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अपने कत्ल की शिकायत जाकर करू मैं किससे, यहाँ तो हाकिम भी वही है जो है कातिल मेरे।।।।

सुल्तानपुर। कादीपुर के संत तुलसीदास पीजी कालेज, बरवारिपुर,कादीपुर में प्राचार्य डॉ अरविन्द पाण्डेय और उनके दाहिने हाथ डॉ रविन्द्र मिश्रा द्वारा एक महिला शिक्षिका से छेड़छाड़ के आरोप पर प्रबंध तंत्र पहले से ही अपनी ख़ामोशी के लिए हाशिये पर था। कॉलेज प्रबंध समिति के अध्यक्ष और सुल्तानपुर सांसद प्रतिनिधि ओम प्रकाश पाण्डेय पर उठ रहे सवालो को विराम देने के लिये नेता जी ने जो हथकंडा अपनाया उससे वो और भी हँसी और परिहास के पात्र बन गए है और उनकी इस “विशेष जांच” की चतुर्दिक “विशेष चर्चाये” फिज़ाओ में सुनाई दे रही है। आइये बताते है हुवा क्या?

सूत्रो से ज्ञात हुवा कि संत तुलसीदास महाविद्यालय प्रकरण में अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए प्रबंधतंत्र अध्यक्ष और सांसद प्रतिनिधि ओम प्रकाश पाण्डेय ने “विशेष जांच कमेटी” बैठाल दी। नेता जी ने यहाँ भी राजनैतिक चक्र चला और कुछ ऐसा किया कि सांप भी मर जाय और लाठी भी न टूटे। इसलिए अध्यक्ष जी ने इसकी जांच पहले से आरोपो में घिरे प्रबंधक सौरभ त्रिपाठी को सौपी। प्रबंधक महोदय और प्राचार्य के गठबंधन पर पहले भी सवालिया निशान थे, फिर क्या? सूत्रो की माने तो आनन फानन में प्रबंधक महोदय ने जाँच आख्या आरोपी से ही मांग ली। अब आज तक तो नहीं देखा कि किसी आरोपी को ही उसके खिलाफ जांच दी जाय, मगर साहेब सांसद प्रतिनिधि का कालेज है, यहाँ कुछ भी हो सकता है। कहा जाता है कि उसी भागम भाग में आरोपी प्राचार्य ने क्षेत्र के एक पत्रकार को अपने पास बुलवाया, दावत का दौर चला, गला तर हुवा, एक सूत्र की माने तो पत्रकार महोदय ने वायदा किया कि पुरे कादीपुर का कोई पत्रकार बोलेगा ही नहीं मैं सबको मना कर दुँगा। गोपनीय सूत्र के अनुसार पत्रकार महाशय ने एक लिफाफा पकड़ा और “जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा” गाते हुवे गंतव्य को चल दिए।
सूत्र बताते है कि इसके बाद प्राचार्य ने पहले से हस्ताक्षर कर रखे कुछ सादे कागज़ों (जिन पर कुछ शिक्षको के हस्ताक्षर थे) खुद को चरित्र प्रमाणपत्र देते हुवे घटना को झूठी बता कर रिपोर्ट मैनेजर साहेब को भेज दी और मैनेजर साहेब ने अध्यक्ष जी को।
अब हम बोलेंगे तो बोलोगे नेता जी कि बोलता है। अगर यह सभी सूत्रो से प्राप्त जानकारी सत्य है, जो कि सत्य ही है क्योकि वैसे तो माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार पत्रकार अपना सूत्र बतानें के लिए बाध्य नहीं है, फिर भी मैं आपको अपना एक सूत्र बता ही देता हु जिसको जानकार आप स्वयं अचंभित रह जायेगे। सांसद प्रतिनिधि महोदय मेरा एक सूत्र आप स्वयं है, शनिवार को दोपहर आपसे इस प्रकरण में मिलने आये एक आपके पुर्व परिचित जो आपके