इब्ने हसन ज़ैदी।
गरीब का क्या साहेब, कुछ बवाल कटा, रात गई बात गई । साहेब मगर कमाल वाल्मीकि की माँ की कोख उजड गई, उसकी पत्नी विधवा हो गई, बच्चे अनाथ हो गए। सच ही कहा है किसी ने ये मौत ऐसी नहीं है बल्कि एक के साथ कई मांर जाते हक़। खैर साहेब कानपुर में पुलिस चौकी के अंदर पुलिस क्स्टडी में हुई कमल बाल्मीक की मौत के बाद दलित समाज में भारी आक्रोश फ़ैल गया था । आज जब कमल बाल्मीक का शव पोस्टमार्टम हो जाने के बाद घर ले जाने की बात परिवार वाले करने लगे तो पुलिस के हाथ पाँव फूल गए। पुलिस और परिवार में कुछ देर तक चली खींच तान के बाद परिवार वाले सीधे कब्रिस्तान ले जाने के लिए राज़ी हो गए। भारी पुलिस फोर्स के घेरे में कमल बाल्मीक के शव को जाजमऊ स्तिथ डब्केश्वर घाट कब्रिस्तान लाया गया जहां कड़ी सुरक्षा के बीच कमल बाल्मीक को दफनाया गया।
ज़िला प्रशासन ने कमल बाल्मीक के पिता को मुआवजा के रूप में सात लाख अस्सी हजार रूपये दिया है और साथ ही कालोनी का एक मकान भी दिया है। मुआवज़े की आधी रकम तीन लाख नब्बे हज़ार रुपये की चेक के रूप में मौके पर ही दे दिया और शेष रकम बाद में दी जाएगी।
वही ए डीएम सिटी ने पीड़ित परिवार को जल्द ही न्याय दिलाने का आश्वासन दिया है। साथ ही चौकी से लापता दुसरा युवक राजू पासी उर्फ़ राजू मिस्त्री के सकुशल मिलने की भी बात स्वीकार की है। एडीएम सिटी ने पीड़ित परिवार को यह भी आश्वासन दिया है कि जो भी इस मामले में दोषी पाया जायगा उसे बख्शा नहीं जाएगा।