गाजीपुर। शाहनवाज़ अहमद। भले ही यूपी की सपा सरकार दावा करे कि किसानों की असल हमदर्द वह हैं लेकिन इसकी सच्चाई शुक्रवार की दोपहर जमानियां एसडीएम कोर्ट के सामने खुल गई। जब कर्ज में डूबा हरपुर नई बस्ती का किसान रामध्यान यादव ने अपने हाथ की नस काट कर खुदकुशी की कोशिश की। चश्मदीदों के मुताबिक नस काटने के बाद रामध्यान कोर्ट में घुस गया। उसकी दशा देख वहां अफरा-तफरी मच गई। मौके पर मौजूद अन्य लोग उसे पकड़ लिए। बाद में उसको पुलिस के हवाले कर दिया गया। रामध्यान का कहना था कि वह खेती के लिए यूबीआई से चार लाख रुपये का कर्ज लिया था लेकिन ओलावृष्टि व अतिवृष्टि से उसकी सारी फसल बर्बाद हो गई।
कर्ज की रकम लौटाना उसके बस में नहीं है लेकिन बैंक कर्मी कर्ज वसूली के लिए उसको मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं। जबकि सरकार से बर्बाद फसल का उसको अब तक मुआवजे की एक पाई नहीं मिली है। जमानियां कोतवाल राम सिंह ने माना कि रामध्यान अपने हाथ की नस काट लिया था। उन्होंने बताया कि वह अवसाद में था। उसे किसी तरह समझाबुझा कर छोड़ दिया गया। इस सिलसिले में जब हमने जमानियां एसडीएम राजकुमार गौतम से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि संबंधित किसान बैंक से गैर कृषि कार्य के लिए कर्ज लिया है। क्या रामध्यान बैंक से वह कर्ज केसीसी पर लिया था। एसडीएम का जवाब था कि यह उन्हें नहीं मालूम। हां! रही बात बर्बाद फसल के मुआवजे की तो शासन से इस मद में धन नहीं मिला है।
गौर करने की बात यह कि जमानियां प्रदेश सरकार के पर्यटन मंत्री ओमप्रकाश सिंह का निर्वाचन क्षेत्र है। वह अपने भाषणों में दोहराना नहीं भूलते कि उन्हें जमानियां को जमाने से पार ले जाना है लेकिन रामध्यान की घटना से साफ है कि वहां का आम किसान जमाना क्या मौजूदा हालात से पार पाने में खुद को अक्षम महसूस कर रहा है।