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मत रो ए माँ, अब फिर कभी न आएगा तेरे जिगर का ये टुकड़ा, पापा मेरे अपनों ने देखो क्या किया मेरा हाल (नहीं रहा आशुतोष)

ये ही वो जगह है जहा आशुतोष को जलाने की बात अपराधियो ने स्वीकारी है
कानपुर। इब्ने हसन ज़ैदी व दिग्विजय सिंह। ये माँ तू मुझको कितना प्यार करती थी न, पापा आप भी कितना प्यार करते थे मुझको। मेरी एक आह पर आप दोनों तड़प जाते थे। माँ तुझे याद है माँ जब पापा मुझको डाँटते थे तो कैसे तू मेरी रक्षा करती थी न उनके क्रोध से। फिर पापा जब आपका गुस्सा थोड़ी देर में ठंडा हो जाता था तो आप भी मुझको कितना प्यार करते थे न, और मेरी बहन छुटकी वो तो मेरे हमेशा आगे पीछे भागती थी। मैं जब उसको चॉकलेट नहीं देता था तो कैसे रुठने का ड्रामा करती है। माँ- पापा हम लोग कितना खुश थे न। फिर किसकी नज़र लग गई मुझको। माँ मैं जीना चाहता हु, पापा मैं मरना नहीं चाहता। फिर ये क्यों मौसा जी के भाई और उनकी पत्नी मुझको मार रहे है। माँ बहुत दर्द हो रहा है माँ, ये लोग मुझको ज़िन्दा जला रहे है। पापा मैंने क्या बिगाड़ा है इनका। ये तो मेरे अपने ही है न। ये तो मौसा जी के भाई है मैं इनको भी तो मौसा जी ही कहता हु, और ये उनकी पत्नी इनको मैं आंटी कहता था माँ। पापा बहुत तकलीफ हो रही है। अब मैं जा रहा हु, फिर कभी लौट के नहीं आऊंगा। माँ आप रोना मत वरना छुटकी को कौन संभालेगा। पापा आप माँ का ख्याल रखना।छुटकी मेरी बहन तू माँ को तंग मत करना। माँ पापा आप दोनों भी कितने बदकिस्मत है न, अपने जिगर के टुकड़े का मरा मुह भी नहीं देख पाये। माँ तू अब रो ले, अब तेरा लाल कभी वापस नहीं आएगा। पापा देखों न इन अपनों ने मेरे साथ क्या किया मुझे आपसे और मेरी प्यारी बहनों से दूर हमेशा के लिए दूर कर दिया ।
आशुतोष के शायद अंतिम शब्द यही रहे होंगे। अपनों की शक्ल में भेडियो ने उसको इस दुनिया से रुखसत कर दिया। नौबस्ता के वाई ब्लॉक किदवई नगर निवासी बैंक मैनेजर के एकलौते बेटे आशुतोष (12 ) की अपहरण के बाद उसके ही सगे मौसा के भाई व पत्नी ने तीन अन्य साथियों के साथ मिलकर जिंदा जला दिया। अब आशुतोष कभी वापस नहीं आएगा। अपहरणकर्ताओं के लगातार फोन करने के बाद भी सर्विलांस टीम एक्टिव नही हुई लोकेशन सचेंडी व् घाटमपुर बताने के बावजूद भी स्थानीय पुलिस का सहयोग नही लिया गया और घटना कुछ वर्ष पहले हुए शिवम् हत्यांकाण्ड का रिमिक बनकर रह गई।
बताते चले की गुजिश्ता 8 जून 2016 को बैंक मैनेजर धर्मपाल सिंह का बेटा आशुतोष कोचिंग के लिए निकला था और जब देर शाम वो घर नही लौटा तो परिजन उसकी तलाश में निकल पड़े और तभी मैनेजर के फोन पर बेटे के अपहरण की कॉल आई साथ ही बेटे की सलामती के लिए 25 लाख रूपये की मांग। अपने बेटे के अपहरण की खबर सुनते ही परिजन नौबस्ता थाने पहुंचे और बेटे के अपहरण की तहरीर दी नौबस्ता पुलिस ने लचर रवैया अपनाया और जब 9 तारीख को अपहरणकर्ताओं के फोन कॉल लगातार आते रहे और आशुतोष का कोई सुराग नही लगा तो पुलिस ने 24 घण्टे बाद अपहरणकर्ताओं ने नम्बर को सर्विलांस में लगवाया। मामले को गंभीर होता देख एसएसपी ने कई टीमों को लगाकर आशुतोष को तलाशने लगी लेकिन कोई सुराग नही लगा।
अंततः आशुतोष के अपहरण को राज्यपाल ने संज्ञान में लेकर एसटीएफ को लगाया। और 8 दिनों बाद आशुतोष के हत्यारों का सुराग लगा। आज सुबह ही कानपूर देहात पुलिस लाइन में एस टी एफ व कानपुर के पुलिस अधिकारीयों की चहल कदमी शुरू थी तभी पता चला की मासूम आशुतोष के हत्यारें पुलिस के हाथ लग गए और हत्यारें और कोई नही बैंक मैनेजर की सगी साली का देवर प्रकाश और उसकी पत्नी रौनक ने  तीन अन्य के साथ मिलकर आशुतोष को 10 तारीख की शाम मुंगीसापुर में हाइवे की पुलिया के नीचे जला दिया। पुलिस टीम को घटनास्थल से आशुतोष की बेल्ट का बक्कल मिला है लेकिन डेड बॉडी नही मिली है उधर आईजी कानपुर ने बताया कि पकड़े गए तीन आरोपियों ने जुर्म कबूल  लिया है। पुलिस के आला अधिकारी पकड़े गए आरोपियों से पूंछतांछ में जुटे है और आशुतोष की डेड बॉडी की खोजबीन जारी है।
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