तारिक आज़मी
वाराणसी- आदमपुर थाना क्षेत्र के दीवानगंज में बृहस्पतिवार से ही मौत का सन्नाटा छाया था. कल यह मातम में उस वक्त तब्दील हो गया जब एक ही घर से 6 मय्यत निकली. इलाका ही नहीं पूरा आस पास का कई इलाका रो रहा था. सभी ग़मगीन थे. विदित हो की बृहस्पतिवार को टवेरा कार पलटने से एक ही परिवार के 6 लोगो की डूबने से मौत हो गई थी. आज उन सबको क्षेत्र के ही मीर-आरफीन कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-ख़ाक किया गया. इस ग़म के वक्त में घटना के रात से ही क्षेत्रीय सभासद मुमताज़ खान परिवार के साथ थे. कल अंतिम संस्कार के समय विधायक अजय राय,सपा नेता अशरक अहमद डब्लू, समाजसेवी परवेज़ कादरी, बसपा नेता सबीर इलाही आदि सहेत हजारो की तय्दात में भीड़ इकठ्ठा थी,शाम को शोक संतप्त परिवार को सान्तवना देने बसपा के राज्य सभा सदस्य मुनकाद अली भी पीड़ित परिवार के घर आये और शोक संतप्त परिवार को सान्तवना प्रदान की.
जुमे का रोज़ और बाद नमाज़ जुमा निकली इस अंतिम यात्रा का सफ़र तो लगभग 400 मीटर के ही थे मगर इस छोटे से आखरी सफ़र में हमसफ़र के तौर पर एक नहीं 6 लोग एक ही परिवार के थे, एक बेटा जिसने इसमें अपने बाप और बीवी को खो दिया था वही एक बहु जिसने अपने ससुर और शौहर को खो दिया था. एक ही घर से 6 मय्यत को कंधा देने के लिए हजारो की तय्दात में काशीवासियो ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाकर एक बार फिर गंगा जमुनी तहजीब को साबित कर दिया. क्षेत्र में इतनी भीड़ के बावजूद भी वीरानी छाई हुई थी.
इन 6 इंसानों का आखरी सफ़र मुकम्मल हुवा. घंटो तक कब्रिस्तान पर मिटटी देने का सिलसिला चलता रहा. सफ़र इनके पुरे हो चुके थे मगर सवाल अभी भी अन्धुरे है. प्राप्त जानकारी के अनुसार कल की घटना के समय वाहन चला रहे चालक ने घटना की देर रात ही थाने पर हाज़िर होकर खुद को पुलिस के हवाले कर दिया. घटना के समय मौजूद पीड़ित परिवार से बातचीत में जो निकल कर सामने आया वह और भी अचंभित करने वाला था. जानकारी के अनुसार उस रास्ते जिस पर यह दुर्घटना हुई है के तरफ जाने से क्षेत्रीय ग्रामीणों ने माना किया था फिर भी चालक ने उनको यह कहते हुवे वाहन आगे बढ़ा दिया कि मैं अक्सर इधर से आता जाता हु.गाडी के नदी ने पलटने के बाद भी चालक के द्वारा सेन्ट्रल लाक नहीं खोला गया और खुद मौके से फरार हो गया. इन सब बातो के बीच मुख्य मुद्दे की बात से शायद प्रशासन का ख्याल भटकाने का प्रयास किया जा रहा है. मुद्दे की बात यह है कि इस वाहन का मालिक कौन है, उसको किसने अनुमति दी कि प्राइवेट कार को वह ट्रेवेल के तौर पर चलाये.
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस कार का मालिक क्षेत्रीय युवक मुरली यादव है.मुरली के पास इस कार के अलावा भी 2 अन्य कारे है जिसको वह ट्रेवेल में टैक्सी के तौर पर चलाता है. क्षेत्रीय चर्चोओ के अनुसार मुरली की इन तीनो कारो को परमिट नहीं है और प्राइवेट कार के परमिट पर वह खुल्लम खुल्ला ट्रेवेल में गाड़िया चलवाता है. चर्चोओ को आधार माना जाय तो उसके ऊपर किसी सत्ता पक्ष के नेता का हाथ है जिससे उसकी गाडी कही भी नहीं रूकती है. चर्चोओ में यह भी सुनने को आया है कि इस मुद्दे से प्रशासन को भटकाने के लिए मुरली ने स्वय चालक को थाने में हाज़िर करवा दिया है. अपुष्ट सूत्रों की माने तो चालक के पास वैध लाइसेंस भी नहीं है.
चलिए साहेब, चालक पुलिस हिरासत में है, केस बंद होने वाला है. अंग्रेजी में कहते है ओपन एंड शट केस है. मगर सवाल अभी भी बाकी है. आखिर कब तक चद सिक्को की लालच में ऐसे मौत का खेल जारी रहेगा, कब तक बिना वैध परमिट के ऐसे वाहन सडको पर फर्राटा भरते हुवे ज़िन्दिगियो से खेलते रहेगे, कब तक किसी महबूब का पूरा कुनबा ऐसे ही ख़त्म होता रहेगा, क्या क्षेत्रीय पुलिस इसके आगे भी जाँच करेगी कि बिना वैध परमिट के कैसे वाहनों को ट्रेवल में चलाया गया या फिर केस तो सोल्व हो ही गया है. एक दुर्घटना जिसने दो पीढियों को मौत की नींद सुला दिया.कभी उसके बारे में भी सोचा जायेगा.कब तक पॉवर के बल पर ऐसे कार्य होते रहेंगे.देखना होगा कि पुलिस प्रशासन और आरटीओ का इस प्रकरण के बाद क्या नज़रियाँ होता है.केस तो एक दुर्घटना का है, मगर इस दुर्घटना का ज़िम्मेदार कौन है इसका जवाब अभी बाकि है.