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अपने जिगर के टुकड़े को खोकर रोती एक माँ |
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अपने कलेजे के टुकड़े की विक्षिप्त लाश नहीं देख पाई एक माँ |
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दुर्घटना कितनी ह्रदय विदारक रही होगी इस्का अंदाज़ बिखरे बस्तो और किताब कापियों से लगाया जा सकता है। |
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दुर्घट्ना स्थल बार बिखरी किताँबे |
भदोही। अपनी कालीन के लिये देश विदेश में मशहूर ज़िला भदोही। अपनी मस्तानी चाल से चलने वाला यह शहर आज रो पड़ा। कल फिर कई कई बस्ते स्कूल जाएंगे, मगर कई नहीं जा पाएंगे कभी। एक बाप होने के नाते इस दर्द के अहसास से ही सिहर जाता हूं तो समझ सकता हु उन परिवार का दर्द जिन्होंने अपने नौनिहाल खो दिए। आज़ादी के 68 साल गुजर जाने के बाद आज जहा देश में बुलेट ट्रेन चलाने की तैयारी चल रही है वही आज भी मानव रहित क्रोसिंग मौजूद है। जो कभी भी किसी को अकाल काल के गाल में समा देती है। प्रदेश सरकार ने अपने शोक के आंसू बहा कर जहा पीड़ित परिवार को 2-2 लाख देने की बात कह कर आंसू पोछने की रस्म अदा कर दी वही केंद्र मे बैठी सरकार ने शोक संवेदना व्यक्त कर दी। मगर समझ नहीं आता कि उस माँ का आंसू कैसे पूछेगा जिसने सुबह अपने कलेजे के टुकड़े को तैयार कर उसके उज्जवल भविष्य के लिए उसको स्कूल भेजा था। आखिर स्कूल प्रबंधन कैसे अपनी जवाबदेही से किनारा कर सकता है जिसने अपने ड्राइवर को मानव रहित क्रोसिंग क्रॉस करने के पहले सुरक्षा का ध्यान रखना नहीं सिखाया। आखिर उस ट्रेन के ड्राइवर की जवाबदेही कोई कब लेगा जिसने दूर से विसिल लगातार नहीं बजाया जबकि उस ट्रैक पर वो कई बार चल चुका होगा। क्या इसकी जांच कभी होगी की यह चुक बस ड्राइवर की थी या फिर ट्रैन के ड्राइवर की थी।
एक स्कूल बस जिसमे 19 बच्चे सुबह घर से स्कूल को निकले थे उस लम्हे में वो बच्चों में से 10 विक्षिप्त लाश में तब्दील हो चुके थे। 9 गंभीर घायल ज़िन्दगी मौत की जंग लड़ रहे है।
साहेब दुर्घटना कितनी भयावाह रही होगी इसका अंदाज़ आप तस्वीरों से लगा सकते है। इस महिला को रोते हुवे आप देख रहे है, ये महिला एक माँ है। इस माँ के कलेजे का टुकड़ा आज सुबह तैयार होकर स्कूल को निकला था, साहेब उसके शरीर की ऐसी हालत हो गई है कि इस माँ को लोगो ने दिखाया नहीं। उस स्थिति को आप समझ ले कि ट्रेन काफी दूर तक लाशो और घायलों को घसीटते हुवे गई थी। हमने कई लोगो से जो घटना के समय दुर्घटना स्थल पर मौजूद थे बात की। प्रत्यक्षदर्शियों ने हमको बताया कि दुर्घटना इतनी भयावह थी कि जब हम लोग मौके पर दौड़े तो ट्रेन रुकते-रुकते 100 मीटर तक करीब 6-7 बच्चों को घसीटते हुए लेकर चली गई थी, एक बच्ची हवा में उड़ते हुए करीब 50 मीटर दूर पानी के तालाब में आकर गिरी। बच्चे जिनका अंग कट चुका था, वो ट्रैक से दूर करीब 15 फीट नीचे आकर गिरे थे। एक प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक बच्चों के चीथड़े 300 मीटर दूर तक जाकर गिरे थे। रेलवे ट्रैक पर बच्चे का कटा पंजा, पैर और सिर के बाल तक उड़ गए थे। ट्रेन में फंसे बच्चे तड़प रहे थे। 2 बच्चों का सिर धड़ से अलग हो चुका था। एक बच्चा तो बीच से बिल्कुल कट गया था। एक दूसरे बच्चे का पैर 3 हिस्सों में कट गया था, जो ट्रैक पर गिरा था। एक बच्चे के सिर का बाल ट्रैक पर गिरा था। बच्चों के बैग, टिफिन, कॉपी-किताब जमीन पर बिखरे पड़े थे। चीख-पुकार से पूरा माहौल गूंज रहा था। आंसुओ के बीच एक परिजन की बात समझने में भी समय लगा। इसका नाम संदीप मिश्रा था, उसके घर के 4 बच्चों की मौत हुई है। इनमें राजीव (10), संजीव (12), श्वेता और शुभ शामिल हैं। राजीव और शुभ की गर्दन कटकर अलग हो गई है।
भदोही के समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष मो. आरिफ सिद्दीकी, भदोही नगर पालिका अध्यक्षा महलका आरिफ सिद्दीकी, पूर्वांचल प्रेस क्लब अध्यक्ष अमजद अहमद, पूर्व मंत्री रंगनाथ मिश्रा, युवा सपा नेता टोनी मंसूरी, भदोही ब्लाक प्रमुख विकास यादव, औराई ब्लाक प्रमुख विकास मिश्रा, सुरियावां चेयरमैन नन्दलाल गुप्ता, युवा सपा नेता राजकुमार यादव, वरिष्ठ भाजपा नेता व चिकित्सक डा. आर.के. पटेल, पूर्व मंत्री दीनानाथ भास्कर, मेडिसिटी के डायरेक्टर डॉ अरशद अहमद सिद्दीकी, बसपा नेता इरशाद खां पप्पू, रईसु खां, कौमी एकता दल के भदोही जिलाध्यक्ष हाजी दानिश अंसारी, कालीन निर्यातक जाबिर बाबू अंसारी, शमीम अंसारी, दिलीप गुप्ता, समाजसेवी नितेश श्रीवास्तव आदि ने इस दुर्घटना पर अपना शोक व्यक्त किया है। वहीँ समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष आरिफ सिद्दीकी ने शोकाकुल परिजनो के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार इस हादसे पर नजर बनाए हुये है और इस दुःखद लम्हे में परिजनों के साथ है। उन्होने कहा कि हादसे के तुरन्त बाद इसकी सूचना उनके द्वारा मुख्यमंत्री को दे दी गयी थी। जिस पर माननीय मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी ने प्रभावित परिवारों को दो-दो लाख रूपये देने की घोषणा की है तथा घायल बच्चों के समुचित इलाज के लिए जिला प्रशासन को निर्देशित कर दिया गया है।