इमरान सागर
संवाददाता तिलहर
पाकिस्तान अपने नापाक इरादो में कभी कामयाब नही हो सकता है, अब इस स्लोगन से हमे बाहर निकल कर सोचना और करना होगा क्यूंकि पाकिस्तान द्वारा आए दिन करने वाली हरकतो(जुल्मो) से जिस दर्द को हम बरदास्त कर रहे है उससे तो बेहतर यही है कि अब हमे भी अपने देश की आर्मी के साथ कदम से कदम मिला कर एकतरफा और अन्तिम फैसला ले ही लेना चाहिए ताकि दुनिया को भी एहसास हो जाए कि हम कमजोर नही सांस्कृतिक लोग है लेकिन जुल्म एक हद तक ही बरदास्त कर सकते हैं!
मेरे अपने होश मे कागिल युध से अब तक हमारे देश की सीमा प्रहरी आर्मी के कितने ही जवान शहीद हो गये लेकिन हमारी सरकारे मात्र वार्ता से ही काम चला रही है और ढ़ोग पीट रही है जबकि पाकिस्तनी पॉलीटिशियन बेशर्मी का लिबास पहने मुस्कराते नज़र आ रहे है! लगभग 65 सालो से हम यही सोच कर पाकिस्तान की नापाक हरकतो को झेलते आ रहे हैं कि बच्चा है बच्चा, बच्चे की नापाक हरकत तो देखो कि हमारे पॉलिटिशयनो के लिए 65 वर्ष का पाकिस्तान बच्चा लगातार आंतकवादी औलादो को पैदा करता आ रहा है! और कब तक झेलते रहेगे हम नापाक इरादो को नापाक हरकतो को! सांप को दूध पिलाना कोई बुरी बात नही लेकिन आँख दिखाए तो उसका फन कुचलने में देर नही करनी चाहिए!
हमारे देश की सरकार को अब अन्तिम फैसला कर ही लेना चाहिए क्यूंकि हमारे देश भारत में लगभग सत्तर करोड़ युवा बस इस इन्तज़ार में है कि कब हमारी सरकार आदेश प्रसारित करे कि हमारे देश के युवाओं जाओं और सीमा पर शहीद हो रहे भारतीय सैनिका का बदला लेने किए पाकिस्तान से निपट लो!
यकीनन हमारे भारत का युवा पाकिस्तान से बदला लेने के लिए मचल रहा होगा लेकिन आखिर हमारी सरकार जाने क्या सोच कर अन्तिम फैसला लेने में हिचकिचा रही है!
मै पूछना चाहता हूँ कि देश की आर्मी के वह जवान(सैनिक) क्या उनके परिवार का दर्द दिखाई नही पड़ता आ रहा हमारी सरकारो को। शहीद हुये सनिको की माँ ओं की आँख से टपकता मोती जैसा ऑसू का कीमत कौन अदा कर पाएगा!
हमे चाहिए कि एैसे हालातो में हमे भारतीय फौज का साथ देकर हौसला ही नही बढ़ाना चाहिए बल्कि उनके साथ पाकिस्तान के अन्दर घुस कर करारा जबाब देना चाहिए!
यह मेरा विचार है। अपने देश भारत पर मिटने के लिए यदि मिले मौका तो हस्ती मिटा देगे पाकिस्तान की फिर न रहेगा बांस और न बजेगी बंसुरी। रोज रोज की हाय तौवा और बच्चे की हरकतो से आखिर अब छुटकारा पाने का फौलादी इरादा है!