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ग़ाज़ीपुर में फिर उफनाई गंगा, तटवर्ती लोगों के दिलों की बढ़ी धड़कनें

अखिलेश सैनी।
गाजीपुर। ज़िले में गंगा का जलस्तर करार को स्पर्श कर लिया है। लगातार पानी बढते रहने से तटवर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के दिलों की धड़कनें बढ़ गयी है। मंगलवार को तीन सेंटीमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से जलस्तर बढ़ रहा है। इसे देखकर लोगों के माथे पर भय और दहशत की लकीरें खिंचने लगी है। लोगों का मानना है कि यदि ऐसे ही गंगा का जलस्तर बढ़ता रहा तो भीषण तबाही होगी। गंगा की बढ़त और घटाव दोनों से कटान का खतरा मडराने लगा है। गंगा के तटवर्ती गांव मुहम्मदाबाद तहसील क्षेत्र के सेमरा, शिवराय का पुरा, बच्छल का पुरा तथा करंडा ब्लाक का पुरैना कटान की जद में है। बरसात के मौसम में यह चौथी बार है कि गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है। यदि जलस्तर का बढ़ना नही रुका तो कई गांव बाढ़ की चपेट में आयेंगे तथा कटान वाले क्षेत्रों में बर्बादी का मंजर दिखाई देगा। पिछले दिनों गंगा का जलस्तर दो सेंटीमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से बढ़ रहा था लेकिन सोमवार की रात से अचानक परिवर्तन हो गया। इस समय गंगा का जलस्तर तीन सेंटीमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से बढ़ना जारी है। जिन लोगों ने गंगा के किनारे अपना पक्का मकान बना लिया था और उसने निर्भय होकर रह रहे थे अब उन्हे अपने आशियानें को लेकर चिंता हो गयी है कि कटान में उनका मकान बचेगा या जलमग्न हो जायेगा। गंगा की तटवर्ती क्षेत्र में रहने वाले लोगों की चिंताओं से पड़ोंसी गांवों के लोग भी चिंतामग्न है। लेकिन प्रकृति के प्रकोप पर किसी का वश नही चल रहा है। बारिश के मौसम में कई बार गंगा में बाढ़ आने से मुहम्मदाबादक्षेत्र का सेमरा व परिया चौरासी गांव कटान के खतरे से जुझ रहा है। परिया चौरासी गांव के पास कटान का सिलसिला जारी होने से संबंधित गांव में धन व जन दोनों का काफी नुकसान संभावित दिखाई दे रहा है। सबसे ज्यादा बर्बादी सेमरा से शेरपुर तक जाने वाले मुख्य मार्ग के किनारे बनें मकानों को हो सकता है जो कटान की जद में साफ नजर आते है। मंगलवार की शाम करीब तीन बजे तक गंगा का जलस्तर 61.740 सेंटीमीटर दर्ज किया गया है। गंगा तीन सेंटीमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से बढ़ रही हैं। जो खतरे के निशान के बिल्कुल करीब आ पहुंची हैं। खतरे का लाल निशान 63.105 है। जबकि गंगा के बढ़े हुए जलस्तर की दूरी खतरे के निशान मात्र 1.355 सेंटीमीटर रह गया है। यदि जलस्तर का बढ़ना नही रुका तो रातभर में खतरे के निशान तक पहुंच सकता है। बताते चलें कि वर्ष 2013 में गंगा 1.80 खतरे के निशान से उपर बह रही थी। 9 सितंबर 1978 में भी गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से काफी उपर पहुंच गया था। उस समय शहर के महुआबाग, झुन्नू लाल का चौराहा, चीतनाथ, स्टीमर घाट, तुलसिया का पुल, नुरुदृदीनपुरा में बाढ़ का पानी पहुंच गया था। लोगों को आवागमन के लिए नाव का सहारा लेना पड़ा था।
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