कानपुर में पिता के कन्धे पर बेटे की मौत का मामला अभी गर्म है लेकिन स्वास्थ्य महकमा इससे सबक न लेने पर आमादा दिखता है। जिला प्रशासन ने मामले की जाॅच के लिये दो सदस्यीय टीम गठित की है। अस्पताल में इस जाॅच टीम की मौजूदगी के बावजूद एक माॅ द्वारा अपने बीमार बच्चे को पीठ पर ढोते फिर देखा गया। इन ताजा तस्वीरों के बाद यह सवाल खड़ा हो जाता है कि क्या सिस्टम ने न सुधरने की कसम खायी है ……. क्या ये जाॅच पड़तालें महज एक दिखावाा है।
यह ताजा तस्वीर भी उसी एलएलआर अस्पताल की है जहाॅ एक लाचार पिता के कन्धे पर बीमार बेटा दम तोड़ चुका है और आज एक बूढ़ी माॅ अपने घायल बेटे को इलाज के लिये अपनी झुकी पीठ पर लाद कर ले जा रही है। यह नजारा मीडिया के कैमरों में उस वक्त कैद किया गया है जब अस्पताल परिसर में अंश की मौत की जाॅच करने दो सदस्यीय टीम पहुॅची हुई थी। इस जाॅच दल में एक अपर नगर मजिस्टेट और एक अपर मुख्य चिकित्साधिकारी को शामिल किया गया है। इस जाॅच दल ने पिछली घटना पर जाॅच शुरू ही की थी कि उन्नाव की रहने वाली सरवरी अपने बेटे को पीठ पर लाद कर ले जाती दिखायी पड़ गयी। सरवरी के मासूम बेटे के पैर में फैक्चर है। ओपीडी में उसे देखने के बाद डाक्टरों ने उसे एक्सरे कराकर लाने के लिये भेजा। गरीब अनपढ़ ग्रामीण महिला को स्टेचर नहीं मुहैया कराया गया तो ममता की मारी यह महिला अपने बेटे को पीठ पर लाद कर एक्सरे रूम तक ले गयी। ओपीडी से एक्सरे रूम की दूरी वही लगभग 250 मीटर। टूटी हड्डी वाली झूलती टाॅग। न तो किसी डाक्टर ने ध्यान दिया और न ही किसी वार्ड ब्वाय ने। गरीब अनपढ ग्रामीण महिला को नहीं मालूम था कि वो स्टेचर की माॅग कर सकती है। बस उसे लगा कि डाक्टर ने बच्चे का एक्सरे कराने को बोला है तो उसे बेटे को पीठ पर लादकर एक्सरे रूम तक ले जाना होगा।