जैसे यह स्कूल का मैदान नहीं एक तलाब हो जहां पर बच्चों को घुटने घुटने पानी में होकर अपनी कक्षा तक जाना पड़ता है एक तरफ तो सरकार हर तरह से कोशिश में लगी है की गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके दूसरी तरफ सरकार के ही ग्राम प्रधान और कर्मचारी उस की धज्जियां उड़ाने पर लगे हुए हैं क्योंकि ग्राम प्रधान और अध्यापक के बच्चे उन प्राथमिक विद्यालय में नहीं पढ़़ते हैं अगर पढ़ते तो काश ऐसा नहीं होता ।
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