इमरान सागर
तिलहर/शाहजहाँपुर-आर्युवेदिक अस्पताल के नाम पर मरीजो को सिर्फ धोख दिया जा रहा है। यहा पर न तो स्टाफ है और न ही मरीजो के रूकने का ठिकाना’ दवाईयों के नाम पर एक ही दुकान पर मिलने वाली दवाईयां मरीजो को लिखी जा रही है।
नगर के मोहल्ला कुंवरगंज स्थित आर्यूवेदिक अस्पताल देखा जाये तो किसी अजूबे से कम नही है। मरीजो को अस्पताल तक पहुंचने के लिये सर्व प्रथम लगभग बीस सीड़ियों का खड़ा जीना चढ़ना होता जोकि सामान्य व्यक्ति के लिये भी काफी कठिन काय्र है तो फिर बेचारे मरीजो का कहना ही क्या। यहा इलाज के लिये आने वालो की दुश्वारिय यहीं खत्म नही होती हैं क्यूंकि यहा कहने को तो सौ गंज की जमीन पर तीन कमरो में पच्चीस बैड का अस्पताल चलना दिखाया जा रहा है। यह देखने के बाद किसी के लिये भी समझना आसान होगा कि क्या गोरख धंध यहा पर चल रहा है। उल्लेखनीय है कि तीन बैड दो कमरो में जर्जर हालत में पड़े दिखाई देते हैं बाकी के बाईस बैड के बारे में डाक्टर हरि बाबू ने बताया कि उनकी जरूरत नही पड़त है इस लिये उन्हे हम स्टोर रूम में ताला डालकर रखते है। गौर करे कि पच्चीस बैड के अस्पताल के लिये स्टाफ के नाम पर एक डाक्टर दो नर्स एक सफाई कर्मी और एक फारमासिस्ट जो छुटटी पर चल रहा है तथा एक चैकादार ही उपलब्ध है जोकि पच्चीस बैड के अस्पताल के लिये नाकाफी ही कहा जायेगा। डा0 हरि बाबू ने बताया कि इमेरजेंस भर्ती की हमारे यहाॅ कोई सुहवधा नह है’ जब उनसे जोर देकर पूछा गया तो उन्होने आगंन की ओर इषारा करके कहा कि यहीं रखेगे। वहं कुछ मरीजो ने दबी जुबान में बताया कि डा0 साहब जो दबाई लिखते है वह एक ही दुकान पर मनमाने रेट पर मिलती है कही और न मिलने पर महगे रेटो पर दबाई खरीदना मजबूरी है।