुख्य मंत्री के दरबार तक करवाई के लिए पहुंचेगी यह विचारणीय प्रश्न है । लोगों का कहना है कि अगर मुख्यमंत्री जी को भ्रष्टाचारियो के खिलाफ सख्त सन्देश देने की शुरुआत करनी हो तो बलिया जनपद से अच्छा जनपद शुरुआत के लिए नहीं मिलेगा । बेसिक शिक्षा अधिकारी से शुरू होते हुए विकास भवन स्वास्थ्य विभाग नगर पालिका परिषद में शासनादेश के विपरीत जमे हुए अधिकारियो कर्मचारियों पर अगर करवाई की जाती है तो यह मिथक टूट सकता है कि बलिया जनपद नहीं देश है ।अन्यथा बलिया देश बना रहेगा । हम बलिया के बीएसए के काले कारनामो का चिटठा तब तक खोलते रहेंगे जब तक इनके विरुद्ध करवाई न हो जाये । अगली कड़ी में राकेश सिंह के द्वारा किये गये और काले कारनामो का पर्दाफाश किया जायेगा।
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