जेल में कुपोषण के चलते बच्ची काफी कमजोर हो गयी थी। पांच दिन पहले बच्ची की तबीयत नासाज होते देख रिंकू ने जेल प्रशासन को अवगत कराते हुए इलाज की गुहार लगायी, लेकिन गरीब व कमजोर रिंकू की पुकार किसी ने नहीं सुनी। मां की गोद में बीमार बच्ची कराहती रही। रविवार को तड़के बच्ची की तबीयत अत्यधिक खराब होने पर जेल प्रशासन ने जिला चिकित्सालय भेजवाया, लेकिन देर हो चुकी थी। मरी बेटी को गोद में लिये रिंकू काफी देर तक बिलखती रही। घटना की सूचना उसके घर देने के बाद पुलिस ने मृत बच्ची का पोस्टमार्टम करवाया। फिर बच्ची की लाश पिता को सौंपते हुए रिंकू को जेल पहुंचा दिया गया। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए अधिवक्ता मनोज कुमार तिवारी ने डीएम को शिकायती पत्र देकर बच्ची की मौत का सम्पूर्ण दोष जेल प्रशासन की व्यवस्था तथा जेलर पर लगाया है। अधिवक्ता ने पत्र की प्रतिलिपी प्रधानमंत्री के अलावा यूपी के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, डीजीपी, कारागार मंत्री, स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार, राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी भेजा है।
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