प्रतिवर्ष की भांति इस बार भी 12 जून को कश्मीर घाटी में बने खीर भवानी मंदिर में हजारों विस्थापित हिन्दू एकत्रित हुए। इन हिन्दुओं के साथ कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती ने भी मंदिर में प्रार्थना की कि विस्थापित हिन्दू जल्द से जल्द कश्मीर में लौट आएं। महबूबा ने कहा कि वे मन व दिल से चाहती हंै कि हमारे हिन्दू भाई-बहन वापस घरों में आ जाए और एक बार फिर से कश्मीर स्वर्ग बन जाए।
इसके साथ ही महबूबा ने यह माना कि पिछले 25 वर्षो में कश्मीर घाटी के हालात बदल गए हैं। ऐसे में यह देखना होगा कि किन हालातों में लाखों हिन्दुओं को कश्मीर में फिर से बसाया जाए। महबूबा के सीएम बनने के बाद 12 जून को पहली बार खीर भवानी मंदिर का मेला हुआ। ऐसे में महबूबा की उपस्थिति राजनीतिक दृष्टि से मायने रखती हैं। जो लोग पीएम नरेन्द्र मोदी से बार-बार यह सवाल करते हैं कि भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ मिल कर सरकार क्यों बनाई? इस सवाल का जवाब महबूबा की सीएम के तौर पर खीर भवानी मंदिर में उपस्थिति है। महबूबा लाखों विस्थापित हिन्दुओं को कश्मीर में वापस कब बसाती हैं, यह तो आने वाला समय ही बतएगा। लेकिन इतना जरूर है कि जो महबूबा अक्सर अलगांववादियों के समर्थन में खड़ी नजर आती थी, वही महबूबा अब हिन्दुओं को फिर से कश्मीर में बसाने की बात बार-बार करती हैं। 12 जून को खीर भवानी माता के मंदिर में भी महबूबा ने अपनी उपस्थिति इसी नजरिए से करवाई। महबूबा के इस रुख का विस्थापित हिन्दुओं ने भी स्वागत किया है। अब महबूबा को अपने कथन के मुताबिक ऐसा ठोस निर्णय लेना चाहिए, जिसमें हिन्दुओं को घाटी में बसाने का काम शुरू हो जावे। यदि महबूबा के नेतृत्व वाली सरकार ईमानदारी के साथ हिन्दुओं को संरक्षण देगी तो कश्मीर में आतंकवाद की समस्या भी समाप्त हो जाएगी। महबूबा को यह समझना चाहिए कि कश्मीर में आए दिन आतंक की वारदात इसलिए होती है,क्योंकि वहां हिन्दू नहीं रहते। यदि हिन्दू रहने लग जाए तो कश्मीर में आतंकवादी भाग जाएंगे। इसके लिए एक बार हिन्दुओं को मजबूती के साथ कश्मीर में अपने घरों में बसाना पड़ेगा।