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इतिहास के झरोखे से, रानी लक्ष्मी बाई का अंतिम संस्कार

गजनफर अली।

झांसी की रानी लक्ष्‍मी बाई के बहादुरी के क़िस्से हम सबने सुन-पढ़ रखे हैं। लेकिन शायद बहुत कम लोगों को ये मालूम होगा कि लक्ष्मी बाई का एक मुंह बोला भाई नवाब अली बहादुर था जिस पर वह बहुत विश्वास करती थी। यही नहीं जब अंग्रेज़ों से लड़ते हुए लक्ष्मी बाई जब वीरगति को प्राप्त हो गईं तब उनका अंतिम संस्कार भी नवाब बहादुर ने ही किया था।

अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ नवाब ने दिया था लक्ष्मी बाई का साथ
अंग्रेज़ों से लड़ाई के समय ग्वालियर के महाराजा सिंधिया तो रानी लक्ष्मी बाई के ख़िलाफ़ थे लेकिन तात्या टोपे और बांदा के नवाब अली बहादुर उनके साथ थे। नवाब बहादुर बाजीराव पेशवा और मस्तानी के वंशज थे।
आख़िरी लड़ाई में थे महारानी लक्ष्मी बाई के साथ
कहा जाता है कि महारानी लक्ष्मी बाई नवाब अली बहादुर को राखी बांधती थी और उन पर बहुत भरोसा करती थी। लक्ष्मी बाई ने अपनी आख़िरी लड़ाई अंग्रेजो के ख़िलाफ़ लड़ी थी और इसमें नवाब बहादुर भी उनके साथ था।
अंतिम संस्कार के बाद नवाब अली बहादुर को अंग्रेज़ों ने किया था क़ैद

लक्ष्मी बाई के अंतिम संस्कार के बाद नवाब अली बहादुर को अंग्रेज़ों ने क़ैद कर महू की जेल में बंद कर दिया था। उन्हें कुछ समय इंदौर में भी नज़रबंद रखा गया और बाद में बनारस भेज दिया जहां उनकी मृत्यु हो गई।झांसी में आज भी कई हिंदू-मुसलमान लक्ष्मी बाई और नवाब बहादुर के भाई-बहन के रिश्तों की परंपरा को निभाते हुए हिंदू बहने मुसलमान भाईयों को राखी बांधती हैं।
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