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एक दो तीन चार अजब गज़ब का मऊ में है भ्रष्टाचार, बिना काम के रोज़गार सेवक ने उठा लिया भुगतान, शिकायतों के बाद भी नहीं हो रही दस लाख के घोटाले की जाँच.

संजय ठाकुर की कलम से
मऊ. रोज़गार सेवक द्वारा दस लाख से अधिक का घोटाला कर लेने कर बड़ा आरोप निकल कर सामने आ रहा है. ग्रामवासियों और ग्रामप्रधान द्वारा लगातार शिकायतों के बावजूद भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं होने से खंड विकास अधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी की नियत पर भी ग्रामवासियों में सवालिया निशान लगाना शुरू कर दिया है. ग्रामवासियों और प्रधान के द्वारा लगातार शिकायतों के बावजूद भी खंड विकास अधिकारी द्वारा लाखो का भुगतान कर देने का प्रकरण क्षेत्र में चर्चा को बल दे रहा है कि इस घोटाले में खण्ड विकास अधिकारी की भूमिका भी संदिग्ध है.

घटना के सम्बन्ध में ग्राम प्रधान लीलावती ने हमसे बात करते हुवे बताया कि प्रधान का चुनाव जीतने के बाद समिति का निर्माण होने में समय लग गया. इसी दौरान रोज़गार सेवक के द्वारा कागज़ी घोड़े दौडाते हुवे आईडी संख्या 924244938865, 924244938866,924244938833 के द्वारा नंदलाल के खेत में वृक्षारोपण का कार्य दिखाया गया है. आईडी संख्या 234241939486 के द्वारा धर्मदेव के खेत में वृक्षारोपण का कार्य दिखाया गया है. आईडी संख्या 924244940162 के द्वारा विजय के खेत में और आईडी संख्या 958486255822723663 से रामजन्म के खेत में कार्य दिखाते हुवे दोनों खेतो में पोखरा खोदने का कार्य दिखाया गया है. इसके अलावा मुबारकपुर सीमा के शारदा नहर तक नाला सफाई का कार्य आईडी संख्या ९५८४८६२५५८२२७३५९६८ द्वारा करवाने का दावा किया गया है. इसके अतिरिक्त सरकारी ट्यूबवेल से नाली के दोनों तरफ मिटटी का कार्य हेतु आईडी संख्या ९५८४८६२५५८२२७२३६६३ से और सरकारी नाली से जामा के खेत तक मिटटी कार्य ९५८४८६२५५८२२७५६२०४ के द्वारा करवाए जाने का दावा करा रोज़गार सेवक द्वारा किया गया.इसके अलावा ग्रामसभा में शिवमंगल चौहान के घर से सुभाष चौहान के घर तक नाली व खडंजा मरम्मत एवं सुभाष चौहान के घर से संजय चौहान के दूकान तक खडंजा लगाने के कार्य को करवाने का दावा किया गया है. जबकि वास्तविकता में इस प्रकार के कोई कार्य को सम्पादित किया ही नहीं गया है.
ग्राम प्रधान लीलावती ने बताया की इस घोटाले की जानकारी उनको जब लगी तो उस समय तक इन कार्यो का भुगतान नहीं हुवा था. इस सम्बन्ध में १८ जून को ग्राम प्रधान ने खंड विकास अधिकारी को एक प्रार्थनापत्र देकर ऐसा किसी भी कार्य जो वास्तविकता में हुवा ही नहीं है का भुगतान न करने की प्रार्थना भी की और जाँच की मांग भी किया. प्रकरण का जब निस्तारण खंड विकास अधिकारी से नहीं होता दिखा तब दिनाक 23 जून को इस सम्बन्ध में ग्राम प्रधान लीलावती ने मुख्य विकास अधिकारी को एक प्रार्थनापत्र देकर घटना और संभावित घोटाले से अवगत करवाया. मुख्य विकास अधिकारी ने खंड विकास अधिकारी को इस सम्बन्ध में जान करने का निर्देश देते हुवे आदेशित भी किया की किसी प्रकार का सरकारी धन का दुरूपयोग न होने पाय. इन सबके बावजूद खंड विकास अधिकारी ने रोज़गार सेवक के प्रस्तुत बिल को पास कर भुगतान दे दिया. क्षेत्रीय नागरिको की माने तो खंड विकास अधिकारी ने ग्राम प्रधान के महिला होने और अधिक भागदौड़ न कर पाने को दृष्टिगत रखते हुवे शायद ऐसा किया होगा.अथवा रोज़गार सेवक से कोई निजी हित का समाधान संभावित हो तभी ऐसा संभव है क्योकि जब किसी सरकारी कार्य में उस कार्य के होने के अस्तित्व पर प्रश्न लगा हो तो फिर आखिर भुगतान किस नियम से बिना जाँच के हो गया अथवा जाँच पूरी कर रोज़गार सेवक को क्लीन चिट प्रदान कर दी गई है. अब ग्रामवासियों के इन प्रश्नों का उत्तर तो खंड विकास अधिकारी ही दे सकते है हा उन्होंने हमसे बात करने से यह कहकर इंकार कर दिया की मैं आपके प्रश्नों के उत्तर देने के लिए अधिकृत नहीं हु. मगर साहेब ने ये नहीं बताया की अखिर फिर कौन अधिकृत है और फ़ोन काट दिया.
जो भी हो इस प्रकरण में नाटकीय मोड़ उस समय आया जब हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओ ने उस सड़क की मरम्मत की मांग उठाई जिसकी मरम्मत का पैसा पहले ही सरकार द्वारा भुगतान किया जा चूका है और उस सड़क की मरम्मत सरकारी अकडो के अनुसार हो चुकी है. दिनांक २० जुलाई को हिन्दू युवा वाहिनी ने एक प्रदर्शन के द्वारा यह मांग की थी.अब हिन्दू युवा वाहिनी स्वय इस पेशोपेश में है की आखिर अब मांग किस मुद्दे पर किया जाय क्योकि सड़क की मरम्मत हुई नहीं और अकडो में हो गई है. अगर इसको घोटाला करार देते हुवे हम जाँच की मांग करते है तो जाँच अधिकारी खंड विकास अधिकारी ही होंगे जिनकी खुद की भूमिका इस प्रकरण में संदिग्ध है. हमारे संवाददाताओ ने जब इस सम्बन्ध में रोज़गार सेवक से संपर्क किया तो उनका जवाब भी गज़ब का था. उन्होंने फ़रमाया साहेब निर्माण तो सभी हुवे है,अब अगर बारिश की वजह से किया गया निर्माण बह गया तो ईश्वरीय दोष होंगा न की हमारा दोष है आप जाँच करवा ले,
जो भी हो जनपद मुख्यालय से अधिक दूर के इस ग्रामसभा में यह कार्य होना आश्चर्य की बात नहीं है. जनपद मुख्यालय से अधिक दूरी होने के वजह से ऐसी घटनाये होना और फिर उसकी लीपपोत हो जाना आम बात है.अब देखना यह है की खंड विकास अधिकारी अपनी जाँच कब तक पूरी करते है.
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