फारूक हुसैन
उसमें उसका कोई विवरण नही होता है जिस कार्य में यदि दो लाख रूपयों का खर्च होता है उसे बहुत ही सफाई से दस लाख बना दिया जाता है ।परंतु वार्ड प्रतिनिधि अपने कमीशन की चकाचौंध में अपनी आंखे बद कर लेते हैं ।पूरे नगर में जितनी भी सटीट्र लाइटे लगाई गयी हैं क्या अब इस समय उनका कोई अस्तित्व बचा है या नहीं यह कोई नहीं देखा रहा है ।पूरे नगर में सड़कों का निर्माण हुआ है वह भी इटरलाकिंग पर जिन मार्गो पर इटरलाकिंग सड़कें बनाई गयी है वह तीन या फिर चार महीनों मे अपना अस्तित्व खोने लगती हैं कभी कहीं गणढे हो जाते हैं तो कहीं पूरी सड़क बैठ जाती है जो किसी योग्य नही रहती है।कभी सड़कों पर डाले गये छूने मे घोटाला कभी किसी में । परंतु इतना सब हो रहे घोटाले में भी प्रशासन अपनी आंखे पूरी तरह से बंद किये हुए हैं ।जिससे प्रशासन पर भी सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं।
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