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एक कश्मकश……किसको पिलाऊँ दुध, किसको बाँधु बैंड

क्या अजीब संयोग है, आज नाग पंचमी और मित्रता दिवस एक साथ पड़ने पर दिमाग बड़ा कन्फयूज है। अब समझ नहीं आता है कि सांपो को दूध पिलाऊँ, या फिर दोस्तों की कलाई पर बैंड बांध कर उनको हैप्पी फ्रेंडशिप डे कहु।

खैर साहेब सुबह सुबह काहू काहू में मगन की तर्ज पर एक हाथ में कटोरे में दूध और एक हाथ में फ्रेंडशिप बैंड लेकर पहले सांप की तलाश करने निकल पड़ा। बड़ी मुश्किल हुई सांपो को तलाश करने में। एक घंटे की अथक मेहनत के बाद एक सांप दिखाई दिया। मुझको देखते ही वो वापस बिल में जाने लगा। मैं भी कहा पीछे हटने वाला था, तुरंत दौड़ लगा दी, भाई इतनी मेहनत के बाद मिला था तो दूध पिलाना ज़रूरी था, मुझमे और पीटी उषा में उस लम्हे शायद कोई फर्क नहीं रहा होगा जब मैं सांप के पीछे भाग रहा था। आखिर मैंने उसका रास्ता रोक ही लिया। ज़ोरदार गुस्सा दिखाते हुवे कहा। आखिर तू रहेगा सांप ही, मैं इतनी दूर से तुझको ढूंढता हुवा आया कि तू मुझको देख कर भाग रहा है
अपना रास्ता देख तिलमिलाया सांप बोला, क्यों ढूंढ रहा है मुझको,मुझसे भी तब से इंसानों से डर लगने लगा है जब से इंसान डसने लगे है। मेरा डसा तो पानी मांग लेता है बच भी जाता है, मगर इंसानों का डसा तो पानी भी नहीं मांगता।
उस सांप के मुह से यह बातें सुनकर मैं भी उसकी हां में हाँ मिलाने लगा। सांप ने कहा ठीक है बैठ जा बात करते है। मैं वही ज़मीन पर बैठ गया और उसके सामने दूध का कटोरा रखते हुवे कहा कि ले दूध पी ले। तब तक उस सांप की नज़र मेरे दूसरे हाथ में पड़ी फ्रेंडशीप बैंड पर पड़ गई। सांप ने मुस्कुराते हुवे कहा। तुम इंसान भी क्या खुफियापंती करते हो। मैं जो दूर से देख कर तुम लोगो को भागता हु, मुझको दूर से दूध पिलाते हो और जिनको आस्तीनों में लेकर घूमते हो उसको बैंड बांधते हो। कमाल हो तुम लोग भी।
मैंने उसको समझाया ए सांप तुझको क्या पता कि दोस्ती क्या होती है, दोस्ती एक अहसास है, दोस्ती एक सहारा है। तुम क्या जानो तुम तो ज़हर उगलना जानते हो, चलो अब फटा फट दूध पी लो। मुझको दोस्ती भी निभानी है। सांप ने गहरी सांस लेते हुवे कहा सही कहा तूने, हम काटे तो ज़हर उगलते है, मगर तुम इंसान तो ज़बानों से ही ज़हर उगलते हो उसका क्या? कभी जाति के नाम पर ज़हर, कभी धर्म के नाम पर, कभी क्षेत्र के नाम पर तो कभी वर्ग के नाम पर ज़हर उगलते हो। क्या तुम हमसे ज़्यादा ज़हर नहीं उगलते हो। जब ज़हर हमसे ज़्यादा उगलते हो तो फिर ये दूध भी तुम लोग खुद क्यों नहीं पी लेते हो। क्या कमाल करते हो तुम लोग भी जो आस्तीन में रहता है उसको फ्रेंडशिप बैंड और हम ज़मीन में बिल बना कर रहते है तो हमको साल में एक बार दूध, अरे कम अक्ल मेरे काटने से तो तू बच भी सकता है मगर आस्तीन वाला काटेगा तो कैसे बचेगा। उस आस्तीन वाले का क्या जो सिर्फ दहीबड़ा इसलिए मांगता है कि खत्म हो जाय और तेरी बेइज़्ज़ती हो जाय। क्या वो तेरे लिए आस्तीन का सांप नहीं है। उसको ही ये दूध पिला देता। क्यों मुझको तलाश रहा था। अब ला जल्दी से तेरा दूध पी लू और छोड़ मेरा रास्ता मुझको अब इंसानों से डर लगने लगा है।
सांप के बातो से मेरी बोलती बंद हो चुकी थी। जब वह दूध पीकर जाने लगा तो मैंने कहा ए सांप ला तुझको फ्रेंडशिप बैंड बांध दू, सांप ने मुझको इस अचंभे से देखा जैसे मैंने उसको किनरा नरेश की गद्दी ऑफर कर दी हो। कन्फयूज होकर बोला ओये अब ये क्या खुफियापंती है मैंने कहा यार तेरी बात तो सही है। जब आस्तीन में रहने वालों को ये बैंड बांध सकता हु और उनके डसने की उम्मीद रहेगी तो फिर तेरा तो नेचर ही है डसना। अगर उसके बद तू डसेगा तो ग़म नहीं रहेगा। कम से कम ये तसल्ली तो रहेगी कि तू सांप ही है डसेगा ही।
साप को बैंड बांधते हुवे उसकी नज़रो से नज़र तो नहीं मिला पा रहा था, मगर शायद उसकी सिसकिया या फिर फुफकार अहसास करा रही थी कि उसकी आँखों में भी वही नमी थी जो मेरी आँखों में थी। बैंड बांध कर मैंने उसकी तरफ पलट कर देखने की हिम्मत नहीं कर सका। एक कसमसाहट के साथ एक तसल्ली तो थी ही कि आस्तीन से बाहर निकल कर भी कोई दोस्त है।
नोट- ये लेख केवल एक कल्पना पर आधारित है इसका वास्तविक जीवन से कोई लेना देना नहीं है। आप सभी दोस्तों और विरोधियो को नागपंचमी व मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। मित्रता एक अहसास है जिसको शब्दो में बयान करने के लफ्ज़ मेरे पास तो नहीं है। एक खूबसूरत अहसास दोस्ती के दिन की हार्दिक शुभकामनाएं
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