मुहम्मद राशिद
वाराणसी। पेशी पर आने वाले मुजरिमो के अक्सर भाग जाने का समाचार प्रदेश में मिलता रहता है। अभी इसी पखवारे कौशाम्बी में पेशी पर आये एक मुजरिम के भाग जाने का समाचार मिला था। कुछ ही दिन पहले कानपुर से भी पेशी के दौरान भाग चुका है। इतने घटनाओं के बावजूद भी पुलिस कर्मी अपनी आदते बदलने का नाम नहीं ले रही है। कैदियों के साथ जिस प्रकार साथ आये पुलिसकर्मी मित्रवत व्यवहार निभाते है उसके साइड इफेक्ट भी सामने आते है।
इसकी एक बानगी आज बृहस्पतिवार को एक बार फिर वाराणसी के जिला मुख्यालय के पश्चिमी गेट पर देखने को मिला जब पेशी पर आये एक आरोपी को पुलिस वालों ने इतनी छूट दी कि उसको चाय के दूकान पर ले जाकर चाय पीने की छूट दी। उसके बाद उसको बगल की पान की दूकान से गुटखा लेकर खाने की छूट प्रदान की गई। ये कार्यक्रम अभी और भी चलता मगर तब तक पत्रकारों पर नज़र साथ आये पुलिस कर्मी राम आशीष यादव की पड़ गई। कैमरे की ज़द में आने से बचने के लिए उन्होंने तत्काल कैदी को साथ आये एक अन्य पुलिसकर्मी की बाइक पर बैठा लिया और वहां से चले गए। इन चाय और गुटखों का पैसा भी उसी आरोपी मुजरिम के द्वारा दिया गया था। प्रथम दृष्टायतः लगता है उसको थाने से लाकर न्यायालय में पेश किया गया था और न्यायालय ने जेल भेज दिया होगा, और पुलिस कर्मी जेल दाखिला के लिए ले जा रहे होंगे।
अब यहाँ प्रश्न यह उठता है कि यदि ऐसा है तो गिरफ़्तारी के समय थाने पर जामा तलाशी होती है और आरोपियों के पैसे, मोबाइल, ज़ेवर इत्यादि थाने में जमा हो जाते है फिर आखिर उस लड़के के जेब में पैसे कहा से आये जो उसने चाय और गुटखे का भुगतान किया। इसके अलावा भी उसके जेब में पैसे रहे क्योकि जब वह पैसे निकाल कर दिया तो उसके पास और भी पैसे थे। ऐसी घटनाएं गाहे बगाहे वाराणसी कचहरी क्या प्रदेश के कमोबेस हर शहर में देखने को मिल ही जाती है। फर्क सिर्फ इतना है ये कैमरे की ज़द में आ गया।