महराजगंज। देखा जाय तो किसी भी क्षेत्र व जिले के विकास के पैर या पहचान वहाँ की सड़के ही होती हैं ,जिन पर विकास का पहिया दौड़ता है और दिखता भी हैं । परन्तु महराजगंज की स्थिति सड़को के मामले मॆ बेहद ही दयनीय हैं। यू कहे कि टूटीफूटी संकरी सड़के महराजगंज की पहचान बन गई हैं।
यह कहावत बन गई हैं की सड़को मॆ गढ़े और झटके शुरू हुऐ तो महाराजगंज की सीमा प्रारम्भ हो गई । जिला मुख्यालय से सिँदुरिया -निचलौल -ठूठिबारि -नौतनवा और निचलौल-सिसवा -कप्तान गंज । जिले के काफी महत्वपूर्ण व व्यस्त मार्ग हैं जो व्यवसाय ,यातयात ,व सीमा सुरक्षा सभी मायनों मॆ महत्वपूर्ण हैं और घनी आबदी वाले इलाकों कॊ जोड़ती हुई नेपाल राष्ट्र कॊ जाने वाली अन्तर राष्ट्रीय आवागमन का रास्ता हैं । पर इन सड़को पे चलना क्या इनकी स्थिती देख के रोना आता हैं ।
पटरिया कटी पड़ी हैं ,सड़क मॆ गहरे गड्ढों की भरमार हैं ;गिट्टी व रोड़े सड़क से निकल कर पसरे पड़े हैं । बेहद व्यस्त रहने वाले इन मार्गों पे आये दिन छोटी बड़ी दुर्घटनाएं होती रहती हैं ;और इन दुर्घटनावो से कइयों कॊ हाथ पैर तो कइयों कॊ तो अपनी जान तक गंवानी पड़ी हैं ।
हर रोज़ बडे छोटे अधिकारिवो व जनप्रतिनिधिवो का इन सड़को पे आवागमन लगा रहता हैं ,पर शायद उन्हे अपनी लग्जरी गाडिवो मॆ आम जनता की परेशानियों का पता नही चलता होगा ।
हर दो तीन महीनों मॆ इन सड़को की मरम्मत की जाती हैं पर पता नही कौन सा बंदर बाँट होता हैं कि रिपेयर के हप्ते पन्द्रह दिन के भीतर ही स्थिति जस कि तस हो जाती हैं और ठेकेदार ,अधिकारी व कर्मचारी अपने अपने हिस्से के साथ किनारे हो लेते हैं ।
महराजगंज के सीमावर्ती जिलों कुशीनगर ,गोरखपुर या शिद्धार्थनगर कि सड़को कॊ देखे तो यही लगत हैं कि जिला महाराजगंज के विकाश के पैर टूट गये हैं ,और इस लंगडे जिले कि लंगडी सड़को के नाम पर अधिकारी अपनी जेब भर रहे हैं और नेता चुनावों मॆ अपना वोट ।
और जनता खा रही हैं चोट ।
सम्बन्धित अधिकारियों से इस बावत पूछने पे हमेशा एक ही जवाब होता हैं ।
“शासन कॊ रिपोर्ट भेजी गई हैं ,जल्दी ही सड़को कॊ ठीक कर लिया जायेगा।”