वाराणसी। आलोक श्रीवास्तव। स्मार्ट सिटी बनने की ओर आतुर काशी जहाँ आधुनिकता का लिबास ओढने को बेताब है वहीँ नौकरशाही अपने रवैये के चलते काशी को सदियों पूर्व की स्थिति से भी बदत्तर करने को आमादा हैं। एक ओर जहाँ नवागत जिलाधिकारी विजय किरण आनन्द लगातार ज़िले की व्यवस्था को सुधारने के प्रयास में लगे हैं और लगातार ग्रामीण इलाकों का औचक निरिक्षण कर मातहतों को कार्यशैली में सुधार लाने की हिदायत देने के साथ ही गलती मिलने पर सम्बन्धित के विरुद्ध कार्यवाही करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। वहीँ वाराणसी नगर निगम के अधिकारी जनता द्वारा किये गए अतिक्रमण को तोड़ने में नहीं हिचक रहे हैं। आलम ये हो गया है कि लोग अब स्वयं अपने से अतिक्रमण को हटाने लगे हैं। हालांकि सूत्रों का कहना है कि इस कार्यवाही में पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है निचले व गरीब लोगों को तो तत्काल उजाड़ दिया जा रहा है वहीँ दबंग और धनाढ्य लोगों के साथ नरमी बरती जा रही है। इसको देखते हुए दुष्यंत कुमार की वो पंक्तियाँ “कहाँ तो तय था चिरागां हर घर के लिए, कहाँ चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए” एकदम सटीक बैठती हैं। अब हम आपको नगर निगम की करतूतों से अवगत कराने का प्रयास करते हैं। शायद इस प्रयास से नगर निगम के अधिकारियों की आँखें खुल जायँ और नगर के मध्य बने राजकीय बालिका इण्टर कालेज के छात्राओं को नरक से निजात मिल सके।
शहर के मध्य पॉश इलाके में बने राजकीय बालिका इण्टर कालेज की बाउंड्री के ठीक सामने नाले के ऊपर ना जाने किस अधिकारी के आदेश से अपशिष्ट गृह का निर्माण करा कर मध्य शहर का कुदावहां गिराया जाने लगा। जबकि ऐसा नहीं है कि केन्द्रीय मंत्री, प्रदेश के मंत्री, विधायक व ज़िले के आलाधिकारी उस मार्ग से न गुजरते हों। परन्तु आज-तक किसी भी मन्त्री, विधायक व अधिकारी की नजर इस अपशिष्ट गृह पर नहीं पड़ी। अपशिष्ट गृह के बगल में नाले पर ही एक और निर्माण कराया जा रहा है जो इन दिनों किन्ही कारणों से बंद पड़ा है। हद तो अब हो गयी जब प्रधानमन्त्री के स्वच्छता अभियान पर ही ग्रहण लगना शुरू हो गया। एक ओर जिलाधिकारी द्वारा गाँव-गाँव का दौरा कर खुले में शौच करने को रोकने का प्रयास किया जा रहा है वहीँ दूसरी ओर शहर के मध्य इस विद्यालय के सामने बने नाले के ब्लॉक पर खुले में शौच कर गन्दगी फैलाई जा रही है। जिससे इधर से गुजरने वालों को सांस रोककर गुजरना पड़ता है तो इस विद्यालय में पढ़ने वाली छात्राओं व शिक्षिकाओं का क्या हाल होता होगा। ऐसा नहीं है कि इस क्षेत्र में सफाई कर्मियों की तैनाती नहीं की गयी है इनको क्या हो रही गन्दगी की जानकारी नहीं हुई यदि हुई तो क्या उन्होंने अपने उच्चाधिकारियों को इससे अवगत कराया।
> विद्यालय आने वाली छात्राओं व कर्मचारियों का जीना होता है मुहाल- माया सिंह
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प्रिंसिपल माया सिंह का कहना है कि विद्यालय में मेरे कार्यभार ग्रहण करने के पूर्व ही अपशिष्ट गृह का निर्माण हो चुका था और उसमे शहर का कूड़ा अन्य स्थानों से लाकर गिराया जाता था। कूड़े से उठने वाली दुर्गन्ध से कई बार ऐसा हुआ है कि छात्राओं को उल्टी होने लगती है। साथ ही कहा कि कूड़े में जब कभी आग लग जाती है तो विद्यालय परिसर में रहना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में समझ में नहीं आता कि क्या किया जाय। एक प्रश्न का जवाब देते हुए बताया कि अपशिष्ट गृह के बगल में नाले के ऊपर नगर निगम द्वारा एक नया निर्माण कराया जा रहा था। मेरे द्वारा मंडलायुक्त को अवगत कराते हुए नगर निगम के अधिकारियों को जब पत्र लिखा गया तो कार्य रोक दिया गया है। माया सिंह का कहना था कि एक ओर हमारे देश के प्रधानमन्त्री बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए कटिबद्ध हैं वहीँ नगर निगम की कार्य प्रणाली देखकर समाज के साथ धोखा नज़र आती है।