मथुरा। रवि पाल। रौब की नौकरी के लिए पुलिस की वर्दी पहनने का जुनून रखने वाले युवाओं का रुझान अब पुलिस की नौकरी की ओर नहीं है। यह केवल एक रोजगार का विकल्प बन कर रह गया है। दूसरा विकल्प मिलने पर युवा अब पुलिस की नौकरी छोड़ने से परहेज नहीं कर रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में ट्रेनिंग शुरू होने के साथ ही 150 सिपाही और 30 दरोगा इस्तीफा देकर चले गए हैं।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार कई और दरोगा भी नौकरी छोड़ेंगे। पुलिसकर्मियों पर लगातार बढ़ते राजनीतिक दबाव और काम के अनियमित बोझ को भी इसमें एक कारण माना जा रहा है।वर्तमान में प्रदेश के ट्रेनिंग सेंटरों में 16000 हजार कांस्टेबल और 3000 दरोगाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कांस्टेबलों की ट्रेनिंग सभी पुलिसलाइन और पीएसी की आरटीसी में हो रही है।
प्रशिक्षण को अभी चार महीने ही हुए हैं लेकिन ट्रेनिंग के बीच ही दरोगा और कांस्टेबल इस्तीफा देकर जा रहे हैं। ट्रेनिंग मुख्यालय तक पहुंची रिपोर्ट के मुताबिक करीब 150 कांस्टेबलों ने तो ट्रेनिंग करने से ही इंकार कर दिया। जब इन लोगों ने ट्रेनिंग सेंटरों पर आमद नहीं कराई तो पुलिसलाइन से नोटिस जारी किए गए। नोटिस का भी कोई जवाब नहीं दिया तो मान लिया गया है कि इन्हें नौकरी की जरूरत नहीं है। तीन दरोगा भी ट्रेनिंग करने नहीं पहुंचे।
ज्वाइनिंग के साथ ही 300 ने दिया मेडिकल
ट्रेनिंग सेंटरों पर ज्वाइन करने के साथ ही 300 से ज्यादा सिपाही मेडिकल जमा कर अवकाश पर चले गए हैं। यह आंकड़ा प्रदेश भर का है। ये लोग कब आएंगे, आएंगे भी या नहीं, किसी को नहीं पता। माना जा रहा है कि ये सभी दूसरी नौकरी ज्वाइन कर चुके हैं। वही कुछ सेंटरों से इस्तीफा देने की रिपोर्ट आई है
डीजी ट्रेनिंग सुलखान सिंह ने फोन पर हुई बातचीत में बताया कि सभी जिलों की पुलिस लाइन और पीएसी की बटालियनों में बनाई गई आरटीसी में कांस्टेबलों की ट्रेनिंग कराई जा रही है। कई सेंटरों से रिपोर्ट आई है कि कई दरोगा और कांस्टेबिल इस्तीफा देकर चले गए हैं। उन लोगों ने किसी दूसरे विभाग में ज्वाइन कर लिया होगा। कुछ महिला कांस्टेबिलों ने शिक्षिका की नौकरी ज्वाइन कर ली है।
पांच दरोगा इंटर कालेज में बने शिक्षक
एक महिला और चार पुरुष दरोगाओं ने तो उस वक्त नौकरी छोड़ दी जब उनकी पासिंग आउट परेड होने जा रही थी। ये पांचों इंटर कालेज में शिक्षक हो गए हैं।
पुलिस की नौकरी से परिवारीजन भी टेंशन में
प्रदेश में पुलिस पर लगातार बढ़ते हमलों से पुलिसवालों के परिवारीजन भी टेंशन में हैं। नाम न छापने की शर्त पर कुछ पुलिसवालों ने बताया कि घर वाले चाहते हैं कि वह थाने पर नौकरी न करके पुलिस की शाखाओं में अपना ट्रांसफर करा लें।