राजेंद्र केसरवानी व दिग्विजय सिंह
उत्तर प्रदेश में लगता है अब पत्रकार बिलकुल भी सुरक्षित नहीं हैं। सरकार चाहे लाख दावे करे कि हम पत्रकारों को पूरी सुरक्षा देंगे यह खोखला साबित हो रहा है। बीते एक साल में उत्तर प्रदेश में एक दर्जन से ज़्यादः पत्रकारों पर हमले हो चुके है आधा दर्जन से ज़्यादह् पत्रकारों की मौतें हो चुकी हैं। बदमाशों के हौसले इतने बुलंद है कि जब चाहें पत्रकारों पर हमला कर देते हैं जिसकी एक बानगी आज कानपुर में भी देखने को मिला।
कानपुर के कोतवाली थाना क्षेत्र में आज उस वक्त हड़कम्प मच गया जब एक मुकदमे की पैरोकारी करने गये एक पत्रकार पर कचहरी परिसर में ही 6-7 अज्ञात लोगों ने धारदार हथियार से जानलेवा हमला कर दिया जिससे पत्रकार को गंभीर चोंटे आई हैं। घायल पत्रकार ने एक वकील के चैम्बर में घुस कर अपनी जान बचाई। मौके पर पहुंची पुलिस ने घायल पत्रकार को जिला अस्पताल में भर्ती कराया है। इस हमले से पत्रकार संगठन आईरा में भारी आक्रोश फैल गया है। मौके पर पहुंची पुलिस ने घायल पत्रकार को जिला अस्पताल पहुंचाया । पत्रकार चन्दन जायसवाल को गंभीर चोंटे आई है।
घटना की सुचना मिलते ही आईरा के सैकड़ो कार्यकर्ता घटना स्थल पर और अस्पताल पहुच गए और शासन व प्रशासन विरोधी नारे लगाने लगे। अस्पताल पहुंचे पत्रकारों ने पुलिस से आक्रोश जताते हुए अपराधियों को तत्काल गिरफ्तारी की मांग करने लगे। पुलिस के आलाधिकारियों ने पत्रकारों को सुरक्षा और अपराधियों को जल्द गिरफ्तार करने का आश्वासन दिया है।
आईरा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा है कि कानपुर प्रशासन लगातार हो रहे पत्रकारों पर हमले को रोकने में असफल है। उन्होंने कहा कि पत्रकार पर हमला बड़ा ही निंदनीय है वही इस प्रकरण में आईरा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पुनीत निगम ने कहा है कि अगर 24 घंटो तक हमलावरों की गिरफ़्तारी नहीं होती है तो हम एक बड़ा आंदोलन करेगे, जिसकी पूरी ज़िम्मेदारी स्थानीय पुलिस प्रशासन की होगी।