मुहम्मद सूफ़ीयान के साथ राममिलन यादव।
प्रदेश सरकार जितना भी जनहितकारी काम कर ले जितनी भी योजनाएं बना ले, मगर जहा उन योजनाओं को लागू किया जाता है वहां बैठे सरकार की तनख्वाह पर ऐश करने वाले अपना जुगाड़ बैठा कर मौज काटने का कोई न कोई रास्ता ज़रूर निकाल लेते है। प्रदेश सरकार जिन योजनाओं को आम जन की भलाई के लिए मुफ्त में उपलब्ध करवा रही है , वही योजनाओं को लागू करने वाले चंद लोग खुद के लिए उन योजनाओं में सिक्कों की खनक पैदा कर लेते है। हर व्यक्ति को मुफ्त इलाज के लिए सरकार ने व्यवस्था की तो उस मुफ्त के सापेक्ष कई जगह उन योजनाओं के लिए पैसो की अवैध वसूली शुरू कर दी जाती है।
ताज़ा उदहारण आज बेल्थरा रोड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में देखने को मिला जहा स्थित पैथोलॉजी में जाँच के नाम पर 20 रुपयों से लेकर 40 रुपयों तक की अवैध वसूली हो रही है। मरीज़ के आने के ही पहले दवाओं के दलाल डाक्टर के इर्द गिर्द मंडराते रहते है। अगर आपको अस्पताल में ही जाँच करवाना है तो पैथोलॉजी असिस्टेंट तत्काल पैसो की मांग करते है। भुक्त भोगी कुछ मरीज़ों से हमने बात करना चाहा मगर अधिकतर मरीज़ों ने कैमरे के सामने इस डर की वजह से बोलने से मना कर दिया है क्योकी गरीबी में सहारा तो इसी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है। आना दुबारा यही है। फिर सामना ऐसे ही होगा, कौन झेले फिर इनकी गुंडई।
अभी कुछ महीने पहले ही की बात है जब सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर कुत्ता काटने की सुई लगवाने के लिए एक युवक से पैसा मांगा गया और मानसिक झुंझुलाहट के कारण उसने अस्पताल में खूब थोड़ फोड़ कर डाली थी। पुलिस ने उसको सार्वजनिक संपत्ति के नुक्सान के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। मगर उन भ्रष्ट कर्मियों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई जिसने उससे पैसो की मांग की थी। शिकायत जितनी भी हो इन भ्रष्टाचारियो पर कोई असर नहीं पड़ता। इनकी कथित ऊपर तक पकड़ होती है। क्षेत्रिय विधायक और चैयरमैन कभी इस मुद्दे में दखल ही नहीं देते। आखिर क्यों देंगे। यहाँ आने वाला गरीब केवल के मत है शायद उनके लिए।
खैर साहेब, डर को चीरते दो लोगो ने हमारा साथ दिया और कैमरे के सामने बोला कि पैसे लिए जाते है।
ज़िला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर होने के कारण इनको कोई ख़ास फिक्र भी नहीं है। कभी मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने दौरा भी किया तो थोडी सी डाँट सुन लेंगे। अब अगर ऊपरी कमाई चाहिए तो इतना सुन लिया जाता है। साहेब आयेगे 2-4 घंटे रहेंगे और फिर चले जायेंगे, उनके सामने कसम थोड़ी खा ली कि नहीं करेगे भ्रष्टाचार। अगर खा भी लिया कसम तो क्या फर्क पड़ता है। कसम होती ही है तोड़ने के लिए। जनता कमज़ोर है, आवाज़ उठायेगी नहीं, जब जनता आवाज़ नहीं करेगी तो जन प्रतिनिधियों को क्या पड़ी जो कुछ बोलेंगे। आखिर हम भी तो वोटर है। अव्वल तो पुलिस के पास कोई शिकायत लेकर जायेगा नही,अगर पुलिस के पास शिकायत अगर गई तो भी क्या, पुलिस कार्यवाही क्या करेगी साहेब ?
खैर साहेब, अब देखने की बात यह होगी कि इस अवैध वसूली को आखिर कब और कौन बंद करवाएगा या फिर ऐसे ही दर्द से कराहता मरीज़ यहाँ पैसे लुटाता रहेगा। क्या चिकित्सा अधिक्षक अथवा मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी कोई कड़ा कदम उठाएंगे या फिर ऐसे ही गोरखधंधा चलता रहेगा।