इलाहाबाद। स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय के चिकित्सकों की लापरवाही के चलते शनिवार दोपहर बाद अचानक आक्सीजन सिलेण्डर की पाइप फटने से हड़कम्प मच गया। तीमारदार व मरीज वाड नम्बर 18 से जानबचाकर बाहर भाग निकले। धमके से वार्ड के दरवाजे में लगा सीसी टूट गया।धमके की तेज आवाजा सुनकर लोग वहां पहुंचे तो मरीज व परिजन दहशत में थे। हादसे के समय मौजूद नर्स कहना है कि इसके जिम्मेदार यहां के चिकित्सक होते है।
बता दें कि फतेहपुर जनपद के भभुआ गांव की रहने वाली बन्दना 9 वर्ष पुत्री तेजपाल अस्थमा रोग से विगत कुछ दिनों से पीड़ित है। उसे परिवार के लोगों ने उपचार के लिए कुछ दिन पहले रूपरानी नेहरू चिकित्सालय में दाखिल कराया। जहां उसका उपचार अस्पताल के वार्ड नम्बर 18 के बेड संख्या दो पर चल रहा है। बताया जा रहा है कि अस्थमा रोग में मरीज की हालत बिगते ही आक्सीजन दिया जाता है। शनिवार दोपहर बाद अचानक बंदना की हालत विगड़ी तो उसकी मां ने वार्ड में ड्यूटी पर तैनात नर्स से कहा कि आक्सीजन लगा दीजिए। वह भी कहा कि जाओं लगा लो, डाक्टर साहब अभी नहीं है। पीड़ित महिला मरती क्या न करती, बेटी की जान बचाने के लिए खुद ही आक्सीजन का माक्स बेटी के मुह में लगा दिया और जैसे ही गैस चालू किया तो अचानक तेज धमाका हुआ और धमाके की गूंज से दहशत में आये तीमारदार अपनी जानबचाकर वार्ड से भाग निकले। धमाके से वार्ड में लगा सीसा टूटकर गिर गया।
अस्पताल परिसर में धमाके की गूंज सुनते ही मीडिया कर्मी और पुलिस पहुंची। वार्ड नम्बर अट्ठरह में भीड़ जमा हो गयी। वहां मौजूद नर्स से जब बातचीत की गई कि आखिर आक्सीजन लगाने की जिम्मेदारी किसकी होती है। उसने यह जिम्मेदार ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक की होती है। लेकिन जब मासूम बच्ची की हालत विगड़ी तो वार्ड से डाक्टर नदारत थे। परिवार के लोग नर्स से जान बचाने के लिए गिड़गिड़ाते रहे लेकिन उसने एक टूक जबाब दे दिया। जिससे बच्ची के माॅं ने जैसे रेगुलेटर खोला तो मात्रा अधिक हो गयी और आक्सीजन की पाइप व माक्स फट गयी। जिससे वार्ड में भगदड़ मच गयी।