नबील क़ाऊक़ ने कहा है कि ज़ायोनी शासन से हाथ मिलाने वालों को मक्के और मदीने जैसे अति पवित्र स्थलों के संचालन का कोई अधिकार नहीं है। इस्राईल के साथ आले सऊद शासन के संबंध बनाने की प्रक्रिया पर सऊदी धर्मगुरुओं की ख़ामोश के कारण लेबनान के प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह की कार्यकारिणी के उप प्रमुख ने इसकी कड़ी आलोचना की है।
नबील क़ाऊक़ ने कहा कि सऊदी शासन के इस क़दम का कड़ाई से विरोध होना चाहिए क्योंकि मक्का और मदीना के दो पवित्र स्थलों की पवित्रता व सम्मान का तक़ाज़ा यह है कि जिन्होंने ज़ायोनी दुश्मन से हाथ मिला लिया है उन्हें इन पवित्र स्थलों के संचालन की ज़िम्मेदारी न दी जाए। उन्होंने कहा कि इस कार्य से सऊदी अरब का महत्व कम हुआ है। नबील क़ाऊक़ ने कहा कि इस समय सऊदी शासक का हाथ यमन में शहीद होने वालों के ख़ून से सना हुआ है। उन्होंने कहा कि ज़ायोनी शासन से संबंध बहाली और ज़ायोनियों के साथ सऊदीयों की मुलाक़ात व संपर्क क्लंक की तरह है।
लेबनान के प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह की कार्यकारिणी के उप प्रमुख का यह बयान ऐसी स्थिति में सामने आया है कि कुछ दिन पहले सऊदी अरब की गुप्तचर सेवा के पूर्व सदस्य अनवर इश्क़ी ने अतिग्रहित फ़िलिस्तीन का दौरा किया और वहां ज़ायोनी शासन के गुप्तचर विभाग के अधिकारियों से मुलाक़ात की। यह ऐसी मुलाक़ात है जिसकी, क्षेत्र की हस्तियों और पर्यवेक्षकों ने कड़ी आलोचना की है।