वाराणसी। वाराणसी के ज़िलाधिकारी के निर्देश पर विद्युत विभाग ने बड़े ही बहादुरी के साथ दालमंडी में बिजली चेकिंग अभियान चलाया। शुरू में भारी पुलिस बल और अधिकारियो के साथ चला यह चेकिंग अभियान कही न कही से एक मात्र ड्रामा ही प्रथम दृष्टयतः नज़र आता है। नए कनेक्शन झूम कर लेंगे। कनेक्शन के नाम पर विद्युत विभाग के दलालों की चांदी हो गई। यही नहीं कटिया कनेक्शन पर खूब मुक़दमे पंजीकृत हुवे। सम्बंधित समाचार आप सभी समय समय पर पढ़ते रहते है। आइये आज आपको खबर के अंदर की खबर से अवगत करवाते है। इस खबर के अंदर की खबर से अवगत करवाने के पूर्व आपको यहाँ की भौगोलिक दृष्टि से परिचित करवाते है।
दालमंडी में पहले विद्युत वितरण खंड भेलूपुर जोन हुवा करता था। ये इलाका तीन जोन का एक बार्डर हुवा जब मछोदरी और चौकाघाट जोन अस्तित्व में आये। कनेक्शन पुराने स्थानन्तरित तो नहीं हुवे मगर विद्युत विभाग के दलालों की चांदी ज़रूर हो गई। आपकी जानकारी को बता दे कि अभी विद्युत विभाग के पास कोई ऐसी टेक्नोलॉजी नहीं है कि वह पता कर सके कि किसी भवन पर किसी अन्य जोन में बकाया है कि नहीं। बस विभाग की इसी कमी के का लाभ उठाया विभाग के जुगाड़िया विभाग ने। उदहारण कुछ इस प्रकार है कि अगर किसी के ऊपर अगर भेलूपुर जोन के कनेक्शन का बड़ा बकाया है और उसकी बिजली कट चुकी है तो इन जुगाडियो ने उसकी पूरी बिल ख़त्म करवाने के आश्वासन के साथ उससे रकम ली, और नया कनेक्शन चौकाघाट से दिलवा दिया। अब चौकाघाट का बड़ा बकाया हुवा तो उसकी कटवा कर नया कनेक्शन मछोदरी से करवा दिया।
इसका एक जीता जागता उदाहरण देता हूं, दालमंडी के घुंगरानी गली में एक मकान बैंक नीलामी में ख़रीदा गया। उस मकान पर विद्युत विभाग का लाखो बकाया था भेलूपुर जोन से। इस संबंध में तत्कालीन बकायेदार पर आर.सी. भी सम्बंधित विभाग ने जारी कर रखा है। कई साल पहले जारी आर.सी.पर एक बार गिरफ़्तारी भी हुई। कुछ पैसा जमा करने के बाद गिरफ्तार व्यक्ति की छोड़ दिया गया। वह आर.सी का बकाया अभी भी लाखों में होने के बावजूद मछोदरी से उसके नाम से एक नया कनेक्शन जारी हो गया। अब उस नए कनेक्शन की बिल भी लाख के करीब हो चुकी है, अब जुगाड़िया नया कनेक्शन चौकाघाट से ले रहे है। मीटर वगैरह भी नया लग गया है।
ऐसा किसी एक के साथ नहीं है। अगर गहन चेकिंग की जाय तो ऐसा सैकड़ो मकानो में देखने को मिल जायेगा। इस व्यवस्था से निपटने के लिए न तो विभाग के पास कोई टेक्नोलॉजी है और न ही प्रशानिक अफसरों को इसकी जानकारी विभाग द्वारा दी गई है। इस क्षेत्र के लोगो की पहली पसंद के तौर पर उभर का मछोदरी उपकेंद्र आया है। इसका कारण यह है कि भेलूपुर उपकेंद्र में जुगाड़ गणित नहीं चल पाती है। वहां नियम का कुछ सख्ती से पालन होता है। अधिशासी अभियंता का कार्यालय कैम्पस में बीचो बीच होने के कारण जुगाड़िया लोगो का जुगाड़ सेट नहीं हो पाता है।
खैर प्रशासन अगर सिर्फ दिखावा नहीं बल्कि सख्ती के साथ इस क्षेत्र के विद्युत बकायेदारो पर कार्यवाही करना चाहता है तो यह संभव है बस मेहनत विभाग की बढ़ जायेगी और तीनो उपकेंद्र अपने बकायेदारों की लिस्ट लेकर आमने सामने बैठ कर मिलान कर ले और तीनों टीम एक साथ क्षेत्र का भ्रमण कर विद्युत बकायेदारों को चिन्हित कर सकते है।
मगर यहाँ यक्ष प्रश्न यह है कि आखिर ये करेगा कौन। चुनाव नजदीक है। राजनैतिक दबाव वोटो की राजनीति के तहत नेताओ का दबाव होना स्वाभाविक है। अब देखना यह है कि क्या वाराणसी के तेज़ तर्रार बिना दबाव के काम करने वाले ज़िलाधिकारी ऐसा कोई आदेश देते है अथवा जैसे चल रहा है वैसे चलता रहेगा।
इसमें सबसे ज़्यादा बड़ी खबर यह भी है कि नियमो के अनुसार अगर किसी पर विभाग द्वारा मुकदमा पंजीकृत करवाया जाता है तो उस मुक़दमे को वापस विभाग ही एक पत्र लिखकर लेता है, मगर पुरे शहर में ही यह हो रहा है कि बकाया बिल में जुगाड़िया लोग पार्ट पेमेंट आदेशित करवा कर विभाग को अँधेरे में रख कर उसकी रसीद विवेचक को दे दे रहे है और विवेचक उसी आधार पर मुक़दमे से नाम विवेचना में निकाल दे रहे है। इस जुगाड़ की जानकारी विद्युत विभाग को भी नहीं हो पा रही है।