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वतन के लिए जान निछावर करने वाले शहीद महेंद्र यादव के पार्थिव शरीर को दो ग़ज़ ज़मीन के लिए करना पड़ा जद्दोजहद

सुल्तानपुर.
प्रमोद दुबे संग हरिशंकर सोनी

सुल्तानपुर. जिला
मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर कादीपुर तहसील का मुडिला बाज़ार आज उस समय रो पड़ा
जब शहीद महेंद्र यादव का पार्थिव शरीर लेकर बीएसऍफ़ के जवानों सहित जिलाधिकारी
सुल्तानपुर एस राजलिंगम और पुलिस अधीक्षक पवन कुमार शहीद के गाव पहुचे. गाव के
अन्दर दाखिल होने से पूर्व ही मुडिला बाज़ार में हजारो क्षेत्रीय लोगो ने पुष्प
वर्षा कर शहीद महेंद्र यादव को अपनी श्रधांजलि अर्पित की. गाव के अन्दर पार्थिव शरीर
पहुचते ही गाव में कोहराम की स्थिति उत्पन्न हो गई, हर आंखे उस समय नम हो गई.
इसी बीच शहीद की
मगेतर अपने परिवार के साथ शहीद महेंद्र यादव के अंतिम दर्शन और श्रधांजलि सुमन
अर्पित करने जब पहुची तो वह एक लम्हा ऐसा था कि पत्थर की भी आंखे नम हो गई. विदित
हो कि शहीद महेंद्र यादव का विवाह इसी वर्ष नवम्बर माह में होना निश्चित हुआ था और
सितम्बर के 10 तारिख को उनका बरेक्षा था. इस शहादत से दोनों परिवारों पर ही
ग़म का पहाड़ टूट पड़ा है, शायद यह निति को मंज़ूर था कि महेंद्र यादव इस जन्म में
अपने देश का क़र्ज़ अपनी जान देकर चुकाए.
शहीद का अंतिम
संस्कार उनकी समाधी बना कर पुरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया. इसी बीच गाव में
दो बार तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई जिसको पुलिस अधीक्षक पवन कुमार ने अपने
सुझबुझ से बखूबी संभाला. शहीद का परिवार और क्षेत्रीय जनता गाव की ग्रामसभा की बंजर
भूमी पर शहीद को दफन करना चाहती थी. परन्तु उपजिलाधिकारी कादीपुर उस ज़मीन को देने
को तैयार न थे. इसकी जानकारी मिलते ही क्षेत्रीय जनता उपजिलाधिकारी पर आग बगुला हो
गई और क्षेत्र में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई. कुछ लोगो ने उपजिलाधिकारी के
सरकारी वाहन को निशाना बनाना शुरू कर दिया. जिससे गाडी का शीशा कुछ छतिग्रस्त हो
गया, प्रत्यक्षदर्शियो और सूत्रों की माने तो उपजिलाधिकारी के चालक ने अपने समझ का
परिचय देते हुवे तत्काल वहा से वाहन को हटा दिया जबकि उपजिलाधिकारी भी मौके से
पैदल ही हट गए. स्थिति बिगडती देख पुलिस अधीक्षक ने तत्काल स्थिति को संभाला और
जनता को समझा कर शांत किया. इसी बीच मीडिया ने जब उपजिलाधिकारी से इस सम्बन्ध में
सवाल पूछा तो उपजिलाधिकारी ने तत्काल ज़मीन मुहैया करवाने की बात की. प्रशासन
द्वारा तत्काल जेसीबी मंगवाकर गड्ढा खुदवाकर 2 बिस्वा ज़मीन के चारदीवारी हेतु
निशान लगवाया गया और उपजिलाधिकारी ने आश्वासन दिया कि इसकी चारदीवारी सरकारी खर्च
पर जल्द से जल्द करवा दी जाएगी. तब जाकर मामला कुछ शांत हुवा परन्तु कुछ क्षेत्रीय
लोगो द्वारा फिर एक मांग उठाई गई कि मुख्यमंत्री को गाव बुलाने की. इस प्रकरण को भी
क्षेत्रीय बड़े बुजुर्गो ने हल किया और शहीद को सुपुर्द-ए-खाक किया गया.

इस पुरे प्रकरण
में सबसे अचंभित बात यह रही कि जनता का आरोप उपजिलाधिकारी के सामने ही था कि शहादत
की सुचना मिलने के बाद भी उपजिलाधिकारी ने शहीद के घर आने की ज़हमत नहीं उठाना
ज़रूरी समझा. आप वीडियो क्लिप में साफ़ देख सकते है कि उपजिलाधिकारी के बयान के बीच
में ही आम जनता इस बात का आरोप उनपर लगा रही है कि शहादत की सुचना मिलने के बाद जब
आज पार्थिव शारीर गाव आया है तब उपजिलाधिकारी यहाँ आये है. जबकि उपजिलाधिकारी का
कार्यालय गाव से मात्र 5-6 किलोमीटर दूर है,
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