मऊ : ग्राम प्रधानों को कानून प्रदत्त अधिकार देने को लेकर भारतीय प्रधान संगठन की मंडलीय बैठक मंडल अध्यक्ष अशोक कुमार के नेतृत्व में हिंदी भवन में हुई। इसमें पूर्ववर्ती सरकारों को कोसते हुए अधिकार देने की मांग की गई।
मुख्य अतिथि प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र कुमार सिंह ने कहा कि पंचायती राज एक्ट के 73 वें संशोधन 1992 के आधार पर 1993 में दोनों सदनों में पास होकर कानून बना। इसमें 29 पावर प्रधानों को कानून के तहत प्रदान की गई। इसमें प्रधानों को वेतन व आजीवन पेंशन देने का प्रावधान किया गया। गांव का धन गांव के खाते में ही जाना चाहिए तभी गांव का विकास संभव होगा। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि आज तक किसी सरकारों ने लागू नहीं किया। प्रदेश महासचिव शिव सिंह यादव ने कहा कि कानूनी प्रदत्त अधिकारों को लागू न करने से गांवों का विकास रुका हुआ है। सरकारें विकास के नाम पर बड़ी-बड़ी बातें तो जरूर करती हैं परंतु विकास पर अमल नहीं करती। इस मौके पर सभी प्रधानों के अधिकारों एवं उनके संरक्षण, हितों की लड़ाई पूरे मजबूती के साथ सरकार से लड़ने का संकल्प लिया गया। इसमें प्रदेश अध्यक्ष की लड़ाई में पूरा सहयोग एवं समर्थन करने का संकल्प लेते हुए प्रधानों की लड़ाई को संसद से सड़क तक लड़ने का प्रस्ताव पारित किया गया। इस अवसर पर प्रदेश कोषाध्यक्ष अजीत सिद्दकी, मंडल उपाध्यक्ष रंजीत कुमार, विवेक सिंह, हरिश्चंद्र सिंह, रविकांत यादव, अन्जनी राय(मिडिया प्रभारी भारतीय प्रधान संगठन, बलिया) , संजय ठाकुर(मिडिया प्रभारी मऊ) और आशुतोष नारायण पाल उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता मोतीलाल यादव (प्रधान प्रतिनिधि रामपुर, ब्लाक नगरा, बलिया) और संचालन मुरली मनोहर पांडेय ने किया।