नूर आलम वारसी
बहराइच : ग्लोबल टाईगर डे ”अन्तर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग बहराइच एवं डब्लू.डब्लू.एफ. के संयुक्त तत्वावधान में कतर्नियाघाट वन क्षेत्र अन्तर्गत गेरूवा नेचर इन्टरप्रिटेशन सेन्टर कतर्नियाघाट (नाव घाट) पर आयोजित एक दिवसीय गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रदेश के समाज कल्याण राज्य मंत्री बंशीधर बौद्ध ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार बाघों और वनों के संरक्षण के कटिबद्ध है। उन्होंने कहा कि वन और वन्य जीवों से विशेष प्रेम रखने वाले प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की सोच का नतीजा है कि बाघों की आबादी वाले क्षेत्र पीलीभीत को टाइगर रिज़र्व का दर्जा प्रदान किया गया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के प्रकृति प्रेम का अन्दाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जहा एक और 24 घण्टे के अन्दर 05 करोड़ पौध रोपित किये जाते वहीं दूसरी ओर प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ने पर मुख्यमंत्री कार्यालय से ट्वीट कर बधाई दी जाती है।
श्री बौद्ध ने कहा कि दुधवा राष्ट्रीय उद्यान एवं कतर्नियाघाट में बाघ संरक्षण की अपार संभावनाओं को देखते हुए प्रदेश सरकार ने इन क्षेत्रों में ईको टूरिज़्म को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी ली है। उन्होंने कहा कि ईको टूरिज़्म को बढ़ावा देने से लोगों को विशेषकर युवा वर्ग को प्रकृति की गोद में आकर वन एवं वन्य जीवों को देखने और समझने का अवसर मिलेगा जिससे वन और वन्य जीवों के संरक्षण में मदद मिलेगी। इस वर्ष ”थम्स अप” की थीम पर मनाये जाने वाले ग्लोबल टाईगर डे के सम्बन्ध में श्री बौद्ध ने कहा कि बाघ के संरक्षण के लिए आवश्यक है कि समाज के सभी वर्गो द्वारा थम्स अप किया जाय।
श्री बौद्ध ने कहा कि कतर्नियाघाट में अच्छे संरक्षण कार्य का ही नतीजा है जो बाघों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। पर्यटन सीजन में आने वाले वन्य जीव प्रेमियों को निरन्तर बाघ के दर्शन हो जाते हैं। श्री बौद्ध ने कहा कि खुले जंगल में टाईगर देखने का रोमांच क्या होता है इसे सिर्फ बाघ का दीदार करने वाला व्यक्ति ही बयान कर सकता है। श्री बौद्ध ने कहा कि भरथापुर ग्राम का प्रस्तावित विस्थापन भी टाईगर संरक्षण की दिशा में ठोस कदम है। उन्होंने कहा कि ग्राम के विस्थापन से वन्य जीवों विशेषकर टाईगर मानव बाधा रहित शानदार हैबीटेट वहीं एक टापू जैसे हालात में गुज़र-बसर कर रहे लोगों को अपना भविष्य संवारने का सुनहरा अवसर मिलेगा। समाज कल्याण मंत्री ने आमजन से अपील की कि वन और वन्य जीवों के संरक्षण में सहयोग प्रदान करें।
गोष्ठी में रिसोर्स पर्सन के रूप में मौजूद डब्लू.डब्लू.एफ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. कमलेश कुमार मौर्य ने बताया कि पूरे संसार में मात्र 13 देशों में टाईगर पाये जाते हैं। आज विश्व भर में टाईगरों की कुल संख्या लगभग 3900 है जिसमें सर्वाधिक लगभग 2226 बाघ भारत में हैं। डा. मौर्य ने कहा कि आधे से अधिक आबादी का घर होने के कारण बाघ के संरक्षण के प्रति दूसरों की अपेक्षा हमारी जिम्मेदारी अधिक है। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न पर्यावासों में टाईगर की संख्या में इज़ाफा होना इस बात का प्रमाण है कि हमें अपनी जिम्मेदारियों का एहसास है। विश्व टाईगर दिवस के सम्बन्ध में डा. मौर्य ने बताया कि बाघों के संरक्षण के लिए वर्ष 2010 में रूस में आयोजित विश्व स्तरीय बैठक में 29 जुलाई को ग्लोबल टाईगर डे के रूप में मनाये जाने का निर्णय लिया गया था।
विश्व टाईगर डे के अवसर पर ईको टूरिज़्म परिसर कतर्नियाघाट में ”बाघ संरक्षण” विषय पर पेन्टिंग प्रतियोगिता तथा प्राकृति से साक्षात्कार के मद्देनज़र स्कूली छात्र-छात्राओं के लिए नेचर वाक का आयोजन किया गया। पेन्टिंग प्रतियोगिता में तराई एजूकेशनल एकेडमी के कक्षा-6 के छात्र सुधांशु विश्वकर्मा एवं प्रियांशु विश्वकर्मा ने प्रथम एवं द्वितीय, शारदा सहायक परियोजना इण्टर कालेज के छात्र विनय कुमार ने तृतीय तथा वनांचल विद्यालय बिछिया की छात्रा अंजलि को सांत्वना पुरस्कार प्राप्त हुआ। पेन्टिंग प्रतियोगिता में विशुनापुर प्राथमिक विद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा भी प्रतिभाग किया गया।
कार्यक्रम के सह आयोजक कतर्नियाघाट वेलफेयर सोसायटी के सचिव आबिद रज़ा ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस अवसर पर कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग के उप प्रभागीय वनाधिकारी जेएन सिंह, वन्य जीव प्रतिपालक पीएन राय, वन क्षेत्राधिकारी कतर्नियाघाट गयादीन, ककरहा के विकास अस्थाना, धर्मापुर के पीके मिश्रा, बड़खड़िया के प्रधान कैलाश चैहान, कारीकोट के हुकुम सिंह सहित ईको विकास समितियों के पदाधिकारी, क्षेत्रीय नागरिक तथा अन्य वनाधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।
नूर आलम वारसी।