सामने बैठ कर बात कर रहे थे, उनके साथ मैं स्वयं था। यह बात आपको इस कारण बता रहा हु क्योकि मुझको पता चला कि आप मुझको पहचानना चाहते है। साहेब आपके स्वयं के महाविद्यालय के बाहर कुछ शिक्षक एक बार धरना प्रदर्शन कर रहे थे, मुझको भली भाँति याद है वो दिन आपके हाथ से बेहाथ हुवे पुर्व प्राचार्य जिनकी आपके कालेज में हत्या हुई थी। याद है न साहेब आपको भी, वो बहादुर प्राचार्य जो मैनेजमेंट के हाथ की कठपुतली नहीं बना। बड़ी टशन थी सबको। आखिर बे मौत मारा गया वो बेचारा। अरे साहेब मैं सिर्फ वो धरना प्रदर्शन याद इसलिए दिला रहा था कि वहा शिक्षक लोग बड़ी ज़ोर ज़ोर से एक नारा लगा रहे थे, साहेब वो कह रहे थे “जो नहीं डरा, वो यही मरा”। साहेब डर तो मुझको भी नहीं लगती है।
खैर साहेब, छोड़िये न इन पुरानी बातो को हम नई बात करते है, क्या रखा है पुरानी बातो का। साहेब बाते है तो बात तो होकर ही रहेगी, मगर बात की बात तो ये है साहेब कि आप सांसद प्रतिनिधि है। एक प्रकार से ज़िले के सांसद है साहेब, ज़िले की हर बहन, बेटी, माँ की इज़्ज़त आबरू के आप रखवाले है। वोट मांगते समय आपने भी कहा होगा बहन जी, माता जी, बिटिया वोट देना। साहेब इतने जल्दी अपने शब्द भूल गए। जिसको वोट लेते समय आपने अपनी बहन, बेटी, माँ समान बताया आज वैसी ही एक किसी की बेटी, किसी की बहन फरियाद की आपसे कि भैया आपकी इस बहन के साथ आपके फलनवा करीबी ने छेड़खानी की है, साहेब आपने उसकी शिकायत को अनसुना कर दिया। जब आवाज़ इतनी तेज़ हुई कि कानो के पर्दो तक पहुचने लगी तो आपने इसकी जांच आरोपी से ही करवा ली।
वाह साहेब आप नेता लोगो का भी क्या इन्साफ होता है। कमाल का इन्साफ है साहेब। मगर साहेब शायद आपको याद नहीं 2017 में ऐसे ही बहन बेटियो के पास वोट मांगने आप फिर जायेगे, फिर किस बात पर वोट मांगेगे। साहेब इसकी गूंज अगर मंचो से 2017 में उठी तब फिर क्या होगा आपके प्रत्याशी का। क्योकी आज भी हम भारतीय अपनी बहन बेटियो की इज़्ज़त के लिए अपनी जान दे देते है। साहेब आप नेता है, सांसद के प्रतिनिधि है। संसदीय क्षेत्र की हर महिला आपके परिवार का हिस्सा है, फिर भी साहेब ऐसा न्याय क्या?
साहेब एक शेर याद आया
“अपने कत्ल की शिकायत, जाकर करू मैं किससे,
यहाँ तो हाकिम भी वही है, जो है कातिल मेरे।”
साहेब आप राजनैतिज्ञ व्यक्ति है, मगर ऐसी राजनीती परिवार में शायद शोभा नहीं देती है क्योकि पूरा संसदीय क्षेत्र आपका परिवार है साहेब। क्या कमाल की जांच करवाई साहेब आपने, आरोपी ही अपने खिलाफ आरोप की जांच कर रहा है। इससे कुछ और नहीं बल्कि अरविन्द पाण्डेय के उस कथित दावे को ही बल मिलता है जिसमे वो डंके की चोट पर कहता है कि प्रबंध तंत्र मेरा क्या कर लेगा उसको मैं 2 करोड़ सालाना ऊपरी कमाई करवाता हु। सही है साहेब नमन है आपके इस इन्साफ को। जय हो।
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